लुधियाना में ध्रुव अग्रवाल बने गरीबों के लिए मसीहा, 11 हजार से अधिक परिवारों के लिए बनाया सुविधा कार्ड
लुधियाना के ध्रुव अग्रवाल ने गरीबी से जूझ रहे लोगों के लिए ध्रुव फाउंडेशन की स्थापना की। कोरोना काल में प्रेरित होकर उन्होंने 11000 से अधिक सुविधा आईडी कार्ड बनवाए हैं जिससे 40000 लोग लाभान्वित हो रहे हैं। यह फाउंडेशन जरूरतमंदों को अस्पताल में बेड जांच और दवाइयों के खर्च में मदद करता है।

आशीष तिवारी, लुधियाना। गरीबी कई बार इंसान को ऐसी बेड़ियों में जकड़ देती है, जहां से निकल पाना नामुमकिन लगता है। खासकर स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में, जब महंगे इलाज और संसाधनों की कमी के कारण गरीब मरीज अस्पताल के गेट से ही लौटने को मजबूर हो जाते हैं।
लेकिन लुधियाना के ध्रुव अग्रवाल ने इन बेड़ियों को काटने का बीड़ा उठाया है। कोरोना महामारी के दौरान अपने जीवन के सबसे कठिन दौर में लिया गया उनका संकल्प आज हजारों जरूरतमंदों के लिए आशा की किरण बन चुका है।
स्टील स्क्रैप इंपोर्ट और हाउसिंग इंटीरियर का कारोबार करने वाले ध्रुव अग्रवाल बताते हैं कि वर्ष 2020 में जब कोविड महामारी ने पूरे देश को अपनी चपेट में लिया, तब वे भी संक्रमित हो गए। अस्पतालों में बेड की कमी डराने वाली थी। बेड के लिए लोग इधर-उधर भटक रहे थे। कई लोग आर्थिक तंगी के कारण इलाज शुरू ही नहीं कर पा रहे थे।
जान-पहचान होने के कारण उन्हें अस्पताल में बेड मिल गया, लेकिन बहुत से लोग मेरी आंखों के सामने बिना इलाज के दम तोड़ते दिखे। तभी मन में ठान लिया कि अगर मैं ठीक होकर घर लौटा तो जरूरतमंदों के लिए कुछ करूंगा।
स्वस्थ होने के बाद ध्रुव अग्रवाल ने चार साथियों मनदीप सिंह, गुरप्रीत सिंह, मनप्रीत जोशी और अमरजीत सिंह के साथ मिलकर ध्रुव फाउंडेशन की स्थापना की। उद्देश्य था कि किसी भी जरूरतमंद को इलाज के अभाव में अपनी जान न गंवानी पड़े। सबसे पहले आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की पहचान की गई। हर परिवार से एक सदस्य का फाउंडेशन ने सुविधा आईडी कार्ड बनवाया।
इस कार्ड पर हेल्पलाइन नंबर लिखा गया, जिससे किसी भी स्वास्थ्य संकट में वे तुरंत मदद ले सकें। यह आईडी कार्ड केवल एक पहचान पत्र नहीं, बल्कि एक जीवन सुरक्षा कवच है। यह उस भरोसे का प्रतीक है कि जरूरत पड़ने पर कोई है, जो आपके साथ खड़ा होगा। चाहे बात अस्पताल के बेड की हो, महंगी जांच की या दवाई के खर्च की।
11 हजार कार्ड, 40 हजार लोग मिशन से जुड़े
ध्रुव बताते हैं कि अब तक 11,000 आईडी कार्ड बनाए जा चुके हैं। हर कार्ड के पीछे एक पूरा परिवार जुड़ा है, इस तरह करीब 35 से 40 हजार लोग ध्रुव फाउंडेशन की सेवाओं से लाभान्वित हो रहे हैं। जरूरत पड़ने पर फाउंडेशन इलाज की व्यवस्था करता है। कई बार सीधे अस्पताल पहुंचकर मरीज का केस संभालता है, तो कभी विश्वसनीय एनजीओ की मदद ली जाती है।
इतना ही नहीं, जो लोग आयुष्मान भारत योजना के लिए पात्र थे, उनके कार्ड भी ध्रुव फाउंडेशन ने बनवाए। इस तरह जरूरतमंदों को सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। ध्रुव बताते हैं लाभार्थी चुनने में भी कोई भेदभाव नहीं किया जाता। उनकी इस सुविधा के 50 प्रतिशत से अधिक लाभार्थी उत्तर प्रदेश, बिहार व झारखंड आदि दूसरे राज्यों से आए परिवार हैं, जो लुधियाना में रोजी-रोटी कमा रहे हैं।
अस्पतालों से दिलाते हैं छूट, उद्यमी भी करते हैं मदद
फाउंडेशन ने शहर के कई डाक्टरों और अस्पतालों से तालमेल किया है। कार्डधारकों को इलाज और जांच में काफी छूट दी जाती है। कई लैब में तो कार्ड दिखाने पर 40 प्रतिशत तक की छूट मिलती है। ध्रुव बताते हैं हमारे डाक्टर मित्र गरीबों के लिए हरसंभव मदद को तैयार रहते हैं। इस सहयोग से ही हजारों लोग बिना बोझ उठाए इलाज करा पा रहे हैं। फाउंडेशन केवल छूट दिलवाकर ही नहीं रुकता।
यदि मरीज बाकी का खर्च भी वहन नहीं कर पाता, तो संस्था उद्योगपतियों और एनजीओ से संपर्क करती है। वे अस्पताल को सीधे राशि मुहैया कराते हैं, ताकि इलाज में कोई बाधा न आए। कई उद्योगपति भी इसी सोच से आगे आए हैं कि पंजाब के उद्योगों में 70 प्रतिशत से अधिक श्रमिक उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से आते हैं। ये मजदूर न केवल शहर की अर्थव्यवस्था को चलाते हैं, बल्कि उद्योगों की रीढ़ हैं। श्रमिकों और उनके परिवारों की सेहत का ख्याल रखना उनकी जिम्मेदारी है।
इन लोगों को मिला लाभ
शहर के चंदन नगर में रहने वाले साहिल के पिता के दिमाग का आपरेशन का खर्चा साढ़े पांच लाख रुपये आया था। तब संस्था ने अस्पताल से तालमेल कर यह चार लाख रुपये में बिल खत्म करवाया था। वहीं उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के सोहन कुमार इस समय लुधियाना के ग्यासपुरा में रह रहे हैं। उनकी पत्नी की डिलीवरी के समय दिक्कत आई और अस्पताल का बिल डेढ़ लाख रुपये बन गया। वे 1.10 लाख रुपये ही दे पाए।
संस्था ने अस्पताल से तालमेल कर बकाया छुड़वाया। इसके अलावा शहर की ही पूजा के माता जी के पैर का आपरेशन डीएमसी में हुआ, जिसका बिल 80 हजार बना था। उनके पास सुविधा कार्ड था, जिसके बाद उन्हें 20 हजार रुपये की रियायत मिली। ऐसे कई अन्य भी मामले हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।