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    कपूरथला में बाढ़ के बाद घट रहा जलस्तर, क्या बीमारियों को दे रहा दावत?

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 10:47 PM (IST)

    मंड क्षेत्र में बाढ़ के एक महीने बाद जलस्तर घटने से बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। हालांकि जलस्तर कम हो रहा है लेकिन पानी का तेज बहाव अभी भी नुकसान पहुंचा रहा है। कई बांध टूटने से फसलें बर्बाद हो गई हैं और लोग पलायन कर रहे हैं। सामाजिक संगठन राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं लेकिन पानी उतरने के बाद बीमारियों का डर सता रहा है।

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    राहत शिविरों में सामाजिक संगठनों की सेवा (फोटो: जागरण)

    संवाद सहयोगी, सुल्तानपुर लोधी। मंड क्षेत्र को बाढ़ की चपेट में आए एक माह हो गया है। बेशक जलस्तर घट रहा है लेकिन बहाव में तेजी पहले से ज्यादा मार कर रही है। कई अस्थायी बांध टूटने से जहां हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई है वहीं 8-10 घर ढह गए हैं।

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    जलस्तर घटने से डूबी फसलें अब साफ दिखाई देने लगी हैं, लेकिन यह खराब हो चुकी हैं। बाढ़ पीड़ितों की ओर से अपने घरों का सामान लेकर पलायन किया जा रहा है। सामाजिक संगठनों की ओर से प्रभावित गांवों में बोट के जरिये दौरे कर राहत सामग्री पहुंचाने का क्रम निरंतर जारी है।

    मंड बाऊपुर के किसान नेता परमजीत सिंह बाऊपुर की मानें तो पानी घटा, लेकिन दरिया ब्यास में पानी का बहाव तेज हो गया, जिससे अब यह और ज्यादा मार कर रहा है। असली चुनौती तो पानी उतरने के बाद की है, जब बीमारियों की आशंका अधिक होगी।

    उधर, संत बलबीर सिंह सीचेवाल की ओर से खुद और उनके सेवादार लगातार बाढ़ प्रभावित गांवों से लोगों, बच्चों को रेस्क्यू करके बाहर ला रहे हैं। प्रशासन द्वारा भी सेहत सुविधाओं के साथ-साथ विभिन्न सुविधाओं को भी प्रदान किया जा रहा है।

    एसडीआरएफ की टीमें करीब 25 दिनों से भी ज्यादा निरंतर दिन-रात कार्य कर रही है। मंड बाऊपुर जदीद पुल पर बनाए गए राहत शिविरों में सामाजिक संगठनों द्वारा राहत सामग्री भी पहुंचाई जा रही है और विभिन्न संगठनों द्वारा उन शिविरो में अपनी सेवाएं दी जा रही है।

    मंड क्षेत्र में पानी कम होने से विभिन्न प्रकार की बीमारियों के फैलने का भय बना हुआ है। प्रशासन की ओर से समय-समय पर निरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के गांवों में घर-घर जा लोगों के स्वास्थ्य जांच भी की जा रही है। जरूरत अनुसार दवाई दी जा रही है। जिला प्रशासन की ओर से गठित स्वास्थ्य विभाग की टीमें लोगों को बीमारियों से बचाव के लिए जागरूक कर रही हैं।

    संत बलबीर सिंह सीचेवाल और विधायक राणा इंदर प्रताप की ओर से मुहैया करवाए गए बड़े बेड़ों की बदौलत इस आपदा में कई जिंदगियां बची हैं। इतना ही नहीं मवेशियों को भी पानी से बाहर निकालने में ये सहायक साबित हुए हैं।

    सिविल अस्पताल की टीमें मंड क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने में जुटी हैं। साथ ही एसजीएल चेरिटेबल अस्पताल जालंधर और फाइव रिवर हार्ट एसोसिएशन पिछले 20 दिनों से बाऊपुर पुल पर मोबाइल मेडिकल कैंप लगाकर सेवा कर रहे हैं।