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    40 लैपटॉप खरीदने में 20.60 लाख का 'खेल', लुधियाना स्मार्ट प्रोजेक्ट में अफसरों ने ऐसे किया स्कैम

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 09:01 AM (IST)

    लुधियाना नगर निगम के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में कंप्यूटर और हार्डवेयर खरीद में भारी वित्तीय अनियमितता पाई गई है। 3.08 करोड़ रुपये की खरीद में लगभग 70 लाख रुपये का घपला हुआ है जिसमें उपकरणों को बाजार दर से दोगुनी कीमत पर खरीदा गया। निगम कमिश्नर ने जांच कराने की बात कही है। इस घोटाले में कई निगम अधिकारियों की मिलीभगत होने की आशंका है।

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    Punjab News: लुधियाना स्मार्ट प्रोजेक्ट में बड़ा स्कैम (File Photo)

    जागरण संवाददाता, लुधियाना। लुधियाना नगर निगम के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कंप्यूटर और हार्डवेयर की खरीद में भारी वित्तीय अनियमितता सामने आई है।

    दैनिक जागरण की पड़ताल में इस बात का पर्दाफाश हुआ है कि 3.08 करोड़ रुपये की खरीद में लगभग 70 लाख रुपये का घपला किया गया है।

    कई उपकरणों की खरीद बाजार दर से दोगुनी या उससे भी अधिक कीमत पर की गई है। उदाहरण के तौर पर, निगम ने एसर कंपनी के 40 लैपटॉप खरीदे, जिनकी वास्तविक कीमत 53,500 रुपये थी, लेकिन निगम को ये 1.05 लाख रुपये प्रति लैपटॉप की दर पर दिए गए।

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    सिर्फ लैपटॉप की खरीद में ही 20.60 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा हुआ है। इसी तरह 27 रुपये मीटर तार को पांच गुना अिधक कीमत पर खरीदा गया। निगम कमिश्नर आदित्य डेचलवाल ने कहा कि उन्होंने निगम में बतौर कमिश्नर वर्ष 2024 में ज्वाइन किया है, इसलिए उन्हें नहीं पता है कि इस मामले में क्या-क्या हुआ है। उन्होंने कहा िक इसकी जांच करवाई जाएगी।

    दैनिक जागरण ने दो स्थानीय शोरूम से कोटेशन प्राप्त किए, जिन्होंने खरीद रेट और बाजार भाव में अंतर को स्पष्ट कर दिया।

    एक बात और सामने आई है कि निगम की तरफ से कोटेशन लेते समय सिर्फ एक या दो पीस लैपटॉप खरीद की बात कही गई थी, जबकि यदि बल्क में खरीदारी की बात की जाती तो कीमत और कम हो सकती थी।

    इस पूरे प्रकरण की जानकारी लुधियाना से लेकर चंडीगढ़ तक के अधिकारियों को है, लेकिन जांच की आशंका से सभी चुप्पी साधे हुए हैं।

    यदि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच हुई, तो कई बड़े निगम अधिकारी सवालों में िघर सकते हैं। इनमें चंडीगढ़ बैठे अधिकारी भी शामिल हैं। गौरतलब है कि लुधियाना में विश्व बैंक से कर्ज लेकर 24 घंटे नहरी पेयजल सप्लाई की योजना पर काम चल रहा है।

    इस पर लगभग 3,400 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। विश्व बैंक का साफ कहना है कि निगम के दफ्तर डिजिटलाइज होने चाहिए, इसलिए निगम अधिकारियों को कंप्यूटर व हार्डवेयर खरीदने के लिए विश्व बैंक की तरफ से ग्रांट दी गई थी। निगम के भ्रष्ट अधिकारियों ने वर्ष 2023 में कंप्यूटर हार्डवेयर से संबंधित कंपनी के साथ घपला शुरू किया।

    पहले विभिन्न कार्यालयों में कंप्यूटर हार्डवेयर से संबंधित वस्तुओं की खरीद के लिए लगभग चार करोड़ की योजना तैयार की गई। जब घपलेबाजी का खेल खेला गया, तब स्मार्ट सिटी के इंचार्ज संजय कंवर थे।

    ऐसे खेला गया खेल

    टेंडर में दो कंपनियों ने हिस्सा लिया था। पहली कंपनी है, चावला डिजिटल सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड और दूसरी कंपनी वेनटेज नेटवर्क सोल्युशन प्राइवेट लिमिटेड। इस टेंडर में कुल 14 वस्तुओं की खरीद गई है। टेंडर में चावला डिजिटल ने सबसे कम रेट डाला था, इसलिए नियमानुसार चावला डिजिटल को एल वन बनाकर कंप्यूटर हार्डवेयर सप्लाई करने का वर्क ऑर्डर कर दिया गया।

    अगर सिर्फ लैपटॉप की बात करें तो चावला डिजिटल की तरफ से इसका रेट 1.25 लाख रुपये रखा गया था। वर्कऑर्डर जारी करने से पहले निगम अधिकारियों ने इसका रेट कम करवा 1.05 लाख करवा दिया। हालांकि मार्केट में यही लैपटॉप महज 53 हजार रुपये में आसानी से मिल रहा था। चूंकि इस खेल में सभी अधिकारियों को बराबरी का हिस्सा मिल रहा था, इस कारण सभी ने चुप्पी साध ली।