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    घटिया क्वालिटी के Sunglasses से बचें, आंखों के लिए खड़ी हो सकती है मुसीबत; जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

    By Jagran NewsEdited By: Rajat Mourya
    Updated: Sun, 04 Jun 2023 08:59 PM (IST)

    अगर आप भी गर्मियों के मौसम में सनग्लासेस लगाने के शौकीन हैं तो यह खबर आपके लिए है। जो भी लोग घटिया क्वालिटी के सनग्लासेस लगा रहे हैं उनको सचेत होने की जरूरत है। वरना आंखों के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है।

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    घटिया क्वालिटी के सनग्लासेस से बचें, आंखों के लिए खड़ी हो सकती है मुसीबत

    लुधियाना, जागरण संवाददाता। सनग्लासेस हमेशा से ही एक स्टाइल सिंबल रहा है, लेकिन जैसे ही गर्मी और धूप बढ़ती है तो इसका इस्तेमाल काफी बढ़ जाता है। गर्मियों में हर उम्र के लोग सनग्लासेस पहनते हुए दिखाई देते हैं। बहुत से लोग सनग्लासेस खरीदने के दौरान उसकी क्वालिटी नहीं देखते हैं। ऐसे में धीरे-धीरे यही सनग्लासेस उनकी आंखों के लिए राहत की जगह आफत बन जाते हैं।

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    शहर के नेत्र विशेषज्ञों के अनुसार, अगर सनग्लासेस अच्छी क्वालिटी के न हों तो इससे आंखों को गंभीर रोग हो सकते हैं। शहर के राणा अस्पताल के आंखों के विशेषज्ञ डॉ. बरिजिंदर सिंह राणा ने कहा कि सनग्लासेस हमेशा यूवी ब्लॉकर होने चाहिए। यूवी ब्लॉकर होने का मलतब अल्ट्रावायलेट रेज को आंखों तक पहुंचने न दें। जब हम घटिया क्वालिटी और यूवी ब्लॉकर सनग्लासेस नहीं लगाते हैं, तो यूवी रेज आंखों के अंदर जाने लगती हैं। जिससे आंखों की पुतलियां फैलने लगती हैं।

    हो सकता है मोतियाबिंद

    उन्होंने बताया कि लगातार ऐसे सनग्लासेस के इस्तेमाल से आंखों में मोतियाबिंद हो सकता है। यूवी रेज के साथ मोतिया होता है। इसके अलावा, नखुना की बीमारी भी हो सकती है। नखुना की बीमारी में आंखों की साइड पर मास बढ़ जाता है। लोगों से यही कहना है कि अगर सनग्लासेस लगाने हैं, तो यूवी ब्लॉकर लगाएं, नहीं तो सनग्लासेस न लगाना ही बेहतर है। डॉ. राणा ने बताया कि हमारे पास ऐसे काफी मरीज आते हैं, जिन्हें गलत सनग्लासेस की वजह से आंखों से संबंधित गंभीर समस्याएं हो गई हैं।

    सनग्लासेस क्यों है जरूरी

    पंजाब के जाने-माने नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. रमेश मंसूरा ने कहा कि धूप का चश्मा पहनना आंखों के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो अपना अधिकांश दिन धूप में बाहर बिताते हैं। धूप का चश्मा हानिकारक पदार्थों और सूर्य के प्रकाश में मौजूद पराबैंगनी विकिरण के प्रभाव से आंखों की रक्षा करता है। यहीं नहीं, जब बादल छाए रहते हैं, तब भी धूप का चश्मा पहनना चाहिए, क्योंकि तब रेडिएशन ज्यादा होती है।

    हालांकि, उन्होंने कहा कि धूप का चश्मा ऐसा होना चाहिए, जो यूवी रेज को आंखों तक पहुंचने न दें। अगर हम ऐसे सनग्लासेस पहनेंगे, जो यूवी रेज को रोकने में प्रभावी न हो, तो इससे शुरुआत में आंखों में एलर्जी और आगे चलकर मोतियाबिंद हो सकता है।