सम्मान का अर्थ है बराबर का मान : कुमार स्वामी जी
जेएनएन, लुधियाना महामंडलेश्वर ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी जी ने कहा कि सम्मान का अर्थ है सम-मान अर्थात
जेएनएन, लुधियाना
महामंडलेश्वर ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी जी ने कहा कि सम्मान का अर्थ है सम-मान अर्थात बराबर का मान। सम्मान जिसको दिया जाता है, वह तो बड़ा होता है, लेकिन जो सम्मान देता है, वह भी उसके बराबर हो जाता है। गुरु का सम्मान शिष्य करता है तो वह गुरु के समान ही ज्ञान का अधिकारी हो जाता है। जो सम्मान करता है, वह मानवीय मूल्यों में बड़ा होता है, उसकी भावना उसे गुणी व्यक्ति का सम्मान करने की प्रेरणा देता है। ऐसे व्यक्ति के अंदर प्रेम का विशाल समुद्र होता है। गुरु का सम्मान जब शिष्य करता है तो गुरु आशीर्वाद देता है सोहम् अर्थात जो मैं हूं वो तुम भी हो जाओ। कोई राष्ट्रपति कभी किसी को राष्ट्रपति नहीं बनाता, कोई प्रधानमंत्री किसी को प्रधानमंत्री नहीं बना सकता। कोई धनवान किसी को धनवान नहीं बनाता। नौकर बना सकता है, लेकिन गुरु आपको सोना बना सकता है। शिष्य को ऐसा मंत्र प्रदान करता है कि वह उसका पाठ करके सब कष्टों व बुराइयों से मुक्त हो जाता है। गुरु के लिए इसका कोई महत्व नहीं है कि वह व्यक्ति कौन है, जो उसकी शरण में आया जिस प्रकार पारस को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि लोहे का हथियार है या मूर्ति है, मंदिर में बजने वाला चिमटा है या किसी बधिक का मांस काटने वाला हथियार है, उसे तो उसे छूकर सोना बना देना है।
इक लोहा पूजा में राखत, इस घर बधिक परयो।
गुण अवगुण नहीं देखत पारस कंचन करते खड्यो।।
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