योग से होता है शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक विकास : अनिल कोछड़
संवाद सहयोगी फगवाड़ा भारतीय योग संस्थान फगवाड़ा के प्रधान अनिल कोछड़ ने कहा कि योग से शारीरिक और मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। इससे लोगों को आंतरिक मन में झांकने तथा शारीरिक संरचना और विभिन्न अंगों को आपसी सामंजस्य के साथ कार्य करने में बल मिलता है।

संवाद सहयोगी, फगवाड़ा : भारतीय योग संस्थान फगवाड़ा के प्रधान अनिल कोछड़ ने कहा कि योग से शारीरिक और मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। इससे लोगों को आंतरिक मन में झांकने तथा शारीरिक संरचना और विभिन्न अंगों को आपसी सामंजस्य के साथ कार्य करने में बल मिलता है। वर्तमान में योग हमारी आवश्यकता बन चुकी है। इसके फायदे लोगों को आकर्षित करते हैं। योग के संचालन के लिए खास व्यवस्था भी करने की आवश्यकता नहीं है। योगाभ्यास छोटे स्थानों पर भी किया जा सकता है।
योग के विभिन्न आसनों से शरीर के अंदर विभिन्न अंगों की क्रियाशीलता बढ़ती है। उनके द्वारा वांछित मात्रा में ही एंजाइम का उत्सर्जन होता है। जो शरीर को संतुलित रखने में उपयोगी होता है। योग जिमनास्टिक अथवा व्यायाम नहीं है जो शरीर की मांसपेशियों को उदित कर गठीला बनाता है। बल्कि योग एक ऐसी विद्या है जो मनुष्य को एक ही अवस्था में घंटों बने रहने की क्षमता प्रदान करता है। जिससे शरीर के अंदर के अंग प्रभावित होते हैं। इसके साथ ही शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विभिन्न क्रियाओं में संतुलन होता है। जिसके लिए लोगों को महज विभिन्न आसनों का अभ्यास ही करना है। विभिन्न आसनों के अभ्यास मात्र से शारीरिक ताजगी और मानसिक एकाग्रता प्राप्त होती है। शांति के साथ ही परिवार और परिवेश में शालीनता आती है। अच्छे विचारों का संचरण होता है और समाज में खुशहाली मिलती है।
योग का पौराणिक महत्व
योग की विद्या के साक्ष्य पौराणिक काल से ही है। सिधु घाटी सभ्यता में भी इसके उदाहरण देखे गए हैं। योग के 84 हजार आसन बताए गए हैं। योग और आसन जीवन के विभिन्न मुद्राओं का संयोग है। जिससे जाने अनजाने में सभी लोगों को रूबरू होना पड़ता है। जीवन की विकृत हो रही स्थिति से लोगों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है उसके निराकरण के लिए योग सर्वथा उपयोगी है। योगाभ्यास से जहां लोगों की जीवन शैली में बदलाव हो रहा है वहीं बहुत से असाध्य रोगों से भी निजात मिल रहा है।
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