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    महंगाई की आग में नहीं गल रही दाल

    पहले सब्जी और अब दालों की कीमत बढ़ने से लोग परेशान हैं।

    By JagranEdited By: Updated: Wed, 24 Aug 2022 10:54 PM (IST)
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    महंगाई की आग में नहीं गल रही दाल

    हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला : दाल रोटी से गुजर बसर करने वाले लोगों के हाथों से अब दाल भी छूट गई है। पिछले कुछ समय से दालों की कीमत में 20 से 25 रुपये प्रति किलो बढ़ गई है। मौसमी सब्जियां पहले ही महंगी हो चुकी हैं। अब आम आदमी की थाली से दाल गायब होने की नौबत आ गई है।

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    मध्यम वर्गीय व गरीब लोगों के पास चावल और चटनी के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। लोग कहते हैं कि पता नहीं क्यों दाल की आसमान छूती कीमतें रोकने में सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। दिनों दिन महंगाई बढ़ती जा रही है सबसे चिता की बात तो यह है कि लोगों की इस हालत पर कोई भी बोलने को तैयार नहीं है।

    तड़का पड़ेगा और महंगा

    इस साल दाल और सब्जी का स्वाद बढ़ाने के लिए मसाले का तड़का लगाना लोगों को महंगा पड़ रहा है। बाजार में सूखा धनिया और लाल मिर्च की कीमत 100 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। हल्दी ने भी अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। हल्दी की कीमतइस समय 190 रुपये प्रति किलो है। पिछले सालों की तुलना में इस साल 20 प्रतिशत तक सूखे मसालों के दाम बढ़ गए हैं।

    क्या कहते हैं कारोबारी

    कारोबारियों का कहना है कि दालों के उत्पादन में लगातार आ रही कमी के कारण पिछले कई वर्षो से दालों के मूल्य बढ़ रहे थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों में दालों के मूल्यों में जितना उछाल आया है उतना इसके पहले कभी नहीं आया। फिलहाल दालों की कीमत में कमी आने के कोई आसार नहीं दिख रहे है क्योंकि दालों की सारी फसलें आ चुकी है और जितने दाम कम होने थे वह हो चुके हैं।

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    सब्जी पहले से ही महंगी है। अब दालों के दाम बढ़ने से रसोई का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। आम वर्ग के लिए कोई विकल्प ही नहीं बचा है। दाल की कीमतों में हुई अप्रत्याशित बढ़ोतरी ने लोगों के जीवन को काफी प्रभावित किया है।

    जगजीत सिंह, कपूरथला जहां पाच सदस्यों का परिवार एक आदमी के भरोसे जहां चल रहा है, वहां पर दो वख्त की रोटी का गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। जो लोग एक दिन में 100 रुपये तक ही कमा पाते हैं, उनके लिए दाल तो अब सपना बनता जा रहा है। अगर कोई दाल को तड़का लगाना चाहता है तो वह और भी मुश्किल हो जाएगा।

    अजयदीप पांधी दालों के मूल्य में स्थिरता नहीं है। लगातार दाम बढ़ ही रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से दाम में हो रही बढ़ोतरी के कारण बाजार में ग्राहकों की कमी आई है। पहले जो ग्राहक महीने में पांच किलो दाल ले जाता था वह अब एक किलो ही ले जा रहा है। कुल मिलाकर ग्राहकी में 20 प्रतिशत की कमी आई है।

    सन्नी गुप्ता अभी तक कभी नहीं देखा जो दाम एक बार बढ़ जाए वह कम हुआ हो। कोई भी सरकार हो दाम घटाने में नाकाम साबित हुई है। पिछले कुछ समय से दाल, चना, सरसो के तेल व रिफाइड आदि के रेटों में बहुत ज्यादा इजाफा हुआ है।। इसका खामियाजा आम वर्ग को ही भुगतना पड़ रहा है। लोगों की थाली से अब दाल भी गायब होने लगी है।

    अनीता साहिर दालों की कीमत पहले अब (प्रति किलो )

    राजमाह 110 120

    दाल चना 75 85

    धुली मूंग 120 150

    अरहर 125, 180

    मसूर 85 100

    काला चना 80 90