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Cyber Crime : इंटरनेट मीडिया पर फर्जी आर्मी मैन कर रहे ठगी, महंगा सामान सस्ते में खरीदने के चक्कर में फंस रहे लोग

Cyber Crime अगर आप इंटरनेट मीडिया के माध्यम से कोई सामान खरीदने का मन बना रहे हैं तो सतर्क हो जाएं। इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय साइबर ठग ऐसे बहुत से फर्जीवाड़े चला रहे हैं जिनके झांसे में आकर आपकी खून-पसीने की कमाई बड़ी आसानी से लुट सकती है।

By Vipin KumarEdited By: Published: Mon, 05 Jul 2021 09:40 AM (IST)Updated: Mon, 05 Jul 2021 09:40 AM (IST)
Cyber Crime : इंटरनेट मीडिया पर फर्जी आर्मी मैन कर रहे ठगी, महंगा सामान सस्ते में खरीदने के चक्कर में फंस रहे लोग
शहर में बहुत से लोग हो चुके हैं ठगी का शिकार।

लुधियाना, [राजन कैंथ]। अगर आप इंटरनेट मीडिया के माध्यम से कोई सामान खरीदने का मन बना रहे हैं तो सतर्क हो जाएं। इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय साइबर ठग ऐसे बहुत से फर्जीवाड़े चला रहे हैं, जिनके झांसे में आकर आपकी खून-पसीने की कमाई बड़ी आसानी से लुट सकती है। ये ठग चैट के दौरान खुद को आर्मी मेन बता कर ऐसी पोस्टें डालते हैं कि न चाहने पर भी लोग उन्हें देखते जरूर हैं।

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वहां आधे से कम दाम में मिल रहे सामान के झांसे में आकर कुछ लोग उन्हें खरीदने के लिए ठगों द्वारा बताए गए अकाउंट नंबर में एडवांस पेमेंट भी डाल देते हैं। उनकी आंखें तब खुलती हैं, जब बाद में न तो वो सामान मिलता है और न ही उनके पैसे। वो मोबाइल नंबर भी बंद हो जाता है, जिसके माध्यम से उनकी डील हुई होती। पुलिस की साइबर सेल टीम के पास ऐसी शिकायतों के ढेर लगे हैं, जिनमें लोग ऐसी लूट का शिकार हो चुके हैं। जांच के दौरान पुलिस उन मोबाइल नंबर से आरोपितों का पता तो लगा लेती है, मगर बाद में वो मोबाइल नंबर भी फर्जी आइडी पर लिए मिलते हैं। इस कारण ऐसे ठग पुलिस की गिरफ्त में भी नहीं आ पाते।

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नई एक्टिवा के चक्कर में 24 हजार गंवाए

मुंडियां कलां निवासी संदीप सिंह ने फेसबुक पर एक एक्टिवा को बेचने की एक पोस्ट देखी। एक दम नई हालत की एक्टिवा 24 हजार रुपये में मिल रही थी। उन्होंने उस पर दिए फोन नंबर पे बात की। उधर से बोलने वाले व्यक्ति ने बताया कि वो आर्मी में है और अभी बङ्क्षठडा छावनी में तैनात है, मगर उसकी ट्रांसफर हो गई है। इसके चलते उसे वो स्कूटी मजबूरन बेचनी पड़ रही है। अपनी पहचान साबित करने के लिए उसने अपने आइडी कार्ड की फोटो भी भेजी। उसकी बातों में आकर संदीप ङ्क्षसह ने उसके बताए अकाउंट में 24 हजार रुपये जमा करा दिए। इसके बाद वो मोबाइल नंबर बंद हो गया।

आइफोन के लिए 25 हजार रुपये जमा करवाए

बीआरएस नगर निवासी दलवीर सिंह ने ओएलएक्स पर एक आइफोन की एड देखी। करीब 60 हजार कीमत वाला वो फोन केवल 25 हजार रुपये में बेचा जा रहा था। उसमें भी बेचने वाले ने खुद को दिल्ली में तैनात आर्मी मैन बताया। दलवीर सिंह को विश्वास दिलाने के लिए उसने अपनी वर्दी वाली फोटो और आइडी कार्ड की फोटो भेजी। उसकी बातों में आकर दलवीर सिंह ने उसके बताए अकाउंट में पैसे जमा करा दिए, मगर बाद में वो नंबर बंद आने लगा। थाना सराभा नगर पुलिस ने आरोपित के खिलाफ केस तो दर्ज कर लिया, मगर आज तक उसे पकड़ नहीं सकी।

सतर्कता से बच गए 60 हजार रुपये

गिल रोड निवासी विशाल कुमार ने इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्ट देखी। इसमें विमलेश नाम के व्यक्ति ने खुद को साहनेवाल एयरपोर्ट स्थित सीआइएसएफ में तैनात बताते हुए छह महीने पहले खरीदे सामान को बेचने के लिए डाला हुआ था। इसमें एसी, एलईडी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, डबल बेड, सोफा, डाइनिंग टेबल तथा अलमारी मात्र 60 हजार रुपये में बेची जा रही थी। दोनों के बीच फोन पर बातचीत हुई। उसी दौरान विशाल को ठग की होशियारी का अंदाजा हो गया, जिसके बाद दोनों के बीच फोन पर ही काफी गर्मागर्मी हो गई। हालांकि उससे वो ठगी का शिकार होने से बच गए।

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आप भी रहें सतर्क

- कोई भी सामान विश्वसनीय वेबसाइट से ही खरीदें।

- किसी भी सामान को खरीदने से पहले विक्रेता के बारे में पूरी जांच पड़ताल करें।

- महंगा सामान सस्ते में लेने के चक्कर में बिल्कुल न फंसें।

- किसी द्वारा भेजे गए लिंक पर क्लिक नहीं करें।

- अगर किसी तरह की कोई ठगी हो जाती है तो तुरंत साइबर सेल को सूचित करें और सुबूत संभालकर रखें।

कंप्यूटर की मदद से कोई भी आइडी कार्ड बना सकते हैं क्रिमिनल

इस तरह की काफी शिकायतें आती हैं। जैसे-जैसे वो लोग अपने तरीके बदलते रहते हैं, लोग उनके झांसे में आ जाते हैं। हाइटेक क्रिमिनल कंप्यूटर की मदद से कोई भी आइडी कार्ड बना सकते हैं। यह हमें चेक कर लेना चाहिए कि वो असल में फौजी है या नहीं। उन लोगों ने अकाउंट भी फेक आदमी के नाम पर खोल रखा होता है, जो किसी प्रवासी मजदूर के नाम पर होता है। अक्सर देखा जाता है कि वो अकाउंट किसी प्रदेश में खुला होता है और पेमेंट किसी अन्य प्रदेश से निकाली जाती है। बैंकों को भी चाहिए कि वो पूरी तरह से चेक करके अकाउंट खोले। जब तक अकाउंट खुलवाने वाला फिजिकली पेश होकर अपने दस्तावेज चेक न कराए, तब तक वो पैसे जमा तो करा सके। मगर कैश निकालने की छूट नहीं दी जानी चाहिए। - वैभव सहगल, एसीपी, साइबर क्राइम सेल


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