ईटीपी से नहीं होगा डेयरियों के प्रदूषण का हल, शहर के बाहर शिफ्ट करना एकमात्र समाधान
जागरण संवाददाता लुधियाना पब्लिक एक्शन कमेटी फार सतलुज मत्तेवाड़ा एंड बुड्ढा दरिया के पदाधिकारियों ने रविवार को पशु डेयरियों के लिए लगाए जा रहे एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) का विरोध शुरू कर दिया है। रविवार को ताजपुर रोड पर लग रहे ईटीपी प्लांट का विरोध किया गया। संस्था के पदाधिकारियों का कहना था कि ईटीपी लगाकर डेयरियों से निकलने वाले गोबर का हल नहीं हो सकता है। अगर सरकार में सही में बुड्ढा दरिया को साफ करना चाहती है तो पशु डेयरियों को शहर के बाहर करना होगा। ऐसा नहीं होने पर सरकार का

जागरण संवाददाता, लुधियाना : पब्लिक एक्शन कमेटी फार सतलुज, मत्तेवाड़ा एंड बुड्ढा दरिया के पदाधिकारियों ने रविवार को पशु डेयरियों के लिए लगाए जा रहे एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) का विरोध शुरू कर दिया है। रविवार को ताजपुर रोड पर लग रहे ईटीपी प्लांट का विरोध किया गया। संस्था के पदाधिकारियों का कहना था कि ईटीपी लगाकर डेयरियों से निकलने वाले गोबर का हल नहीं हो सकता है। अगर सरकार में सही में बुड्ढा दरिया को साफ करना चाहती है तो पशु डेयरियों को शहर के बाहर करना होगा। ऐसा नहीं होने पर सरकार का 850 करोड़ रुपये बर्बाद ही होगा। अब सरकार को देखना है कि वह क्या करना चाहती है।
जसकिरत सिंह ने कहा कि पशु डेयरियों से निकलने वाले गोबर व अन्य चीजों के ईटीपी लगाकर साफ करना एक सपने जैसा है। क्योंकि ईटीपी इतने सक्षम नहीं है कि वह डेयरी से निकलने वाले प्रदूषण को साफ कर सके । सरकार को चाहिए कि पैसा बर्बाद करने की जगह तुरंत ईटीपी तैयार करने पर रोक लगाए। सबसे पहले पशु डेयरियों को शहर के बाहर शिफ्ट किया जाना चाहिए। टास्क फोर्स सदस्य कर्नल जेएस गिल ने भी इस बात पर समहति जताते हुए कहा कि ईटीपी लगा डेयरी वेस्ट को साफ करने का तरीका सरासर गलत है। पीपीसीबी के पूर्व चेयरमैन केएस पन्नू भी डेयरियों को बाहर शिफ्ट करने की बात कह चुके हैं। मौजूदा सरकार को चाहिए कि इस मुद्दे को लेकर वह टेक्नीकल साउंड अधिकारियों से राय करे।
वही इंजीनियर कपिल अरोड़ा व कर्नल सीएम लखनपाल ने कहा कि बुड्ढा दरिया में प्रदूषण फैला रही इंडस्ट्री नहीं चाहती हैं कि डेयरियां बाहर शिफ्ट हों क्योंकि वह इनकी आड़ में अपना काम कर सके। अगर सरकार ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया है, तो वह कानूनी तौर पर आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि डेयरियों को एक जगह पर शिफ्ट नहीं करना चाहिए। इस समय पंजाब के गांवों में दस हजार पशु डेयरियां चल रही हैं, वहां से निकलने वाले गोबर को खेती में इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए उनसे किसी को कोई दिक्कत नहीं है। दूसरी तरफ से लुधियाना के दो डेयरी कांप्लेक्स में चल रही लगभग 500 पशु डेयरियां परेशानी का सबब बन चुकी हैं। इसलिए डेयरियों को अलग अलग जगह पर शिफ्ट किया जाना चाहिए।
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