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    कृषि अर्थशास्त्री सरदारा सिंह जौहल बोले- कृषि कानून अच्छे थे, जल्दबाजी में लागू होने से हुआ विरोध

    पीएम नरेन्द्र मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा की है। इस पर पद्म भूषण से सम्मानित कृषि अर्थशास्त्री डा. सरदारा सिंह जौहल का कहना है कि कृषि कानून अच्छे थे लेकिन जल्दबाजी में इन्हें लागू करने के कारण विरोध हुआ।

    By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sun, 21 Nov 2021 08:59 AM (IST)
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    कृषि अर्थशास्त्री डा. सरदारा सिंह जौहल की फाइल फोटो।

    जागरण संवाददाता, लुधियाना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 3 कृषि सुधार कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा का चौतरफा स्वागत हो रहा है, वहीं पद्म भूषण से सम्मानित कृषि अर्थशास्त्री डा. सरदारा सिंह जौहल ने कहा कि कानून अच्छे थे, लेकिन जल्दबाजी में लागू होने से इनका विरोध हुआ।

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    डा. जौहल का कहना है कि इन कानूनों को लागू करने का तरीका सही नहीं था, तभी ज्यादा समस्या आई। यदि सिस्टम से चलते, सभी की राय लेकर आगे बढ़ते, जहां संशोधन की जरूरत होती वहां बदलाव करते तो विरोध की संभावना नहीं थी। सरकार ने कानूनों को लागू करने में जल्दबाजी दिखाई और लंबे विरोध के कारण अब बैकफुट पर आना पड़ा।

    दैनिक जागरण से बात करते हुए डा. जौहल ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों को लाने में अध्यादेश लाने की जरूरत नहीं थी। यदि किया भी था तो छह माह का वक्त था। उस दौरान किसान संगठनों एवं सभी पक्षों से राय लेकर बातचीत के साथ आपत्तियां ली जा सकती थीं। उनके समाधान करके सर्वमान्य कृषि सुधार कानून लागू करने की जरूरत थी। सरकार ने जल्दबाजी में यह फैसला लिया और लोगों का सरकार पर विश्वास खत्म हो गया। इसके अलावा आंदोलन को भरपूर जनसमर्थन मिला।

    एमएसपी पर नया गारंटी कानून लाना अहम मुद्दा

    किसानों की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नया गारंटी कानून लाने की मांग के बारे में डा. जौहल ने कहा कि यह भी काफी बड़ा और अहम मुद्दा है। सरकार करीब 22 से 23 फसलों की एमएसपी घोषित करती है। सरकार ट्रेडर नहीं है। सरकार को उन्हीं फसलों की एमएसपी घोषित करनी चाहिए, जिनकी खरीद सरकार की ओर से की जाती है। जो फसलें जल्द नष्ट होने योग्य हों, उनकी एमएसपी नहीं होनी चाहिए। इसमें फायदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि सरकार को कृषि सुधार के लिए सभी पक्षों की राय लेकर ही आगे बढऩा होगा। तभी देश में कृषि क्षेत्र में और बेहतरी आएगी।