कपूरथला में बाढ़ से लोगों को बचाने उतरी भारतीय सेना, DC के अनुरोध पर संभाला मोर्चा
कपूरथला में बाढ़ की गंभीर स्थिति को देखते हुए डीसी के अनुरोध पर भारतीय सेना ने मोर्चा संभाला है। लेफ्टिनेंट कर्नल तरुण कुमार के नेतृत्व में जवानों ने चार बोटों के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। एसडीआरएफ और सीचेवाल के सेवादारों ने भी बचाव कार्य में सहयोग किया जिससे प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित निकाला जा सका।
जागरण संवाददाता, कपूरथला। जिला कपूरथला में बाढ़ की भयावह स्थिति से निपटने के लिए सेना ने मोर्चा संभाल लिया है।दरिया ब्यास के पानी से घिरे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए डीसी कपूरथला अमित कुमार पांचाल के सेना से अनुरोध किया।
जिसके बाद लेफ्टिनेंट कर्नल तरुण कुमार, एक सीनियर अधिकारी, 4 जेसीओ और 40 जवान लेकर सुल्तानपुर लोधी के मंड एरिया पहुंच गए हैं। आर्मी के जवान के लिए चार बोट भी लेकर आए हैं।
डीसी अमित कुमार पांचाल ने बताया कि एसडीआरएफ की टीम ने गुरुवार को बाढ़ प्रभावित गांवों से 100 लोगों और सीचेवाल के सेवादारों की ओर से 60 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
उन्होंने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है और बाढ़ प्रभावित गांवों में रह रहे प्रभावित लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सेना की मदद करने का अनुरोध किया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार करके मोर्चा संभाल लिया है।
उधर, उफनते दरिया का जलस्तर गुरुवार की सुबह 2.30 लाख क्यूसेक तक बढ़ गया, जिससे सुल्तानपुर लोधी के मंड इलाकों के पानी में डूबने से इन गांवों में रहने वाले 2000 लोगों की जान खतरे में पड़ गई।
सीचेवाल के सेवादारों और प्रशासन ने दोपहर में लोगों को निकालने के लिए आठ मोटर बोट लगाईं। प्रभावित परिवारों की जान बचाने के लिए एसडीआरएफ की टीमों को भी लगाया गया है, जो पहले अपने घरों से निकलने से हिचकिचा रहे थे।
उन्हें डर था कि अगर वे घर छोड़ेंगे तो उनके घरों में चोरी हो सकती है। सीचेवाल ने कहा कि अब प्रभावित किसान 8-10 फीट तक पानी का स्तर बढ़ता देख बचाने के लिए चिल्ला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मोटर बोट की कमी है और इतनी बड़ी संख्या में लोगों को निकालने के लिए आठ नाव अपर्याप्त थीं।
जिला प्रशासन के अनुरोध पर सेना के आने से अब लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाने के काम में तेजी आ गई है। गुरुवार को शहर के निवासियों ने उस समय राहत की सांस ली , जब बारिश थमने के बाद धूप खिल उठी।
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