विदेशी इलाज नहीं आया काम, देसी दवा ने दिला दिया जर्मनी की एरिका काे आराम
जर्मनी की साठ वर्षीय एरिका पिछले दो साल से मल्टीपल स्कलैरोसिस (सरवांग वात) बीमारी से जूझ रही थीं।
जेएनएन, लुधियाना : जर्मनी की साठ वर्षीय एरिका पिछले दो साल से मल्टीपल स्कलैरोसिस (सरवांग वात) बीमारी से जूझ रही थीं। इस बीमारी की वजह से मैराथन रनर रह चुकीं एरिका को हर वक्त सिर दर्द, चलने फिरने में कठिनाई, सुबह उठते ही शरीर में भारीपन, बोलने व देखने में दिक्कत और हाथ पांव सुन्न रहने जैसी कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। दिन ब दिन तकलीफ बढ़ती जा रही थी और उनकी हालत बिगड़ रही थी। एरिका ने जर्मनी में एलोपैथी पद्धति से काफी इलाज करवाया, लेकिन कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ा। ऐसे में जब उन्होंने इंटरनेट पर अपनी बीमारी के इलाज को लेकर सर्च करना शुरू किया तो उन्हें ¨हदुस्तान में आयुर्वेद पद्धति से मल्टीपल स्कलैरोसिस के इलाज के बारे में मालूम चला। उन्होंने लुधियाना में जीएस ऑटो में कंसल्टेंट के तौर पर कार्य रहे अपने पति सबेशियन सुमरन को बताया।
सबेशियन ने जीएस ऑटो के प्रमुख रणजोध सिंह से बात की तो उन्होंने आयुर्वेद के लिए समर्पित लुधियाना के वात्स्यायन परिवार के बारे में बताया और दीप अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ आयुर्वेदा के प्रमुख डॉ. गौहर वात्स्यायन से इलाज करवाने की सलाह दी। इसके बाद सबेशियन के कहने पर एरिका डॉ. गौहर से मिलने पहुंचीं। एक अप्रैल से इलाज शुरू हुआ। पंद्रह दिन में ही उनकी हालत में सुधार आना शुरू हो गया। एरिका को भी स्ट्रेस की वजह से यह समस्या आई। वे आइटी सेक्टर में काम करती हैं और लगातार कंप्यूटर पर बैठी रहती थीं। दशमूल एंडादि बस्ति से किया इलाज डॉ. गौहर वात्स्यायन ने बताया कि जब एरिका उनके पास आई तो इनवेस्टिगेशन के बाद पंचकर्मा के तहत षिष्टक शालि पिंड स्वेद और दशमूल एंडादि बस्ति से इलाज किया गया। एरिका खुद बताती हैं कि इन पंद्रह दिनों के इलाज से ही पिछले दो साल से चली आ रही सिर दर्द की समस्या खत्म हो गई है। वह फ्रेश महसूस कर रही हैं। अब वह बिना सहारे के चल फिल भी रही हैं। एरिका को अब आगे के इलाज के लिए अक्टूबर में बुलाया गया है। इस दौरान उन्हें नियमित रूप से योग व प्राणायाम करने के लिए कहा गया है।
क्या है मल्टीपल स्कलैरोसिस
डॉ. गौहर वात्स्यायन के अनुसार मल्टीपल स्कलैरोसिस ओटो इम्यून बीमारी है। अभी तक इस बीमारी के कारणों का पता नहीं चल पाया है, लेकिन देखने में आया है कि जो लोग बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेते हैं, वायु प्रकोपक आहार जैसे जंक फूड व चावल का अधिक सेवन करते हैं या फिर अकेलेपन से घिरे रहते हैं, वह मल्टीपल स्कलैरोसिस से जूझ रहे होते हैं। डॉ. गौहर वात्स्यायन ने कहा कि स्ट्रेस कम करने के लिए योग, प्राणायाम व मेडिटेशन किया जा सकता है। इसके अलावा जंक फूड से परहेज भी करना चाहिए।