कलम कदम व कसम देखकर उठाएं: प्रकाश मुनि
संस, लुधियाना: सिविल लाइंस जैन स्थानक में संघ शास्ता गुरुदेव सुदर्शन लाल के सुशिष्य गणाधीश प्र ...और पढ़ें

संस, लुधियाना: सिविल लाइंस जैन स्थानक में संघ शास्ता गुरुदेव सुदर्शन लाल के सुशिष्य गणाधीश प्रकाश चंद्र मुनि, बहुश्रुत जय मुनि, ओजस्वी वक्ता अचल मुनि, सेवाभावी आदीश ठाणे-09 ने चातुर्मास सभा में कहा कि हिंदी की वर्णमाला का अक्षर आज बता रहा है कि कलम, कदम तथा कसम देखकर व सोच कर उठानी चाहिए। अरे ये कलम सर्व विनाश भी कर सकती है व उत्थान भी कर सकती है।
कदम एक बार आगे बढ़ाने पर पीछे हटकर नहीं देखना चाहिए। क्रोध खो देता है बोध। कर्म बंध से बचें। कौवे की तरह नहीं, कोयल की तरह मीठा बोलें। कहासुनी को ज्यादा तूल न दें। अरे लोग कहते हैं कि दो बर्तन होंगे तो खड़केंगे ही, परंतु मैं कहता हूं, बर्तनों का खड़कना बुरा नहीं है, बर्तनों का टूटना बुरा है।
पाप का सीधा संबंध हमारे मन से होता है। तीव्र क्रोध, मान आदि से इंसान नरकों का बंध कर लेता है। राग-द्वेष भी बडे़ पाप है। क्रोध आदि भी राग द्वेष के कारण पैदा होते हैं। एक बार अपने मन के अंदर भरे हुए कचरे को देखो बड़ी शांति मिलेगी।

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