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    गतका से बनाई पहचान, गुरविंदर ने बढ़ाया मान

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 07 Mar 2022 08:38 PM (IST)

    सुल्तानपुर लोधी निवासी गतका कोच गुरविंदर कौर युवाओं को गतके का प्रशिक्षण दे रही है।

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    गतका से बनाई पहचान, गुरविंदर ने बढ़ाया मान

    जागरण संवाददाता, कपूरथला : गतका को आम तौर पर पुरुषों का खेल समझा जाता था लेकिन बुढढा दल के निहंग सिंह परिवार में पैदा हुई गुरविदर कौर ने इस भ्रम को तोड़ दिया है। वह खुद गतका की निपुण खिलाड़ी बनी तथा कई लड़कियों को गतका का प्रशिक्षण दे चुकी है।

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    सुल्तानपुर लोधी निवासी गुरविदर कौर ने ताने सहकर लड़कों के साथ प्रशिक्षण हासिल कर यह मुकाम प्राप्त किया है। उसे सबसे बड़ा साथ माता-पिता की ओर से मिला और फिर गुरविदर कौर ने कभी पीछे मुड़कर देखा। शस्त्र विद्या से गुरविदर में इंकलाबी तबदीलियां आई। गतके की विद्या उसे विरासत में ही मिली। उसके दादा के छोटे भाई सोहन सिंह पालकी वाले गतके के बड़े उस्ताद थे। गुरविदर ने दादा से अपील की कि वे गतका खेलना चाहती है लेकिन उन्होंने उसे लड़की होने की वजह से मना कर दिया। गुरविंदर जब नगर कीर्तन में सिखों को गतका खेलती देखती, तो उसका भी खेलने को दिल करता लेकिन कोई भी उसे सिखाता नहीं था क्योंकि वह लड़की थी। फिर उसने एक दिन बड़ी नम्रता से अपने दादा से प्रार्थना की वह गतका सीखना चाहती है तो उन्होंने उसकी आंखों में गतके प्रति मोह को देखते हुए हां कर दी। उसने 30-40 लड़कों की टीम में गतका खेलना शुरू कर दिया।

    खिलाड़ी से कोच बनने का सफर : पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह जी की ओर से निकाला जाता वार्षिक नगर कीर्तन जब भी गुरविदर कौर के घर के आगे से गुजरता तो वह उसके आगे गतका खेलना शुरू कर देती थी। संत सीचेवाल ने उसे अपनी संस्था की ओर से गतके की टीम तैयार करने के लिए कहा। शायद यही वह मौका था जिसने गुरविदर कौर को गतका कोच होने का गौरव प्रदान किया।

    गुरविदर कौर का आइपीएस बनने का सपना था लेकिन अचानक उसके बड़े भाई की विदेश में मौत हो गई। इस वजह से सारे परिवार की जिम्मेवार उसके उपर आन पड़ी। भाई की दो लड़कियां व माता पिता की देखरेख अब उसकी जिम्मेवारी थी। वह घर में कमाने वाली अकेली थी। इसलिए उसने विवाह ना करवाने का फैसला किया। वह लड़कियों के लिए गतका सीखने की प्रेरणा बनी है। लड़कियां जिन्हें आम तौर पर लोग घरों की चार दीवारी से बाहर निकलने नहीं देते थे, उनके लिए गुरविदर कौर एक उदाहरण बनी। अब जब भी गतके के प्रदर्शन दौरान लड़कियां तलवारों से गतका खेली है तो वह आत्मविश्वास के साथ भरी लगती है। इन लड़कियों में आत्मविश्वास की झलक गुरविदर कौर की कड़ी मेहतन के साथ करवाई ट्रेनिग कारण आती है।

    गुरविदर कौर से इस हौसले को बीबीसी ने सम्मान दिया है जिन्होंने गुरविदर कौर के खेल को दुनिया भर में दिखाकर एक अलग पहचान दी है। वह अब फिनलैंड, जर्मनी, सिगापुर, मलेशिया में गतके की सिखलाई देने के लिए जाती रहती है। गुरविंदर इसके पीछे संत बलबीर सिंह सीचेवाल का आशीर्वाद मानती है, जिन्होंने एक बच्ची की इच्छा का पूरा करने को एक ओंकार गतका अखाड़ा का निर्माण किया। अब 2000 लड़के व लड़कियों गुरविदर से गतके की शिक्षा प्राप्त कर अपने अखाड़े चला रहे हैं तथा सैकड़ों लड़के- लड़कियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं।