Road Safety Ludhiana: सड़क पर लोगों को खुद भी देना होगा ध्यान, हर चौराहे पर पुलिस कर्मी खड़ा करना संभव नहीं
Road Safety कमिश्नरेट पुलिस के पास ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए केवल 197 कर्मचारी हैं। हालांकि जरूरत इससे कम से कम चार गुना कर्मचारियों की है। शहर में बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था पर एडीसीपी समीर वर्मा ने खास बातचीत की।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। Road Safety: सर्दियों में अब धुंध के करण सड़कों पर कई हादसे होंगे। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) की ओर से जारी किए गए पिछले साल के सड़क हादसों के आंकड़े काफी डराने वाले हैं। धुंध सड़क पर वाहनों की आवाजाही को प्रभावित करना शुरू कर देगी। ट्रैफिक पुलिस अब भी नेशनल हाईवे अथारिटी और नगर निगम की ओर देख रही है। नगर निगम की कमियां और नेशनल हाईवे पर अथारिटी की उदासीनता के साथ ट्रैफिक पुलिस में नफरी की कमी के कारण सड़क हादसों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
कमिश्नरेट पुलिस के पास ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए केवल 197 कर्मचारी हैं। हालांकि जरूरत इससे कम से कम चार गुना कर्मचारियों की है। ट्रैफिक एजुकेशन सेल का हाल यह है कि लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए इसमें केवल एक हेड कांस्टेबल तैनात है। शहर में बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था और सड़क पर हादसों की लगातार बढ़ रही संख्या पर दैनिक जागरण संवाददाता दिलबाग दानिश ने एडीसीपी समीर वर्मा के साथ बातचीत की। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश...
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- कुछ दिन में धुंध शुरू हो जाएगी। इससे सड़क पर हादसे न हों, इसके लिए ट्रैफिक पुलिस की क्या तैयारी है?
- इस संबंध में जिला स्तर पर सड़क सुरक्षा समिति की बैठकें हो चुकी हैं। नेशनल हाईवे अथारिटी और नगर निगम को कुछ काम करने के लिए बताया गया है। ट्रैफिक पुलिस ने अपने स्तर पर अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती भी की है। सड़क पर लोगों को खुद भी ध्यान देना होगा। हर चौराहे पर कर्मचारी खड़ा करना संभव नहीं है।
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- जिले में हाईवे पर कई जगह संकेतक बोर्ड नहीं हैं। कई बाटलनेक पुलों पर रिफ्लेटर नहीं लगे हैं। इस कमी को दूर करने के लिए क्या किया जा रहा है?
- यह काम नेश्नल हाईवे आथारिटी और स्टेट हाईवे अथारिटी सहित नगर निगम का है। फिर भी ट्रैफिक पुलिस समाज सेवा के तौर पर कई स्थानों पर रिफलेक्टर लगाने का काम कर रही है।
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- हाईवे पर अवैध कटों पर हादसे न हों, इन्हें बंद करवाने के लिए क्या कदम उठाए गए है?
- ट्रैफिक पुलिस ने इसके लिए सर्वे करवाया था। संबंधित विभागों को जानकारी देते हुए पत्र लिखे हैं। इन्हें बंद करवाने का काम उनके पास है।
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- ओवरलोडेड वाहनों से भी हादसे हो रहे हैं, इस पर क्या कार्रवाई की गई है?
- शहर के भीतर की सड़कों पर व्यवसायिक वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई है। अगर यह वाहन शहर की सड़कों पर आते हैं तो उनके खिलाफ ट्रैफिक पुलिस कार्रवाई करती है। नेशनल और स्टेट हाईवे पर ओवरलोडेड वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार आरटीए को है।
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- ओवरस्पीड वाहनों से भी कई हादसे हो रहे हैं। कमिश्नरेट पुलिस के पास दो इंटरसेप्टर हैं, लेकिन बंद पड़े हैं?
- यह बात सही है कि हमारे पास दो इंटरसेप्टर हैं। तकनीकी कमी के कारण इन्हें चलाया नहीं जा सका है। जल्द हम इन्हें आपरेट करने जा रहे हैं, जल्द यह सड़क पर दिखेंगे।
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- नाबालिग वाहन चलाते दिखाई देते हैं, उनके पास तो लाइसेंस भी नहीं होता। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
- इसके खिलाफ ट्रैफिक पुलिस की ओर से बड़े स्तर पर अभियान चलाया गया है। पिछले सप्ताह ही स्कूल कालेजों के बाहर विशेष नाके लगाकर चालान काटे गए हैं। यह कार्रवाई लगातार जारी है।
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- क्या वाहनों और सड़कों के अनुपात में ट्रैफिक पुलिस के पास नफरी सही है या कम है? अगर कमी है तो इसे बढ़ाया क्यों नहीं जा रहा?
अकेले ट्रैफिक विंग में ही नहीं बल्कि पूरे कमिश्नरेट में ही नफरी की कमी है। समय-समय पर फोर्स की मांग की जाती है। हमें जितनी नफरी दी गई है उससे काम लिया जा रहा है।
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शहर की अंदरूनी सड़कों पर गलत दिशा में वाहन चलाना और अवैध पार्किंग भी बड़ी समस्या है। व्यवस्था न बिगड़े इसे दूर करने के लिए क्या कार्रवाई की जाएगी?
- शहर में पार्किंग बहुत बड़ी समस्या है। कुछ स्थानों पर पार्किंग है, लेकिन लोग दुकानों के बाहर ही वाहन खड़े कर देते हैं। टोइंग वैन से ऐसे वाहनों को उठाकर हटाया जाता है। गलत दिशा से आने वाले वाहनों को चालान लगातार किए जा रहे हैं।