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    कृषि कानूनों पर सियासत के बीच पंजाब में नए राजनीतिक समीकरण, भाजपा का बढ़ रहा कुनबा

    पंजाब में किसान आंदोलन चरम पर है। इसी मुद्दे पर अकाली भाजपा का वर्षों पुराना गठबंधन टूट चुका है लेकिन इस सबके बीच राज्य में नए राजनीतिक समीकरण जन्म ले रहे हैं। इन दिनों कई नेता भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं।

    By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sat, 05 Dec 2020 06:43 PM (IST)
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    भाजपा का चुनाव निशान । सांकेतिक फोटो

    चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party BJP) की पंजाब में इस समय अजीब स्थिति है। तीन कृषि कानूनों को लेकर जहां सभी पार्टियों का स्टैंड इसके विरोध में है वहीं भाजपा ने इसके पक्ष में स्टैंड लिया हुआ है। किसान संगठनों ने इन कानूनों को लेकर दो महीने तक रेलवे ट्रैक रोके रखे वहीं भाजपा के शीर्ष नेताओं का भी उन्होंने घेराव किया और लंबे समय तक उनके घरों के बाहर धरने देते रहे। दो दिन पहले जब पंजाब के पूर्व ब्यूरोक्रेट गुरपाल भट्टी, पूर्व सेशन जज करनैल सिंह और कांग्रेस के एससी सेल के उपप्रधान राकेश रिंकू ने भाजपा का दामन थाम लिया।

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    ये दो तीन नाम नहीं हैं जो ऐसे विरोध के समय में भाजपा में शामिल हो रहे हैं बल्कि जब से भारतीय जनता पार्टी का शिरोमणि अकाली दल से नाता टूटा है तब से ही पार्टी में लोगों के शामिल होने की लाइन लगी हुई है। यह आने वाले समय में नए समीकरण बनने के संकेत जरूर दे रहे हैं।

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    तीन अक्टूबर को जब केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी चंडीगढ़ में कृषि कानूनों का समर्थन करने आए हुए थे तो उन्होंने अकाली दल की मीडिया इंचार्ज जैसमीन संधावालिया को शामिल करवाया। उसके अगले ही दिन एडिशनल सेशन जज अजय शर्मा को होशियारपुर में पार्टी में शामिल करवा लिया। तब से लेकर पार्टी में कांग्रेस, अकाली दल और आम आदमी पार्टी से भाजपा में आने वालों की गिनती बढ़ती जा रही है।

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    राष्ट्रीय ब्राह्मण सभा के चेयरमैन देवी दयाल पराशर भी भाजपा में जाने का ऐलान कर चुके हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश के अनुसूचूित जाति के नेता पार्टी में शामिल हो रहे हैं। 18 अक्टूबर को दलित समाज के नेता जग्गी टोहड़ा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा की उपस्थिति में शामिल हो गए। पूर्व आइएएस अफसर गुरपाल भट्टी, करनैल सिंह और राकेश रिंकू भी दलित समाज से हैं। इन सभी को लग रहा है कि भाजपा उनकी बिरादरी को वह स्थान दे सकती है जो अभी तक पंजाब में उन्हें नहीं मिला है। यानी उनका भी मुख्यमंत्री बन सकता है। पंजाब में भी तक जट्ट सिख मंत्री बनते आए हैं।

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    पार्टी ने प्रदेश मामलों की कमान भी दुष्यंत गौतम को सौंपी है जो जाने माने दलित नेता हैं। इसके अलावा नॉन जट्ट डॉ. नरेंद्र सिंह को सह प्रभारी बनाया है। पार्टी के जनरल सेक्रेटरी डॉ सुभाष शर्मा का मानना है कि पार्टी किसी एक जाति वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं करती बल्कि समूचे समाज को जोड़ने का काम कर रही है। उन्होंने बताया कि पंजाब में जट्ट सिखों के अलावा बड़ी आबादी अनुसूचित जातियों, पिछड़ी जातियों और गैर जट्टों की हैँ। ऐसे में उन्हें पार्टी में एक मुकाम दिखाई पड़ रहा है।

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