Updated: Thu, 11 Sep 2025 08:47 PM (IST)
सुल्तानपुर लोधी के मंड क्षेत्र में बाढ़ के बाद हालात गंभीर हैं। पानी घटने से तबाही के निशान दिखने लगे हैं सड़कें टूट गई हैं फसलें बर्बाद हो गई हैं और घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। किसान नेता जतिंदर सिंह महिवाल ने बताया कि धान की फसल पूरी तरह गल गई है जिससे भारी नुकसान हुआ है और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
अरविंद पाठक, सुल्तानपुर लोधी। मंड एरिया में दरिया ब्यास और सतलुज के पानी की मार के बाद नई मुसीबत ने घेर लिया है। दरिया का उफान जहां थमने लगा है, वहीं खेतों और घरों में अभी पानी कम हो रहा है। जैसे-जैसे पानी घट रहा है, उसी तरह से पानी की सतह में समाए बर्बादी के राज उभरने शुरू हो गए हैं।
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अब जब मंड क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया गया तो पाया गया कि कई जगहों पर गांवों तक जाने वाली सड़कें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं। बाढ़ के कारण फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। कई लोगों के घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिसकी भरपाई मुश्किल लग रही है।
कुछ दानदाताओं और संगठनों ने इस मुश्किल घड़ी में इन लोगों का हाथ थामा है, लेकिन बाढ़ से हुए भारी नुकसान के कारण इन्हें फिर से बसाने में समय लग सकता है। गांव महिवाल के किसान नेता जतिंदर सिंह महिवाल और अमर सिंह मंड ने बताया कि उनकी धान की फसल पूरी तरह गल गई है।
जो फसलें उन्हें उगानी थीं, वे नष्ट हो गई हैं और बर्बाद हुई फसल उन्हें जमीन में जोतनी पड़ रही है। जिनकी भरपाई सरकार की ओर से मात्र 20 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने से नहीं होगी। उन्होंने कहा कि फसल कटाई से पहले किसान को कई उम्मीदें होती हैं, वे उम्मीदें टूट गई हैं।
दूसरी ओर, मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। कुछ की छतें गिर गई हैं, कुछ में दरारें आ गई हैं और कुछ मकान बाढ़ के पानी में ढह भी गए हैं। इसके अलावा, कई मानव शव और मृत पशु भी बह रहे हैं, जो प्रदूषित पानी में लगातार दुर्गंध फैला रहे हैं। इससे लोगों का यहां रहना मुश्किल हो रहा है और ऐसे दुर्गंध भरे वातावरण में कई बीमारियां फैलने का खतरा भी बढ़ रहा है।
हरिके से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण जलस्तर लगातार कम हो रहा है। वहीं, मंड एरिया में मिले शव की सूचना स्थानीय पुलिस को दे दी गई है। अमृतसर और कई अन्य जिलों में फैली भयंकर बदबू को देखकर कपूरथला स्वास्थ्य विभाग चुपचाप तमाशा देख रहा है। प्रशासन किसी बीमारी के फैलने का इंतजार कर रहा है।
इस बाबत जब जिला सिविल सर्जन डॉ. राजीव पराशर और डीसी कपूरथला अमित पांचाल से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो दोनों अधिकारियों ने फोन नहीं उठाया। किसान नेताओं ने कहा कि सारी समस्याएं पानी उतरने के बाद ही शुरू होंगी। इ
से पहले से रोकना बेहद जरूरी है। किसान नेता जतिंदर सिंह मेहवाल ने कहा कि खेतों में रेत और मिट्टी के टीले बन गए हैं, जिससे अगले चार-पांच महीने तक किसी भी फसल की कोई उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा कि पशुओं के लिए हरे चारे का प्रबंध करना एक बड़ी समस्या बन गई है। इस मौके पर जतिंदर सिंह, कुलविंदर सिंह, हरप्रीत सिंह, नरिंदर सिंह, हरदीप सिंह आदि भी मौजूद थे।
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