मिट्टी के बर्तनों की जगह लुधियाना के घुमार मंडी में ब्रांडेड कपड़ों के शोरूम, जानिये क्याें हुआ मशहूर
लुधियाना का घुमार मंडी किसी परिचय का माेहताज नहीं है। चार दशक पहले शहर का विस्तार हो रहा था लेकिन उसी दौरान पंजाब में आतंकवाद का दौर भी शुरू हुआ। 1984 के दिल्ली दंगों के बाद उत्तर प्रदेश व दिल्ली से लोग पंजाब लौटे।
लुधियाना, जेएनएन। शहर का घुमार मंडी मिट्टी के बर्तनों के कारण पंजाब भर में मशहूर था। मिट्टी के बर्तनों की दुकानें होने के कारण इस क्षेत्र को पहले कुम्हार मंडी बोला जाता था। धीरे-धीरे यह नाम कुम्हार से घुमार मंडी हो गया। बात अगर पांच दशक पहले की करें तो उस वक्त शहर धीरे-धीरे फैलना शुरू हुआ था। उस दौर में एक बिरादरी के लोग एक जगह पर मिलकर अपना कारोबार शुरू करते थे और कारोबार में एक दूसरे का हाथ बंटाते थे।
इसी दौर में सिविल लाइन के साथ भी शहर बढ़ने लगा और कुछ कुम्हार बिरादरी के लोगों ने मिट्टी के बर्तनों की दुकानें सजाने शुरू की। करीब 150 परिवार अपनी आजीविका चलाने के लिए मिट्टी के बर्तन बनाते और सड़क के किनारे आकर उन्हें बेचते थे। अब इस बाजार में मिट्टी के बर्तनों की जगह है बड़े-बड़े ब्रांडेड शोरूम्स ने ले ली और मिट्टी की दुकानें अब विलुप्त हो चुकी हैं लेकिन फिर भी इस बाजार का नाम घुमार मंडी ही है।
पंजाब में आतंकवाद का दौर रहा पीड़ादायक
चार दशक पहले शहर का विस्तार हो रहा था लेकिन उसी दौरान पंजाब में आतंकवाद का दौर भी शुरू हुआ। 1984 के दिल्ली दंगों के बाद उत्तर प्रदेश व दिल्ली से लोग पंजाब लौटे। लुधियाना आकर यह लोग भी अलग-अलग जगहों पर रहने लगे। इनमें से ही कुछ लोगों ने घुमार मंडी में अपना कारोबार शुरू किया। 1987 88 के बाद यह मार्केट विकसित होनी शुरू हुई क्योंकि उसी वक्त सिविल लाइन वाली तरफ शहर बढ़ने लगा था और यहां पर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की तरफ से कालोनियां विकसित की जाने लगी।
शहर का प्रतिष्ठित बाजार बना
पुराने शहर से धनाढ्य लोग सिविल लाइन की तरह अपने घर बनाने लग गए थे। पुराने शहर से जब लोग यहां आए तो शहर के सबसे पुराने बाजार चौड़ा बाजार से भी दुकानदारों ने घुमार मंडी में अपनी दुकानों की ब्रांच खोलने शुरू की। देखते देखते मिट्टी के बर्तनों की इस मंडी से कुम्हारों के चाक गायब हो गए मिट्टी की दुकानें अब दिखती नहीं है और अब यह बाजार शहर के प्रतिष्ठित बाजारों में से एक बन चुका है।