फरिश्ता बने डॉक्टर अनुभव, बोन ट्यूमर से जूझ रही वाहिदा को दी नई जिंदगी
जम्मू-कश्मीर की वाहिदा तबस्सुम, जो एक दुर्लभ बोन ट्यूमर से पीड़ित थी, का लुधियाना के डॉ. अनुभव शर्मा ने मुफ्त में इलाज किया। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार इलाज कराने में असमर्थ था। सीटी गाइडेड आरएफए तकनीक से सफल सर्जरी की गई, जिससे वाहिदा को नया जीवन मिला। परिवार डॉ. शर्मा को फरिश्ता मानता है और उनके प्रति कृतज्ञ है।

बोन ट्यूमर से जूझ रही वाहिदा को दी नई जिंदगी, सांकेतिक फोटो
आशा मेहता, लुधियाना। जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले की रहने वाली 17 वर्षीय वाहिदा तबस्सुम की जिंदगी कई सालों से दर्द से भरी हुई थी। उसकी बाईं जांघ की हड्डी में दुर्लभ बोन ट्यूमर था, जो हर वक्त उसे असहनीय पीड़ा देता था। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार इलाज कराने में असमर्थ था, लेकिन लुधियाना के दयानंद मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल (डीएमसीएच) के आर्थोपेडिक विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अनुभव शर्मा ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए न केवल सर्जरी की, बल्कि इलाज का पूरा खर्च भी खुद उठाया।
वाहिदा के पिता का दो वर्ष पहले निधन हो चुका था और घर में कमाने वाला कोई नहीं था। मां खुरशैद जान मजदूरी कर किसी तरह परिवार का पेट पाल रही थीं। श्रीनगर और अमृतसर के अस्पतालों में इलाज के प्रयास नाकाम रहे। अमृतसर के एक डाक्टर ने वाहिदा की एमआरआइ रिपोर्ट देखकर उसे डा. अनुभव शर्मा के पास रेफर किया। चाचा अब्दुल अजीज ने वाट्सएप के जरिए रिपोर्ट भेजी, जिसके बाद डा. अनुभव ने उसे लुधियाना बुला लिया।
सीटी गाइडेड आरएफए तकनीक से की गई सर्जरीडा. अनुभव ने बताया कि वाहिदा का ट्यूमर बहुत दुर्लभ था। इसे हटाने के लिए अस्पताल में सीटी गाइडेड रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन (आरएफए) तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इस अत्याधुनिक प्रक्रिया में बिना चीरा लगाए ट्यूमर के पास एक पतली सुई पहुंचाई जाती है और सीटी स्कैन की मदद से ट्यूमर को जलाया जाता है। इसमें न तो खून बहता है न ही लंबे समय तक रिकवरी की जरूरत पड़ती है। सर्जरी के अगले दिन ही वाहिदा चलने लगी और अब पूरी तरह स्वस्थ है।
डाक्टर नहीं, फरिश्ता हैं हमारे लिए : परिवार
वाहिदा के चाचा अब्दुल अजीज ने कहा, हमारा कस्बा पाकिस्तान बार्डर के बिल्कुल पास है, जहां इलाज की कोई सुविधा नहीं है। जब सारी उम्मीदें खत्म हो चुकी थीं, तब डा. अनुभव ने वाहिदा को नई जिंदगी दी। वह हमारे लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं। वाहिदा के चेहरे पर अब दर्द की जगह मुस्कान लौट आई है। उसकी मां ने कहा, डाक्टर साहब ने मेरी बेटी को नया जन्म दिया है, हम जिंदगीभर उनके आभारी रहेंगे। डा. अनुभव शर्मा इससे पहले भी कई जरूरतमंद मरीजों की मदद कर चुके हैं। उन्होंने कहा, मैं मानता हूं कि डाक्टर का असली धर्म इंसान की सेवा करना है। वाहिदा को दर्द से राहत मिली, यही मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी है।

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