Coronavirus Vaccination: लुधियाना में 21.8 प्रतिशत लोगों ने नहीं लगवाई वैक्सीन की दूसरी डाेज, जानें कारण
Coronavirus Vaccination जिले में अब तक 25 लाख 15 हजार 127 लोगों ने वैक्सीन की पहली डोज लगवा ली है जबकि केवल 9 लाख 69 हजार 80 लोगों को ही वैक्सीन की दोनों डोज लगी है। विभागी के अनुसार जले में 95.54 प्रतिशत लोगों को पहली डोज लग चुकी है।

लुधियाना, [आशा मेहता]। Coronavirus Vaccination: पहली और दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण की सबसे अधिक मार झेलने वाले लुधियानवियों ने अब फिर से लापरवाही दिखानी शुरू कर दी है। कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी होते ही लोगों ने वैक्सीनेशन से किनारा करना शुरू कर दिया है। सेहत विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार पहली डोज लेने के बाद करीब पांच लाख से अधिक लोग ‘लापता’ हो गए हैं, यानी कि तय समय गुजरने के बाद भी ये लोग वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने हेल्थ सेंटरों और वैक्सीनेशन कैंपों पर नहीं पहुंचे। इनमें फ्रंटलाइन वर्करों के अलावा 18 साल से अधिक उम्र वाले लोग हैं।
खासकर, 18 से 44 साल की उम्र वाले। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक यह वे लोग हैं, जिन्हें वैक्सीन की पहली डोज लिए 84 दिन से अधिक हाे गए हैं। इनमें से 60 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिन्हें पहली डोज लगवाएं हुए सौ दिन से अधिक का समय बीत चुका है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में टीके की दूसरी डोज के ड्यू डेट वालों की संख्या 5 लाख 46 हजार 530 के करीब है। सेहत विभाग की ओर से पिछले डेढ़ महीने से इन लोगों को दूसरी डोज लगवाने के लिए लगातार रिमाइंडर मैसेज भेजे जा रहे हैं, कॉल की जा रही हैं। लेकिन इसके बाद भी लोग दूसरी डोज लगवाने में रूचि नहीं ले रहे हैं।
जिसकी वजह से सेहत विभाग की चिंता बढ़ गई हैं। जिले में अब तक 25 लाख 15 हजार 127 लोगों ने वैक्सीन की पहली डोज लगवा ली है, जबकि केवल 9 लाख 69 हजार 80 लोगों को ही वैक्सीन की दोनों डोज लगी है। विभागी के अनुसार जले में 95.54 प्रतिशत लोगों को पहली डोज लग चुकी है, जबकि केवल 38.50 प्रतिशत लोगों को ही दोनों डोज लगी हैं।
दूसरी डोज जरूरी क्यों?
दयानंद मेडिकल कालेज एंड अस्पताल के कम्यूनिटी मेडिसन डिपार्टमेंट की हैड डा. अनुराग चौधरी ने कहा कि कोरोना वायरस के गंभीर खतरों से बचाव के लिए वैक्सीन की दोनों डोज बहुत जरूरी है। हमने देखा है कि जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज लगवाई थी, वे लोग जब कोरोना संक्रमण की चपेट में आए तो उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की नौबत नहीं आई। एक दो प्रतिशत जिन लोगों को भर्ती होना पड़ा, उनकी हालत गंभीर नहीं हुई यानी कि उन्हें आईसीयू या क्रिटकिल केयर की जरूरत नहीं पड़ी।
ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वैक्सीन की दोनों डोज लगने की वजह से वायरस के खिलाफ शरीर में पर्याप्त एंटीबॉडी बन गई थी। उन्होंने कहा कि वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी तैयार होने लगती है, लेकिन कोरोना के खिलाफ पूरा प्रोटेक्शन नहीं होता। वायरस के खिलाफ पूरा प्रोटेक्शन सेकेंड डोज के बाद ही आता है। दूसरी डोज के बाद ही शरीर में वायरस से लड़ने के लिए पर्याप्त एंटीबॉडी बनती है।
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