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पंजाब के फरीदकोट जिले की पांच वर्ष में बदल गई तस्वीर, मनरेगा के तहत बन गए 22 नए तालाब

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत फरीदकोट जिले में पांच साल में तस्वीर काफी बदल गई है। इन पांच सालों में फरीदकोट जिले में मनरेगा के तहत 22 नए तालाब बनाए गए हैं ।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 01 Apr 2021 10:37 AM (IST)Updated: Thu, 01 Apr 2021 10:37 AM (IST)
पंजाब के फरीदकोट जिले की पांच वर्ष में बदल गई तस्वीर, मनरेगा के तहत बन गए 22 नए तालाब
फरीदकोट जिले में मनरेगा के तहत तालाबों का निर्माण। जागरण

फरीदकोट [प्रदीप कुमार सिंह]। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का इससे बेहतर इस्तेमाल नहीं हो सकता। भूमिगत जल की स्थिति के लिहाज से पंजाब के बेहद संवेदनशील फरीदकोट जिले में पांच साल में तस्वीर काफी बदल गई है। इन पांच सालों में जिले में मनरेगा के तहत 22 नए तालाब बनाए गए हैं। इनमें से 16 माडल तालाब है। ये ऐसे तालाब हैं, जिनके चारों ओर पक्का फुटपाथ है और किनारों पर पौधे लगाए गए हैं। लोगों के बैठने के लिए बेंच व हट्स की व्यवस्था भी है। इनमें वो तालाब शामिल हैं जो कम से कम ढाई एकड़ जमीन पर बने हैं। छह अन्य छोटे तालाब भी बनाए गए हैं।

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फरीदकोट के 150 तालाबों का जीर्णोद्धार भी मनरेगा के तहत ही किया गया है। इससे सैकड़ों लोगों को रोजगार तो मिला ही, तालाबों के किनारे पौधे लगाने से पर्यावरण भी सुधरा। तालाब के पानी का इस्तेमाल का सिंचाई के लिए भी किया जा रहा है। ट्यूबवेल पर बोझ कम होने से भूमिगत जलस्तर भी बढ़ा है। इन तालाबों में से पचास फीसद से ज्यादा में साल भर पानी लबालब रहता है।

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एडीसी (डी) प्रीत मोहिंदर सहोता ने बताया कि मनरेगा के तहत बनाए गए यह तालाब बारिश के पानी को संरक्षित करने के साथ ही रोजगार व पर्यावरण की दृष्टि से काफी अहम हैं। सभी पंचायतों को गांव में कम से कम एक बड़ा तालाब बनवाने का प्रस्ताव पास करना चाहिए। उन्होंने बताया कि गांव पक्का चार में भूमिगत जलस्तर पहले 40 फुट तक पहुंच गया था, जो अब 34 से 35 फुट तक आ गया है। यहां चार एकड़ क्षेत्र में तालाब बनाया गया है, जो हमेशा पानी से लबालब रहता है।

तालाब की वजह से ग्रामीणों को अब जमीन से मीठा पानी पेयजल के रूप में मिलने लगा है, जो पहले बहुत खारा हुआ करता था। पहले इस तालाब हालत काफी दयनीय हो गई थी। साल के अधिकांश समय यह सूखा ही रहता था। ग्रामीणों जसविंदर सिंह, गुरजीत सिंह ढिल्लों और भोला सिंह ने बताया कि जमीन के नीचे का पानी खारा होने की वजह से काफी परेशानी होती थी। अब काफी सुविधा हो गई है। पानी मीठा होने लगा है।

सभी ब्लाक में पांच माडल तालाब

एडीसी प्रीत मोहिंदर सिंह सहोता ने बताया कि 2020 में सरकार ने सभी ब्लाकों में पांच-पांच माडल तालाब बनाने को मंजूरी दी थी। ये सभी बनकर तैयार हो गए हैं। एक तालाब पर ढाई लाख के करीब खर्च आया। एक तालाब तीन लाख रुपये की लागत से बनाया गया है। जिले के तीन ब्लाक में औसत भूमिगत जलस्तर 20 से 25 फुट है, जिसमें सुधार हो रहा है।

मछली पालन से सालाना ढाई लाख की कमाई

गांव पक्का चार के सरपंच दर्शन सिंह बताते हैं कि तालाब से लोगों की परेशानियां काफी हद तक दूर हो गई हैं। अब गांव के सभी पशुओं को नहाने व पीने के लिए साल भर अच्छा पानी मिलता है। पंचायत के लोग ठेके पर यहां मछली पालन भी कर रहे हैं। इससे पंचायत को सालाना ढाई लाख रुपये की आमदनी भी होती है।

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