Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सफल अनुवादक वही, जो उसका अर्थ समझे : डॉ. सिदकी

    By Edited By:
    Updated: Fri, 18 Nov 2016 06:29 PM (IST)

    जासं, लुधियाना : एक सफल अनुवादक वही है, जो उसके अर्थ को अच्छी तरह से समझे। कुछ लेखकों ने अपनी

    जासं, लुधियाना : एक सफल अनुवादक वही है, जो उसके अर्थ को अच्छी तरह से समझे। कुछ लेखकों ने अपनी कृतियां लिखी पर उसमें सफल नहीं रहे। इसका कारण उनका अनुवाद अच्छा न होना रहा है। यह बात सतीश चंद्र धवन सरकारी कॉलेज फॉर ब्वायज में आयोजित हुए सेमिनार में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वारधा से आए मुख्य वक्ता डॉ. सिदकी ने कहे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उन्होंने बहुत से अनुवादकों इनमें भोलानाथ तिवारी, नायडा, एनई विश्वनाथ अय्यर के विचारों को भी सामने रखे। भोलानाथ तिवारी के अनुसार भाषा भाव एवं विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति है। हर राज्य के अपने रीति-रिवाज व बोली है। भाषा के माध्यम से ही इसे हम दूसरों तक पहुंचाते हैं। वहीं अनुवाद हर समय व हर घड़ी किया जाता है। नायडा ने विचारों को रखते हुए कहा कि किसी भी पाठ का पठन करना बेहद जरूरी है। बिना पठन के अनुवाद तक नहीं जाया जा सकता। उन्होंने कहा कि नायडा ने अपने अनुवाद में चिंतन मगन की प्रक्रिया को भी दिखाया। डॉ. सिदकी ने आगे एनई विश्वनाथ अय्यर के विचारों को रखते कहा कि उनके मुताबिक अनुवाद की विधि को तीन स्तरों इनमें अर्थग्रहण, मनमय अनुवाद और लिखित अनुवाद से होकर गुजरना पड़ता है। अनुवाद अपने आप में कठिन कार्य है, लेकिन उसमें रोचकता लाने के लिए बनावट से बचना भी जरूरी है।

    उन्होंने कहा कि कविता के अनुवाद करने के लिए कवि का मर्म जानना आवश्यक है। अनुवाद करने के समय ऐतिहासिक परिपेक्ष्य को भी जानना बेहद जरूरी है।

    डेनमार्क से पहुंची डॉ. ज्योति अब तक 47 किताबों का अनुवाद कर चुकी है। वह 1998 से 2000 तक कॉलेज में एससीडी कॉलेज रही। इसके बाद खालसा कॉलेज फॉर वूमेन, डीडी जैन कॉलेज, फिर साढ़े चार साल लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में पढ़ाया। वर्तमान में डेनमार्क के इंटरनेशनल कॉलेज में पढ़ा रही है। डॉ. ज्योति ने कहा कि वहां के विद्यार्थी हिंदी जान भारत में रिसर्च के लिए आना चाह रहे हैं। उन्हें भारत के सभी वर्तमान मुद्दों का ज्ञान है। जापान में डॉ. ज्योति ने पहली कॉन्फ्रेंस की थी। सेमिनार में कॉलेज के हिंदी विभाग के प्रमुख डॉ. मुकेश अरोड़ा, प्रो. हरदीप सिंह मौजूद रहे।