कपूरथला: विदेशी मेहमानों ने दिखाई सनातन धर्म में दिलचस्पी, 235 साल पुराने मंदिर में डालीं हवन में आहुतियां
रूस से आए पर्यटकों ने कपूरथला के पंच मंदिर में सनातन धर्म के प्रति अपनी रुचि दिखाई। उन्होंने मंदिर में दर्शन किए, हवन में भाग लिया और भारतीय संस्कृति को करीब से जाना। योग प्रशिक्षक जसविंदर उन्हें भारत की विरासत से परिचित करा रहे हैं, जिससे विदेशी मेहमानों को शांति और खुशी का अनुभव हो रहा है।

कपूरथला: विदेशी मेहमानों ने दिखाई सनातन धर्म में दिलचस्पी। फोटो जागऱण
महेश कुमार, कपूरथला। रशिया से भारत भ्रमण पर आए विदेशी मेहमानों ने सनातन धर्म की खासी दिलचस्पी दिखाई है। हेरिटेज सिटी कपूरथला के 235 साल पुराने पंच मंदिर नतमस्तक होने पहुंची पांच रशियन मेमों (गोरियों) ने जहां मंदिर में शीश निवाया, वहीं हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों का अनुसरण करते हुए हवन यज्ञ में आहुतियां भी डालीं।
पूरी आस्था के साथ हाथ जोड़कर पांचों विदेशी मेहमानों ने धार्मिक आस्था को आत्मसात किया। इस दौरान सभी रशियन मेहमान अपने फोन में मंदिर परिसर के हर पल को कैद करते दिखे। यहां तक मंदिर में स्थापित श्री राधा-कृष्ण की प्रतिमा के साथ सेल्फी भी ली। कपूरथला के मूल निवासी योग व मेडिटेशन इंस्ट्रक्टर जसविंदर उर्फ जस्सी के साथ रशिया से पहली बार आई एलिना, मारिया, नतालिया, कोलगा व अन्य छह दिन तक कपूरथला में रहेंगी।
यहां वह कपूरथला की पुरातन रियासत से संबंधित इमारतों को निहारेंगी और यहां के संस्कृति को समझने की कोशिश करेंगी। शुक्रवार की दोपहर को मौरिश मस्जिद को देखने के बाद पंच मंदिर पहुंचे डेलीगेशन का योग शिक्षिका प्रवीण चौंकरिया, जतिन शर्मा, सोनू व अन्य ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान जस्सी ने बताया कि वह अलग-अलग देशों का दौरा करते रहते हैं।
अब तक वह 26-27 विदेशी मेहमानों को भारतीय की अमीर विरासत से रूबरू करवा चुके हैं। इस पांच सदस्यीय रशियन मेहमानों के डेलीगेशन ने भारत समेत कपूरथला का दौरा करने की इच्छा जाहिर की। जिसके वह इन्हें यहां लेकर आए हैं।
भारतीय भाषा व इंग्लिश से परिचित न होने के चलते जस्सी ने रशियन भाषा में बातचीत की तो पहली बार भारत आईं एलिना ने कहा कि भारत के बारे में सुना बहुत था। यहां आकर बहुत शांति मिली और खुशी भी मिली है।
वहीं, नतालिया ने कहा कि पहले आए डेलीगेशन ने भारत के बारे में बताया तो उसके मन में यहां आने की इच्छा प्रबल हो गई। यहां आकर जैसा सुना था, वैसा ही पाया। इसके लिए जस्सी का धन्यवाद करते हैं, जो यहां हमें लेकर आए हैं। फिर डेलीगेशन ने मंदिर में नतमस्तक होकर मंदिर का कोना-कोना देखा।
फोटो क्लिक कीं, सेल्फियां लीं। फिर पंडित जी ने मंत्रोच्चारण के साथ हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाईं। इस दौरान रशियन मेमों ने पूरी धार्मिक आस्था का अनुसरण किया और हाथ जोड़कर हवन यज्ञ में बैठी रहीं।

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