Bhatinda AIIMS: पीजी कोर्स को लेकर दुविधा हुई दूर, बठिंंडा एम्स ने वापस लिया जूनियर रेजिडेंट का नोटिस
Bhatinda AIIMS बठिंडा एम्स में पीजी कोर्स को लेकर दुविधा समाप्त हो गई है। विद्याथी अब बठिडा एम्स में पीजी कोर्स की पढ़ाई कर सकेंगे। बठिंंडा एम्स ने पीजी कोर्स में एडमिशन लेने वाले विद्यार्थियों को जूनियर रेजिडेंट बताने वाला नोटिस वापस ले लिया है।

बठिंडा, [साहिल गर्ग]। Bhatinda AIIMS: बठिंडा एम्स में पीजी कोर्स को लेकर दुविधा समाप्त हो गई है। बठिंडा एम्स के लिए एमएस-एमडी पीजी की परीक्षा पास करने के बाद विद्यायार्थी अब पीजी कोर्स कर सकेंगे। बठिंडा एम्स के निदेशक द्वारा जारी किया गया नोटिस वापिस ले लिया गया है। नोटिस वापस लेने से विद्यार्थियो को राहत मिली है।
बठिंडा एम्स में अब विद्यार्थी कर सकेंगे पीजी कोर्स
दूसरी ओर, विद्यार्थियों का कहना है कि केवल स्थानीय स्तर पर जारी हुआ नोटिस ही वापस लिया गया है, लेकिन हायर अथारिटी से अभी तक कोई बात नहीं की गई। विद्यार्थियों को जूनियर रेजिडेंट्स माने जाने का सबसे बड़ा कारण एम्स निर्माण में सरकारी लेटलतीफी है।
विद्यार्थी बोले-बठिंडा एम्स ने अपनी तरफ से निकाला नोटिस वापिस लिया, हायर अथारिटी में कोई जिक्र नहीं
अलग अलग राज्यों से आए छात्रों ने प्रबंधकों की गलती को अपने करियर का नुकसान बताया है। उन्होंने नवंबर 2021 में एमडी-एमएस परीक्षा को पास किया। इसके लिए जनवरी 2022 में दाखिल भी हुए। लेकिन उस समय एम्स प्रबंधकों को यह ध्यान में नहीं रहा कि अभी तक आइपीडी शुरू नहीं हुई। इसके चलते अब छह महीने बाद छात्रों को जूनियर रेजिडेंट्स घोषित कर दिया। ऐसे में छात्रों का करियर दांव पर लग गया है। जबकि आइपीडी को शुरू करने के लिए पहले मई में योजना तैयार की गई थी। लेकिन यह तारीख भी निकल गई।
विद्यार्थियों ने कहा कि उन्होंने जूनियर रेजिडेंट बनने के लिए तो आल इंडिया लेवल की यह परीक्षा पास नहीं की। अब यहां पीजी स्टूडेंट के रूप में काम करने के बीते छह महीने के दौरान एम्स पीजी व नीट पीजी कोर्स के लिए एक-एक परीक्षा हो चुकी है, उसका रिजल्ट भी आ चुका है। यह यह परीक्षा पास करना कोई खेल नहीं है।
डायरेक्टर का तर्क- हमने वापिस ले लिया जारी किया नोटिस
एम्स के डायरेक्टर डा. दिनेश कुमार सिंह का कहना है कि उनकी बच्चों के साथ पूरी हमदर्दी है। उन्होेंने अपने स्तर पर जारी किया नोटिस वापिस ले लिया है। वह बच्चों के लिए पूरी लड़ाई लड़ेंगे। अगर वह यहीं से कुछ लिखकर नहीं देंगे तो आगे बात नहीं बढ़ेगी। उनके द्वारा लिखा गया ही मान्य होगा। मगर अब बच्चों को भी समझने की जरूरत है। वह उनका बिलकुल भी नुकसान नहीं करना चाहते। वह भी यही चाहते हैं कि बच्चे भी यहीं रहकर पढ़ाई करें।
2016 में पीएम नरेन्द्र माेदी ने रखी थी बठिंडा एम्स की आधारशिला
बता दें कि एम्स के इतिहास में आज तक ऐसा नहीं हुआ कि जब विद्यार्थियों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ा। लेकिन, बठिंडा एम्स में यह नौबत सरकारी लेटलतीफी के कारण देखने को मिली। बठिंडा में एम्स का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 नवंबर 2016 को नींव पत्थर रखा था। इसके बाद जब निर्माण शुरू करने का समय आया तो राज्य में 2017 के विधानसभा चुनाव आ गए।
इस समय चुनाव आचार संहिता लगी होने के कारण काम बीच में रुक गया व 11 मार्च 2017 को राज्य में कांग्रेस की सत्ता आ गई। इसके बाद केंद्र में भाजपा सरकार होने व राज्य में कांग्रेस सरकार होने की वजह से प्रोजेक्ट अपने तय समय से आगे ही बढ़ता गया। डेढ़ साल तो पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अपनी तरफ से किए जाने वाले कार्यों को पूरा ही नहीं किया। इसको लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने भी कई बार अधिकारियों से मीटिंग की। इसके बाद उन्होंने 23 अगस्त 2018 को पंजाब सरकार की कुछ एनओसी के बिना ही एम्स का निर्माण शुरू करवा दिया।
दो साल में पूरा होने का निर्माण, अब भी चल रहा है कार्य
हरसिमरत कौर बादल के निर्माण शुरू करवाने के समय तैयार किए गए ब्लू प्रिंट के अनुसार सारा निर्माण कार्य दो साल में पूरा हो जाना था, लेकिन इसका काम आज भी चल रहा है। इसके लिए बाकायदा डेडलाइन भी तैयार की गई थी।
इसके तहत पहले पड़ाव में अप्रैल 2019 तक ओपीडी व अक्टूबर 2019 तक आइपीडी को शुरू करना था। लेकिन, ओपीडी को 23 दिसंबर 2019 को शुरू किया गया तो आइपीडी को आज भी ट्रायल बेस पर ही चलाया जा रहा है।यहां तक कि एम्स में डाक्टरों की रिहायश के लिए आज तक क्वार्टर भी नहीं बने। इसका मु्द्दा बीते दिन बठिंडा में तीन दिवसीय दौरे पर आए केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी के समक्ष एम्स के डायरेक्टर डा. डीके सिंह भी उठा चुके हैं।
पीजी कोर्स के लिए आइपीडी और ओटी जरूरी
बता दें कि पीजी विद्यार्थियों के लिए संस्थान में इनपेशेंट डिपार्टमेंट (आइपीडी) और आपरेशन थियेटर (ओटी) सेवाएं होना जरूरी है जबकि अभी तक एम्स बठिंडा में यह दोनों सेवाएं अभी तक शुरू नहीं हो पाई हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अब कैसे एम्स प्रशासन इन विद्यार्थियों को पीजी के तौर पर मान्यता देगा।
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