Punjab Flood: अमृतपुर-राजेवाल बांध में कटाव, हजारों एकड़ फसल डूबने का खतरा
सुल्तानपुर लोधी में ब्यास नदी का जलस्तर घटने के बाद भी बहाव के कारण कटाव बढ़ रहा है। अमृतपुर-राजेवाल बांध पर कटाव से हजारों एकड़ फसल खतरे में है। ग्रामीणों ने विधायक और संतों से मदद मांगी है जिसके बाद बांध को बचाने के प्रयास जारी हैं। 2025 में जलस्तर बढ़ने से स्थिति चिंताजनक हो गई है लेकिन अब जलस्तर कम हो रहा है और राहत कार्य जारी हैं।

अरविंद पाठक, सुल्तानपुर लोधी। दरिया ब्यास में जलस्तर घटने के बाद भी बहाव समस्याएं बढ़ा रहा है। अब हालात यह हैं कि दरिया ने अपना रास्ता बदल लिया है। जिससे पहले गांव खिजरपुर के बांध पर भारी कटाव लगा, लेकिन अब अमृतपुर-राजेवाल बांध में भारी कटाव से कई गांवों की हजारों एकड़ फसल पर खतरा मंडराने लगा है।
गांव खिजरपुर के कटाव से 4500 एकड़ फसल को डूबने से बचाने में गांवों के लोगों की अपील पर विधायक राणा इंदर प्रताप सिंह व कार सेवा सरहाली वाले संत बाबा सुखा सिंह की संगत ने बचा लिया। इसके लिए कारसेवा से नया बांध बना दिया गया। लेकिन अब गोइंदवाल पुल के पास गांव अमृतपुर-राजेवाला के पास बांध को दरिया ब्यास ने जबरदस्त कटाव किया है जिससे अमृतपुर-राजेवाल, मुंडी मोड़, फतूढींगा आदि दर्जनों गांवों में हजारों एकड़ फसल को खतरा पैदा हो गया है।
गांव के सरपंच बलवंत सिंह राजेवाल, मनप्रीत बूह, गुरमीत जोबन, डा. लक्की, बगीचा सिंह, बलवीर सिंह आदि ने बताया कि पहले जब दरिया ब्यास में जलस्तर काफी बढ़ गया था तो बांध पूरी तरह सुरक्षित था, लेकिन अब जलस्तर कम होने और पानी के तेज बहाव के कारण बांध को उसी स्थान पर फिर से कटाव होने लगा है, जहां 2023 में बाढ़ के दौरान कटाव हुआ था।
उन्होंने संगत और संतों से भी अधिक से अधिक संख्या में तटबंध पर पहुंचकर कटाव रोकने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह न समझा जाए कि पानी कम हो जाने से कटाव नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि बांध पर मिट्टी और बोरियों के ढेर लगाए जा रहे हैं और बांध के किनारों पर पेड़ भी फेंके गए हैं ताकि किसी तरह बांध को बचाया जा सके।
उन्होंने कहा कि 2023 में भी जब यह बांध जलमग्न हुआ था तो संतों ने इसे बचाया था और आज भी उनसे उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने हमारी सुधि नहीं ली है। ग्रामीणों ने बताया कि इस बांध के दूसरी तरफ एक स्कूल भी है और कई घर हैं, जिन्हें काफी नुकसान हो सकता है।
2025 में नदियों में पानी का बहाव नए रिकार्ड स्तर पर होने के बाद स्थिति चिंताजनक हो गई है, लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से जलस्तर लगातार कम हो रहा है। जलस्तर अभी राहत पहुंचाने लायक तो नहीं है, लेकिन उस स्तर से नीचे जरूर आया है। जिस स्तर पर और भी बड़े खतरे के आसार थे।
लगातार हो रही बारिश के कारण इस बार दरिया में लाखों क्यूसेक से ऊपर पानी पहुंचने का नया रिकॉर्ड बना है, जो 1988 की बाढ़ के बाद पहली बार इस स्तर पर पहुंचा है। जिसने कई इलाकों को तबाह कर दिया था। इस बीच इस मुश्किल घड़ी में पंजाब समेत देश के अलग-अलग राज्यों की विभिन्न संस्थाएं भी पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए बड़े पैमाने पर राहत कार्य कर रही हैं। बाढ़ के बाद राहत सामग्री का सैलाब देखने को मिल रहा है।
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