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मुश्किल दिनों में राहत देंगे केले के रेशे से बने ये खास इको फ्रेंडली सैनेटरी पैड, लुधियाना के स्टूडेंट्स ने किए तैयार

पंजाब मैनेजमेंट एजुकेशन ट्रस्ट ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट लुधियाना के स्टूडेंट्स ने इको फ्रेंडली सैनेटरी पैड तैयार किए हैं। इन पैड्स को केले के रेशों से तैयार किया गया है। इसकी खासियत यह है कि इसे धोकर फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 06:15 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 02:19 PM (IST)
मुश्किल दिनों में राहत देंगे केले के रेशे से बने ये खास इको फ्रेंडली सैनेटरी पैड, लुधियाना के स्टूडेंट्स ने किए तैयार
लुधियाना के स्टूडेंट्स द्वारा तैयार किए गए सैनेटरी पैड। जागरण

लुधियाना [राधिका कपूर]। प्लास्टिक की परत वाले सेनेटरी पैड (Sanitary Pad) से पर्यावरण और त्वचा को होने वाले नुकसान को देखते हुए पंजाब मैनेजमेंट एजुकेशन ट्रस्ट ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट (Punjab Management Education Trust Group of Institute) के एमबीए फाइनल ईयर के  विद्यार्थियों ने केले से रेशे से इको फ्रेंडली सैनेटरी पैड (Eco Friendly Sanitary Pad) बनाने का स्टार्टअप (Startup) शुरू किया है। इसे नाम दिया गया है नैपैड्स।

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प्रोजेक्ट लीडर अदिति द्विवेदी ने बताया कि हमने कई महिलाओं से बात करने और उनकी परेशानियां जानने के बाद यह निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर महिलाओं ने प्लास्टिक लेयर वाले पैड्स से रैशिज की समस्या बताई। उनके साथ दो और विद्यार्थी दमनप्रीत व ग्रोवर भी प्रोजेक्ट से जुड़े हैं। फिलहाल तीनों विद्यार्थी अपने तैयार किए हुए सैंपल को दिल्ली की एक लैब में टेस्टिंग के लिए भेज रहे हैं। अगले साल तक यह मार्केट में उपलब्ध होगा।

सैनेटरी पैड तैयार करने वाले स्टूडेंट्स। जागरण

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इसकी ऊपरी लेयर कपड़े से तैयार की गई है। इसमें सोखने की क्षमता भी ज्यादा है। इसमें केले के तने से निकले रेशे का इस्तेमाल किया गया है। प्लास्टिक का जरा भी इस्तेमाल नहीं हुआ है। अभी इसकी कीमत तय नहीं हुई है, लेकिन यह सामान्य पैड्स से सस्ता होगा।

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आमतौर पर केले के तने से निकलने वाले रेशे का इस्तेमाल फूलों की झालर, कागज और चटाई के निर्माण में किया जाता है। बहुत से राज्यों में किसान इसका इस्तेमाल कई और वस्तुओं के लिए करने लगे हैं। मशीनों की मदद से तने से रेशों को निकाला जाता है। फिर रेशों को पतला किया जाता है। इसके बाद सुखाया इसका इस्तेमाल अलग-अलग वस्तुओं में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें टिशू कल्चर तकनीक की भी मदद ली जाती है।

कई बार किया जा सकता है इस्तेमाल

  • इसे धोकर कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • लंबे समय के लिए इस्तेमाल होने वाला होगा।
  • इको फ्रेंडली होने के कारण रैशिज का डर नहीं होगा।
  • किसी तरफ की आर्टिफिशियल खुशबू का इस्तेमाल नहीं।
  • एक पैकेट में ही अलग-अलग साइजिज के सैनेटरी पैड्स होंगे।
  • एक सेनेटरी पैड में पांच लेयर का इस्तेमाल किया गया है।
  • री-साइकिल किया गया डिस्पोजेबल बैग साथ होगा।

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ऐसे आया आइडिया

प्रोजेक्ट की सदस्य दमनप्रीत ने बताया कि एमबीए फस्र्ट ईयर से ही उसके मन में था कि महिलाओं के लिए ऐसा सैनेटरी पैड तैयार करें जो इको फ्रेंडली भी हो और साथ में सस्ता भी हो। बहुत सी लड़कियां ऐसी हैं जिन्हेंं सैनेटरी पैड के सही इस्तेमाल व इसके डिस्पोजल की जानकारी नहीं है, जिससे हाईजीन बरकरार रहे।

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लाकडाउन में आनलाइन मांगा फीडबैक

अदिति ने बताया कि लाकडाउन के दौरान हमने इंस्टाग्राम पर पेज बना कर लड़कियों, महिलाओं से आनलाइन फीडबैक लिया। फीडबैक में सामने आया है कि वह जो भी सैनेटरी नैपकिन प्रयोग कर रही हैं, अब उसमें बदलाव चाहती हैं। प्लास्टिक से बने सैनेटरी नैपकिन की जगह कपड़े से तैयार पैड का प्रयोग करने के लिए भी उनका झुकाव देखने को मिला। साथ ही डिस्पोजेबल बैग भी पैड के इस्तेमाल के बाद लेना चाहती हैं।

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