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    पंजाब में पराली की आग में नियम कानून 'स्वाह', अब तक 67,165 किसानों ने जलाई पराली, न एफआइआर, न जुर्माना वसूली

    By Vinay KumarEdited By:
    Updated: Wed, 17 Nov 2021 11:18 AM (IST)

    Stubble Burning in Punjab राज्य में इस सीजन में पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। पिछले वर्षों की बात करें तो पराली जलाने के मामले में साल 2019 में 1737 एफआइआर दर्ज हुई थी। 2020 में यह घटकर 48 रह गई थी। इस वर्ष यह आंकड़ा शून्य है।

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    जालंधर के गांव खूण में पराली को लगाई आग को बुझाते लोग। इस मामले में किसी पर कार्रवाई नहीं हुई।

    पटियाला [गौरव सूद]। राज्य में इस सीजन में अब तक पराली जलाने के 67,165 मामले सामने आने के बाद भी किसी किसान के विरुद्ध कोई एफआइआर दर्ज नहीं हुई। यही नहीं, पराली की आग में नियम-कानून भी स्वाहा हो गए। 44,478 स्थानों का जायजा लेकर 2.62 करोड़ जुर्माना तो किया गया, लेकिन वसूली एक रुपये की भी नहीं की गई। वहीं, अगर पिछले वर्षों की बात करें तो पराली जलाने के मामले में साल 2019 में 1,737 एफआइआर दर्ज हुई थी। 2020 में यह घटकर 48 रह गई थी। इस वर्ष यह आंकड़ा शून्य है। इस बार चुनाव के मद्देनजर पंजाब सरकार बैकफुट पर है और चुनाव से पहले सरकार किसानों को नाराज करके अपना वोट बैंक नहीं खोना चाहती। शायद यही कारण है कि पराली जलाने के मामले में किसी भी किसान के खिलाफ कोई एफआइआर दर्ज नहीं हुई।

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    वहीं, अगर पराली जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के मुआवजा वसूली की बात करें तो पराली जलाने के 67,165 मामलों में से 44,478 में करीब दो करोड़ 62 लाख 52 हजार 500 रुपये जुर्माना तो लगाया गया, लेकिन यह जुर्माना भी मात्र कागजों तक ही सीमित रह गया। अब तक जुर्माने के एक रुपये की भी वसूली नहीं हो सकी। मामले में पीपीसीबी अधिकारियों का कहना है कि एफआइआर दर्ज करवाने का अधिकार संबंधित जिलों के जिला प्रशासन के पास है। नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि सरकार की तरफ से किसानों को परेशान न करने के साफ निर्देश हैं। इसी कारण पराली जलाने के मामले सामने आने के बाद भी किसी भी जिले में एफआइआर दर्ज नहीं हुई।

    संगरूर, मोगा और फिरोजपुर में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले

    राज्य में पराली जलाने के कुल 67,165 मामलों में से सबसे ज्यादा 7,627 मामले संगरूर से सामने आए हैं। जबकि 6,248 मामलों के साथ मोगा दूसरे और 5,957 मामलों के साथ फिरोजपुर तीसरे स्थान पर है। वहीं सबसे कम पांच मामले पठानकोट से सामने आए हैं।

    पराली जलाने वालों के खिलाफ जुर्माने का प्रविधान

    एक एकड़ खेत पर पराली जलाने पर 2500 रुपये, दो या दो से ज्यादा एकड़ पर पराली जलाने पर पांच हजार रुपये, पांच एकड़ से ज्यादा पराली जलाने पर दस हजार रुपये, दस एकड़ से ज्यादा पराली जलाने पर 15 हजार रुपये जुर्माना तय किया गया है। इसके अलावा पराली जलाने पर किसान की फर्द में रेड एंट्री भी दर्ज की जाती है। इससे किसानों को सरकारी सब्सिडी और अन्य सुविधाएं मिलनी बंद हो जाती हैं लेकिन इस बार कार्रवाई नहीं हुई।

    मशीनरी महंगी होने के कारण विकल्प नहीं: बीकेयू उगराहां

    बीकेयू उगराहां के नेता जगदेव सिंह ने कहा कि पराली के सही निस्तारण के लिए इस्तेमाल होने वाली कृषि मशीनरी महंगी होने के कारण पराली का प्रबंधन बहुत महंगा हो गया है। किसान पहले से ही वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं, अगर सरकार चाहती है कि किसान पराली न जलाएं तो उन्हें मुआवजे के तौर पर पांच हजार रुपये प्रति एकड़ देना होगा।

    कार्रवाई का अधिकार जिला प्रशासन के पास : पीपीसीबी

    पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन डा. आदर्शपाल विग ने बताया कि पीपीसीबी की तरफ से रोजाना पराली जलाने के मामलों की रिपोर्ट संबंधित जिला के जिला प्रशासन के पास भेजी जाती है। कार्रवाई के बारे में जिला प्रशासन के अधिकारी ही ज्यादा सटीक जवाब दे सकते हैं।