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    वोकल फार लोकल से स्वावलंबी होगा 'कल', विदेशी कंपनी के तंज ने बना दिया कैंपिंग ट्रेलर निर्माता

    By Jagran NewsEdited By: Sanjay Pokhriyal
    Updated: Sat, 19 Nov 2022 03:01 PM (IST)

    Vocal for Local महाराष्ट्र सरकार पिछले वर्ष फरवरी में कारवां पर्यटन को अपनी पर्यटन नीति में शामिल किया है। कारवां (कैंपिंग वाहन या ट्रेलर) को पार्क करने के लिए पानी सड़क और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं दी जा रही हैं।

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    Vocal for Local: वोकल फार लोकल से हमारा आने वाला कल बेहतर बनेगा

    भूपेंद्र सिंह भाटिया, लुधियानाः पंजाब में फतेहगढ़ साहिब जिले के गांव नाडियाल के हरजीत राय पर जर्मनी की हार्स ट्रेलर बनाने वाली एक कंपनी ने ऐसा तंज कसा कि उन्होंने उससे बेहतर फैक्ट्री बनाने की ठान ली। आज हरजीत हार्स ट्रेलर व कैंपिंग ट्रेलर बनाकर बनाकर कई देशों को निर्यात कर रहे हैं। खास बात यह है कि उन्होंने हार्स ट्रेलर व कैंपिंग ट्रेलर के डिजाइन तो इटली में बनाए, लेकिन स्वदेशी के भाव के साथ इनका निर्माण पंजाब में शुरू किया। चंडीगढ़ से 25 किमी दूर गांव नाडियाल स्थित स्टार्टअप बुलस्टोन ट्रेलर्स के उत्पाद अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया को निर्यात हो रहे हैं। मात्र छह वर्षों में विदेश से इतनी मांग आ रही है कि वह उसे पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

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    देश के पहले हार्स ट्रेलर निर्माता बने

    हरजीत राय बताते हैं कि रोजगार के लिए लगभग दस वर्ष पहले अमेरिका गए थे। वहां घोड़ों के अस्तबल में साफ-सफाई का काम मिला। इसी दौरान घुड़सवारी का शौक जागा। इटली में एक प्रतियोगिता में भाग लेने के क्रम में वह जर्मनी की एक कंपनी में पहुंचे, जहां घोड़ों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए हार्स ट्रेलर का निर्माण होता था। उन्होंने कंपनी के उच्च अधिकारी से भारत में इसकी फ्रेंचाइजी शुरू करने की इच्छा जताई। कंपनी ने सर्वे करवाया, जिसके बाद हरजीत पर तंज कसते हुए कहा कि भारत में इतने अमीर लोग नहीं है, जो इसका उपयोग करेंगे। इसलिए वह उन्हें फ्रेंचाइजी नहीं दे सकते। यह बात हरजीत को चुभ गई। उन्होंने वहां विशेषज्ञों की मदद से इटली की तकनीक से हार्स ट्रेलर के डिजाइन तैयार किए और वर्ष 2016 में पंजाब में अपने गांव आकर निर्माण शुरू किया। छह वर्ष में वह देश के पहले हार्स ट्रेलर निर्माता बन चुके हैं।

    अपने गांव स्थित वर्कशाप में काम करते हरजीत। जागरण

    कैंपिंग ट्रेलर की तरफ बढ़े

    हार्स ट्रेलर की मांग बढ़ने के बाद हरजीत राय ने कैंपिंग ट्रेलर निर्माण की योजना बनाई। कहते हैं ‘वैसे तो कैंपिंग कल्चर अभी भारत में नया है, लेकिन कोरोना के दौरान लोग प्राकृतिक स्थानों से जुड़ने के लिए भारत में भी इसका उपयोग करने लगे। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने कैंपिंग ट्रेलर बनाना शुरू किया।’ भारत में इन ट्रेलर को लेकर मोटर वाहन अधिनियम में कोई प्रविधान नहीं है, लेकिन आटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन आफ इंडिया (एआरएआइ) की नियमावाली में इसे टी-1 श्रेणी में रखा गया है। कैंपिंग ट्रेलर को जीप या एसयूवी के पीछे जोड़कर उपयोग कर सकते हैं। शर्त यह है कि इसका वजन 0.75 टन से कम होना चाहिए। हरजीत के पास 150 से ज्यादा आर्डर हैं जिनमें ज्यादातर गुजरात औऱ हिमाचल प्रदेश से हैं। पंजाब सरकार से उन्हें अभी अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं मिली है, लेकिन उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की सरकारों ने उन्हें फैक्ट्री लगाने का प्रस्ताव दिया है।

    किराये पर भी होंगे उपलब्ध

    कैंपिंग ट्रेलर की कीमत साढ़े छह लाख रुपये से शुरू होकर उसमें मिलने वाली सुविधाओं पर आधारित होती है। इस ट्रेलर के ऊपर छत पर भी टेंट लगाकर सोया जा सकता है। 15-20 दिनों में एक ट्रेलर तैयार होता है। भारतीय सड़कों के लिहाज से पट्टे की बजाय स्प्रिंग सस्पेंशन लगाया जाता है। हरजीत बताते हैं कि भविष्य में यह ट्रेलर 3,000 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से किराये पर भी उपलब्ध होंगे। भारत में कुछ पर्यटन कंपनियों ने आर्डर दिए हैं।

    वर्कशाप में काम करता कारीगर। जागरण

    कई राज्य दे रहे सुविधाएं

    महाराष्ट्र सरकार पिछले वर्ष फरवरी में 'कारवां पर्यटन' को अपनी पर्यटन नीति में शामिल किया है। कारवां (कैंपिंग वाहन या ट्रेलर) को पार्क करने के लिए पानी, सड़क और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं दी जा रही हैं। केरल, गुजरादत, गोवा, उत्तराखंड और कर्नाटक सरकार भी कारवां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सुविधाएं दे रही हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार भी इस पर विचार कर रही है।

    छोटा सा घर होता है कैंपिंग ट्रेलर

    इसे साधारण शब्दों में आप चलता-फिरता घर या कमरा कह सकते हैं। विदेश में लोग अपने वाहन के पीछे ट्रेलर लगाकर सैरसपाटे के लिए निकल जाते हैं। लगभग साढ़े पांच फुट चौड़े और दस फुट लंबे ट्रेलर में किचन, सोने के लिए बेड, म्यूजिक सिस्टम, शावर, जेनरेटर आदि की सभी जरूरी सुविधाएं होती हैं। इसमें कुत्ते या अन्य पालतू जानवरों को रखने की भी व्यवस्था रहती है। लोग प्रकृति के बीच ट्रेलर खड़ा कर आनंद लेते हैं। विदेश में इसके लिए पार्किंग होती हैं जहां बिजली, पानी और सीवेज की व्यवस्था होती है, लेकिन भारत में अभी अधिकांश स्थानों पर कैंपिंग ट्रेलर पार्किंग नहीं हैं। पर्यटन के भविष्य के लिए इन ट्रेलर से काफी उम्मीदें हैं।