कीड़े-मकोड़ों की पर्यावरण में अहम भूमिका : डा. एचएस रोज
पुष्पा गुजराल साइंस सिटी की ओर से राष्ट्रीय जैविक विभिन्नता सप्ताह मनाया।

जागरण संवाददाता, कपूरथला : पुष्पा गुजराल साइंस सिटी की ओर से राष्ट्रीय जैविक विभिन्नता सप्ताह दौरान विद्यार्थियों व आम लोगों के लिए रोजाना वेबिनार करवाया गया। वीरवार को तितलियां, कीड़े मकोड़ों की विभिन्नता व वातावरण को बनाए रखने में इनकी भूमिका के विषय पर वेबिनार करवाया गया, जिसमें पंजाब के 300 से अधिक विद्यार्थियों व अध्यापकों ने वर्चुअल ढंग से हिस्सा लिया।
इस मौके पर गुरु काशी यूनिर्वसिटी तलवंडी साबो बठिडा के पूर्व प्रो. चासलर डा. एचएस रोज मुख्य प्रवक्ता के तौर पर उपस्थित हुए। उन्होंने विद्यार्थियों व अध्यापकों को जानकारी देते हुए बताया कि जैविक विभिन्नता दिवस मनाने का उद्देश्य आम लोगों में जैविक विभिन्नता के रख रखाव प्रति जागरुकता पैदा करना है। योजनाबद्ध व गैर योजनाबद्ध तरीके से हो रहे लगातार शहरीकरण, बढ़ रही जनसंख्या, आद्योगीकरण व एकाधिकार के युग में जैविक विभिन्नता को बचाना बहुत जरुरी है। तितलियों व दूसरे कीड़े मकोड़ों का पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में अहम रोल है। खेती व बागबानी की फसलों में पैदा होने वाले यह कीड़े-मकोड़े जहां भोजन के लिए पराग अहम स्रोत है। वहीं पर्यावरण संतुलन का संकेतक भी है, उन्होंने आगे कहा कि अलग-अलग रंगों व आकार की दिखने वाली तितलियों की पूरे विश्व में 28 हजार से भी अधिक प्रजातियां हैं। इनमें से 80 फीसद तितलियां कंडी क्षेत्रों में ही पाई जाती हैं। इनका जीवन सुगंध व पके हुए फलों पर निर्भर है। अर्थात जहां पके हुए फल की सुगंध होगी, वहीं तितलियां देखने को मिलेगी।
साइंस सिटी की डायरेक्टर जनरल डा. नीलिमा जैरथ ने वेबिनार में उपस्थित विद्यार्थियों व अध्यापकों का स्वागत करते हुए बताया कि धरती पर पाए जाने वाली जैविक विभिन्नता में से तितलियां ही एक ऐसा जीव हैं, जोकि पर्यावरण बदलाव अर्थात तापमान, नमी, रोशनी व बारिश के अनुसार अपने आपको आसानी से ढाल लेती हैं। तितलियों को उड़ते हुए फूल कहा जाता है और जब यह उड़ती हैं तो अलग नजारा देखने को मिलता है। उन्होंने लोगों को अपील की है कि अपने घरों के बगीचों में रसायन व कीटनाशकों का कम से कम प्रयोग करें, ताकि हम कुदरत की इस देन को अधिक से अधिक पनपने का मौके दे सके।
साइंस सिटी के डायरेक्टर डा. राजेश ग्रोवर ने बताया कि भारत के महानगरों के शहरों में उद्योगों व वाहनों का प्रदूषण खतरे के निशान पर है। इस दौरान हमें अपने बगीचों में ऐसे पौधे लगाने चाहिए। जिनसे तितलियों को सारा साल भोजन मिल सके। ऐसा करके हम जहां इन जीवों को बचाने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते है, वहीं वातावरण को भी बचाया जा सकता है।
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