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    धर्म वास्तव में ईश्वर की प्रत्यक्ष अनुभूति है : स्वामी विकासानंद

    संस, लुधियाना: दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा न्यू किचलू नगर स्थित, श्री शिव शक्ति मंदिर के तत्

    By JagranEdited By: Updated: Sun, 23 Jul 2017 07:43 PM (IST)
    धर्म वास्तव में ईश्वर की प्रत्यक्ष अनुभूति है : स्वामी विकासानंद

    संस, लुधियाना: दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा न्यू किचलू नगर स्थित, श्री शिव शक्ति मंदिर के तत्वावधान में कराई जा रही भगवान शिव की पावन कथा के चौथे दिन स्वामी विकासा नंद ने कहा कि वर्तमान समय में बहुत सारे शिव भक्त भगवान शिव की नकल करते हुए यह कहते हैं कि हम भी भगवान शिव की तरह मस्त हैं। वह यह भूल जाते हैं कि भगवान ने भक्ति का नशा किया और हम यह संसारिक नशे का सेवन कर उनकी नकल कर रहे हैं। आज प्रत्येक वर्ग नशे का आदि हो गया है। तरह-तरह के नशे का सेवन करना उसकी आदती बन गई है। आज हम यह भूल जाते हैं कि जो नशा हम शौक से कर रहे हैं, वो नशा शौक से शुरू होकर शोक पर समाप्त होता है। इसलिए यदि शिव की भाति आप भी मस्त होना चाहते हैं तो आपको भगवान शिव के तत्व रूप से जानना पड़ेगा जो कि पूर्ण गुरु की कृपा द्वारा ही संभव है। आगे उन्होंने बताया कि भगवान शिव का वाहन नंदी है जो कि धर्म का प्रतीक है। धर्म वास्तव में ईश्वर की प्रत्यक्ष अनुभूति है, जो कि आत्म ज्ञान के द्वारा ही संभव है। आज आवश्यकता है भगवान शकर को मानने की नहीं बल्कि उनके उपदेशों को जीवन में धारण करने की। इस दौरान साध्वी मनजीत भारती, साध्वी सोमप्रभा भारती ने समुधर भजनों एवं चौपाईयों का गायन किया। इस अवसर पर पंडित सोहन लाल शास्त्री, चमन लाल चेटली, अनिल गर्ग, के.के. गर्ग, ऋषि कुमार, गुरशरण कुमार, जसवीर सिंह, हरीश कुमार आदि संकीर्तन महिला मंडल आदि उपस्थित थे।

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