AI का कमाल... बिना ड्राइवर के खेत में जुताई करेगा ट्रैक्टर, किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं यह तकनीक
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने डिजिटल एग्रीकल्चर की ओर कदम बढ़ाते हुए एक ऐसे ट्रैक्टर का प्रदर्शन किया जो बिना ड्राइवर के खेत की जुताई कर सकता है। जीपीएस सेंसर और आइपैड कंप्यूटर से लैस इस ट्रैक्टर में खेत के आकार और जुताई की जानकारी फीड की जाती है। ड्राइवर केवल ट्रैक्टर स्टार्ट करता है फिर AI की मदद से यह ट्रैक्टर खुद ही जुताई करता है।

जागरण संवाददाता, लुधियाना। पारंपरित कृषि को पीछे छोड़कर ‘डिजिटल एग्रीकल्चर’ की ओर कदम बढ़ाते हुए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) ने सोमवार को एक ऐसे ट्रैक्टर को प्रदर्शित किया जिसने पूरे खेत की जुताई बिना ड्राइवर के कर दी।
ट्रैक्टर में लगे जीपीएस, सेंसर, आइपैड कंप्यूटर-आधारित टच स्क्रीन कंट्रोल पैनल में खेत के आकार के साथ-साथ उसकी जुताई कैसे करनी है, यह जानकारी फीड की गई।
ड्राइवर ने केवल ट्रैक्टर को स्टार्ट किया। उसके बाद ड्राइवर ट्रैक्टर से उतर गया। बिना ड्राइवर ट्रैक्टर चलता रहा और पूरे खेत की जुताई बेहतर तरीके से कर दी।
यूनिवर्सिटी की ओर से रिसर्च फील्ड एरिया में ट्रैक्टर बिना ड्राइवर के चलाकर दिखाया गया। यह ट्रैक्टर ग्लोबल नेवीगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) वाले ऑटो -स्टीयरिंग सिस्टम पर आधारित है।
इस तकनीक को अमेरिका से लाया गया है। यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का कहना है कि यह पूरी तरह ड्राइवर-लेस ट्रैक्टर नहीं था। अधिकारियों के अनुसार एआइ के कमाल से |टो-स्टीयरिंग सिस्टम टेक्नोलाजी पर आधारित ड्राइवर-असिस्टेड ट्रैक्टर भविष्य की खेती को बहुत आसान कर देगा।
पीएयू के वीसी डॉ. सतबीर सिंह गोसल ने बताया कि विदेश में बिना ड्राइवर के ही खेतों में ट्रैक्टर व दूसरे वाहन चलते हैं लेकिन ऐसे वाहन हमारे देश में स्वीकृत नहीं है। पीएयू ने भी जो ऑटो-स्टीयरिंग सिस्टम ट्रैक्टर प्रदर्शित किया है, उसमें ड्राइवर का सीट पर बैठना जरूरी है।
इस तरह करते हैं इस्तेमाल, ट्रैक्टर में लगे आइपैड से देते हैं कमान
वीसी डॉ. गोसल ने बताया कि ऑटो -स्टीयरिंग सिस्टम एक सैटेलाइट निर्देशित कंप्यूटर-सहायता प्राप्त उपकरण है जिसे ट्रैक्टर चलाने के दौरान स्टीयरिंग को स्वचालित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
उत्पादकता में होगा सुधार, किसान मेले में भी करेंगे प्रदर्शित ऑटो-स्टीयरिंग जैसे डिजिटल उपकरण से जहां उत्पादकता में सुधार कर सकते हैं, वहीं इससे किसानों का काम भी आसान हो जाता है।
शारीरिक व मानसिक थकान नहीं होती। डीजल की भी बचत होती है। यह लेबर की कमी को भी पूरा करेगा। किसान मेलों में भी ऑटो -स्टीयरिंग सिस्टम वाले इस ट्रैक्टर का लाइव डेमोंस्ट्रेशन दिया जाएगा।
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