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    Diwali Celebration: दीपावली पर आज घर-घर होगा मां लक्ष्मी व गणेश जी का पूजन

    By Vipin KumarEdited By:
    Updated: Sat, 14 Nov 2020 07:17 AM (IST)

    Diwali Celebration पौराणिक कहानी के अनुसार देवी लक्ष्मी ने भगवान गणेश को पुत्र मानकर गोद लिया था। इसलिए किसी शुभ कार्यों या किसी व्यवसाय को शुरू करने से पहले देवी लक्ष्मी से पहले श्री गणेश का नाम लिया जाता है।

    दीवाली की शाम को मां लक्ष्मी व गणेश जी की प्रतिमा रखकर दोनों की साथ में पूजा की जाती है।

    लुधियाना, कृष्ण गोपाल। दीपावली का उत्सव धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज के साथ समाप्त होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भगवान धन्वंतरी धनतेरस के दिन समुद्र मंथन के दौरान कलश को अपने हाथों में लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा विधि-विधान से की जाती है। इसी दिन धन की देवी लक्ष्मी, श्री गणेश और कुबेर जी की पूजा करने का भी विधान है।

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     इसके पीछे क्या सनातन परंपरा

    एक पौराणिक कहानी के अनुसार देवी लक्ष्मी ने भगवान गणेश को पुत्र मानकर गोद लिया था। इसलिए शुभ कार्यों या किसी व्यवसाय को शुरू करने से पहले देवी लक्ष्मी से पहले श्री गणेश का नाम लिया जाता है। इसके अलावा कहते हैं कि बिना बुद्धि के धन नहीं। गणेश भगवान को बुद्धि और सिद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसलिए कहा जाता है कि मां लक्ष्मी के घर आने के बाद अगर बुद्धि का उपयोग नहीं किया जाए, तो लक्ष्मी जी को रोक पाना मुश्किल हो जाता है, इसलिए दीवाली की शाम को मां लक्ष्मी के साथ-साथ गणेश जी की प्रतिमा रखकर दोनों की साथ में पूजा की जाती है।

    रंगोली का महत्व

    ज्योतिषाचार्य डा. पुनीत गुप्ता के अनुसार रंगोली विशेष अवसरों पर बनाई जाती है। यह दीपावली आदि विशेष त्योहारों पर घर के आंगन, मुख्यद्वार देहरी और कोने पर सूखे रंगों, लकड़ी के बुरादे या चावल के आटे से बनाई जाती है। दीपावली पर रंगोली का महत्व भगवान के आसन, दीप के आधार, पूजा की चौकी और यज्ञ की वेदी, आतिथ्य- स्वागत के अलावा मन की त्योहार के प्रति उमंग खुशी को रंगों से दर्शाना है।

    कमल का महत्व

    ज्योतिषाचार्य नीतिश वर्मा के अनुसार कमल का फूल ऐश्वर्य तथा सुख का सूचक भी है। इसलिए कमल को पुष्पराज की संज्ञा भी दी गई है। कमल पुष्प को ब्रह्मा, लक्ष्मी व सरस्वती ने आसन बनाया है। अनेक प्रकार के यज्ञों व अनुष्ठानों में कमल के पुष्प को निश्चित संख्या में चढ़ाने का विधान शास्त्रों में भी वर्णित है। खीर दूध और चावल के मिश्रण से बनती है, जिसमें मेवे भी रहते हैं। यह दुग्धपाक सभी देवताओं का प्रिय मिष्ठान भोग है और माता लक्ष्मी को अति प्रिय है।

    मिट्टी के दीये का धार्मिक महत्व

    हिंदू धर्म में पंचतत्वों की महत्वपूर्ण भूमिका हैं। उसी के द्वारा ही संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना हुई है। यह पंचतत्व होते हैं जल, वायु, अग्नि, आकाश व भूमि। मिट्टी का दीया इन पांचों तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है। यह तीनों लोकों व तीनों काल का भी प्रतिनिधित्व करता हैं। इसमें मिट्टी का दीया हमें पृथ्वी लोक व वर्तमान को दिखाता है जबकि उसमें जलने वाला तेल/घी भूतकाल व पाताल लोक का प्रतिनिधित्व करता हैं। जब हम उसमें रुई की बत्ती डालकर प्रज्वलित करते हैं तो वह लौ आकाश, स्वर्ग लोक व भविष्यकाल का प्रतिनिधित्व करती है।

    दीपावली पर करें श्रेष्ठ उपाय

    -लक्ष्मी पूजन में हल्दी की गांठ भी रखें। पूजन पूर्ण होने पर हल्दी की गांठ को घर में उस स्थान पर रखें, जहां धन रखा जाता है।

    -इस दिन यदि संभव हो सके तो किसी किन्नर से उसकी खुशी से एक रुपया लें और इस सिक्के को अपने पर्स में रखें। बरकत बनी रहेगी।

    -दीपावली को घर से निकलते ही यदि कोई सुहागन स्त्री लाल रंग की पारंपरिक ड्रेस में दिख जाए तो समझ लें आप पर महालक्ष्मी की कृपा होने वाली है। यह एक शुभ शगुन है। ऐसा होने पर किसी जरूरतमंद सुहागिन स्त्री को सुहाग की सामग्री दान करें।

    -दीपावली की रात माता लक्ष्मी और कुबेर देव का पूजन करें और नीचे दिए मंत्र 'ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रववाय, धन-धान्यधिपतये धन-धान्य समृद्धि मम देहि दापय स्वाहा' का जप कम से कम 108 बार करें।

    -लक्ष्मी पूजन के बाद घर के सभी कमरों में शंख और घंटी बजानी चाहिए। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता बाहर चली जाती है। मां लक्ष्मी घर में आती हैं। उनके पूजन में गोमती चक्र भी रखना चाहिए। गोमती चक्र भी घर में धन संबंधी लाभ दिलाता है।