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    मुख्यमंत्री चन्नी से खुद को ठगा महसूस कर रहे लुधियाना के उद्योगपति, घोषणा के बावजूद आए वैट असेसमेंट नोटिस

    By Vinay KumarEdited By:
    Updated: Thu, 18 Nov 2021 09:43 AM (IST)

    लुधियाना दौरे में कारोबारियों को राहत देते हुए मुख्यमंत्री की ओर से वैट असेसमेंट के चालीस हजार केस रद्द किए जाने और आठ हजार केसों को ओटीएस के जरिए समा ...और पढ़ें

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    मुख्यमंत्री से खुद को ठगा महसूस कर रहे लुधियाना के उद्योगपति

    लुधियाना [मुनीश शर्मा]। इनवेस्ट पंजाब में बड़ी बड़ी घोषणाओं से उत्साहित होने वाले उद्योगपति इन दिनों खुद को पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से ठगा महसूस कर रहे हैं। लुधियाना दौरे के दौरान कारोबारियों को राहत देते हुए मुख्यमंत्री की ओर से वैट असेसमेंट के 40 हजार केस रद किए जाने और आठ हजार केसों को ओटीएस के जरिए समाप्त करने की बात कही गई थी। लेकिन इसको लेकर नोटीफिकेशन जारी न होने के चलते अब कारोबारियों को वर्ष 2014-15 के असेसमेंट के लिए नोटिस भेज दिए गए हैं।

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    इसको लेकर पंजाब भर में भारी संख्या में उद्योगों और रिटेलर्स को नोटिस भेजे गए हैं और इसके लिए अंतिम तिथि 20 नवंबर रखी गई है। जो कारोबारी एसेसमेंट के लिए नहीं आएगा, उसके लिए भारी भरकम जुर्माने का प्रावधान है। ऐसे में कारोबारियों के लिए यह एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। इसको लेकर इंडस्ट्री में भारी रोष है और इसके लिए शीघ्र मुख्यमंत्री को मिलने के लिए समय मांगा जा रहा है।

    यूनाइटेड साइकिल एवं पार्टस मैन्यूफेक्चरर एसोसिएशन के प्रधान डीएस चावला ने कहा कि उनकी ओर से छह माह वित्तमंत्री इसको लेकर रिमांडर दिया गया है, लेकिन अभी तक इसका हल नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री की ओर से कारोबारियों को राहतें देने के लिए अफसरशाही को कम करने और पुराने झगड़ों का निपटारा वन टाइम सेटलमेंट स्कीम के जरिए करने की बात कही गई थी। लेकिन अब नोटिसों को दौर आरंभ कर दिया गया है। 2014-15 के असेसमेंट के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं। इसके लिए दूसरे राज्यों के साथ साथ पंजाब के सी फार्म लाना ही एक बड़ी चुनौती है।

    इसको लेकर सरकार को पुन विचार कर राहत देनी चाहिए। रेमसन एक्सपोर्ट के एमडी वरूण कपूर के मुताबिक प्रदेश सरकार की ओर से राहत देने की बजाए अब समस्या पैदा कर दी है। मुख्यमंत्री की ओर से इनवेस्ट पंजाब के दौरान दिए जाने वाली राहत से उद्यमियों में खुशी की लहर थी। लेकिन अब नोटिसों ने एक बार फिर इंडस्ट्री के लिए समस्या खड़ी कर दी है। इसको लेकर वित्तमंत्री को तत्काल रिव्यू कर राहत देनी चाहिए।