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    Punjab Health Minister Controversy: उपलब्धियों से भरा है वीसी डा. राज बहादुर का जीवन, कोरोना काल में पंजाब के लिए योद्धा बनकर उभरे

    By Pankaj DwivediEdited By:
    Updated: Sat, 30 Jul 2022 12:10 PM (IST)

    दिसंबर 2014 में डा. राज बहादुर बाबा फरीद यूनिर्वसिटी के वाइस चासंलर नियुक्त हुए थे। उनके शानदार कार्य को देखते हुए ही उनका कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाया गया। डा. राज बहादुर के नेतृत्व में ही पंजाब में कोरोना गाइडलाइंस बनीं और कोरोना टेस्टिंग की मानक प्रक्रिया अपनाई गई।

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    बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी, फरीदकोट, के वाइस चांसलर डा. राज बहादुर की फाइल फोटो।

    प्रदीप कुमार सिंह, फरीदकोट। एशिया में स्पाइनल सर्जरी के लिए प्रसिद्ध डा. राज बहादुर का बाबा फरीद मेडिकल यूनिर्वसिटी के वीसी के रूप में कार्यकाल उपलब्धियों से भरा रहा है। कोरोना काल में वह पंजाब के बड़े योद्धा बनकर उभरे। तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने डा. राज बहादुर पर विश्वास कर उन्हें प्रदेशवासियों को महामारी से बचाने के लिए सभी जरूरत के मेडिकल संसाधन खरीदने की जिम्मेदारी सौंपी थी। साथ ही, स्वास्त्य विभाग में खाली पड़े डाक्टर, मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती का जिम्मा भी सौंपा। डा. राज बहादुर अपने तीसरे कार्यकाल में प्रदेश के चार मुख्यमंत्रियों के साथ काम कर चुके हैं।

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    दिसंबर, 2014 में डा. राज बहादुर बाबा फरीद यूनिर्वसिटी के वाइस चासंलर नियुक्त हुए थे। तीन साल का टर्म पूरा होने पर उन्हें दूसरी बार फिर विस्तार मिला। कोरोना काल में डा. राज बहादुर के बेहतरीन काम को देखते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनका कार्यकाल तीसरी बार बढ़ा दिया था। 

    डा. राज बहादुर के कार्यकाल से वैसे तो बहुत सारे लोग खुश रहे, लेकिन मेडिकल कालेज अस्पताल व यूनिर्वसिटी के कई अधिकारी व कर्मचारी रेगुलर नियुक्त को लेकर उनके पूरे कार्यकाल के दौरान संघर्ष करते रहे। वहीं, डा. राज बहादुर फंड की कमी के कारण कई कमियों व अव्यवस्थाओं को दुरुस्त नहीं कर सके। 

    वाइस चांसलर के कार्यकाल की बड़ी उपलब्धियां-

    1-पंजाब सेहत विभाग की सभी रिक्तियों को भरना, जिसमें अब की पंजाब की सबसे बड़ी डेढ़ लाख अभ्यर्थियों वाली वार्ड अटेंडेंट की सफल परीक्षा भी आयोजित करना है।

    2-गुणवक्तापरक परीक्षा प्रणाली विकसित करनाः बाबा फरीद यूनिर्वसिटी की परीक्षा प्रणाली अब इतनी गुणवक्तापरक हो गई है कि यह यूनिर्वसिटी पीजीआई और एम्स जैसे संस्थानों परीक्षाओं के परिणाम बना रही है। राजस्थान सरकार ने हाल ही में यूनिर्वसिटी की परीक्षा प्रणाली का अध्ययन कर उसे अपनने की घोषणा की है।

    3-पांच माडल ओटी थियेटर

    4-मदर एंड चाइल्ड ब्लाक

    5-सुपर स्पेशलिस्ट हास्पिटल

    6-यूनिर्वसिटी का फार्मेसी कालेज

    7-न्यू कैफेटेरिया पीजीआई की तर्ज पर

    8-इंडोर स्टेडियम केन्द्र सरकार से मंजूर किए

    9-कोरोना काल में उपचार में प्रयोग होने वाली प्रदेश की सभी मेडिकल संसाधनों की खरीद करना

    काेरोना काल में पंजाब के योद्धा बने

    कोरोनाकाल में वीसी डा. राज बहादुर बड़े योद्धा बनकर उभरे थे। हालांकि वह खुद भी इस महामारी की चपेट में आ गए थे। उन्होंने ही कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए वरिष्ठ डाक्टरों के साथ प्रदेश की गाइडलाइन तैयार की, जिसका परिणाम भी बेहतर रहा। प्रदेश में बीमारी से मौतों का आंकड़ा कम रहा। उन्होंने मशीनों व उपकरणों की खरीदारी भी कम दाम में की। कमीशनखोरी नहीं होने दी। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भी डा. राज बहादुर पर विश्वास जताते हुए उन्हें कोरोना संबंधित प्रदेश भर की मेडिकल जरूरतों को पूरा करने को कहा था।

    हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं डा. राज बहादुर

    हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के मूल रूप से रहने वाले डा. राज बहादुर के पिता नंगल डैम में कार्यरत रहे। गरीब परिवार से संबंध रखने के कारण 12वीं तक पढ़ाई के दौरान उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आर्थिक तंगी के कारण कई बार उन्हें पहनने के लिए चप्पल भी नसीब नहीं हाेती थी। हालांकि उन्होंने कभी पढ़ाई से समझौता नहीं किया। अपनी काबलियत के चलते उन्होंने इतना बड़ा मुकाम हासिल किया। आज भी वह मोहाली में लोगों का नि:शुल्क उपचार करते हैं। 

    डा. राज बहादुर के अनुसार उनकी प्राथमिकता फरीदकोट मेडिकल कालेज में सुपर स्पेशलिस्ट वार्ड बनाए जाने के साथ ही उत्तर भारत का पहला चाइल्ड एंड मदर ब्लाक बनाना है, जहां मां और बच्चे के इलाज के लिए सभी तरह की विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हों।

    39 सालों से औसतन राेजाना एक स्पाइन सर्जरी कर रहे डा. राज बहादुर

    वाइस चांसलर डा. राज बहादुर ने पहली स्पाइन सर्जरी शिमला में 1976 में की थी। वह हिमाचल प्रदेश की पहली स्पाइन सर्जरी थी। इसके बाद उन्होंने डाक्टर तुली की देखरेख में बनारस में विशेषज्ञता हासिल की। इसके अलावा ब्रिटेन में भी इस पर दो साल काम किया।

    1984 से वह नियमित रूप से स्पाइनल व ज्वाइंट हिप्प रिप्लेसमेंट की सर्जरी कर रहे हैं। पिछले 39 साल से उनकी रोजाना सर्जरी की संख्या औसतन एक रही है। डा. राज बहादुर ने अपनी सेवा सबसे ज्यादा चंडीगढ़ में दी है। हालांकि वह हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पुड्डुचेरी, दिल्ली, ब्रिटेन और पंजाब में भी दे चुके हैं।

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