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    Asian Games 2023: हॉकी स्टिक ना बूट... कृष्ण में था जीतने का जुनून, जापान को हराकर Hockey Match में जीता गोल्ड

    By Jagran NewsEdited By: Preeti Gupta
    Updated: Sat, 07 Oct 2023 09:16 AM (IST)

    Asian Games Indian Hockey Team चीन में जारी एशियन गेम्स-2023 में शुक्रवार को जापान के साथ हॉकी के फाइनल मैच में भारत की शानदार जीत हुई। गोल्ड जीतने वाली भारतीय टीम में 11 में से दस खिलाड़ी पंजाब के हैं। जिसमें से कृष्ण एक ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके जुनून ने उन्हें गोल्ड हासिल करा दिया। कृष्ण के पास ना हॉकी स्टिक और ना बूट होते थे।

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    भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी कृष्ण बहादुर पाठक (फोटो-सोशल मीडिया)

    हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला। Asian Games, Indian Hockey Team: चीन में जारी एशियन गेम्स-2023 में शुक्रवार को जापान के साथ हॉकी के फाइनल मैच में भारत की शानदार जीत हुई। गोल्ड जीतने वाली भारतीय टीम में 11 में से दस खिलाड़ी पंजाब के हैं। टीम के गोलकीपर कृष्ण बहादुर पाठक एक ऐसा हीरा हैं, जिनके पास ना हॉकी स्टिक और ना बूट होते थे, लेकिन जुनून ही उन्हें भारतीय हॉकी टीम तक ले गया। कृष्ण बहादुर का बचपन बेहद गरीबी में बीता है।

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    हॉकी स्टिक खरीदने के पैस नहीं, पर जुनून ने बना दिया बेस्ट खिलाड़ी

    पिता चंद्र बहादुर पाठक (अब दिवंगत) के पास हॉकी स्टिक खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। कृष्ण बहादुर ने एक बार हॉकी की मांग की तो पिता ने कह दिया था कि कृष्णा तू खेलना छोड़ दे। यह हमारे बस की बात नही है, लेकिन कृष्ण के सिर पर जुनून सवार था। वह कई बार नंगे पांव एवं पुराने बूटों के साथ ही खेलते रहे। कई वरिष्ठ खिलाड़ी उन्हें पुरानी स्टिक देते थे, जिससे उनका खेल जारी रहा।

    हॉकी स्टिक व किट खरीदना था बहुत मुश्किल

    कृष्ण के मां-बाप नेपाल के रहने वाले है, लेकिन उनका जन्म कपूरथला जिले में हुआ है। पिता चंद्र बहादुर नहरी विभाग में बतौर हेल्पर काम करते थे। जितने पैसे मिलते थे, उससे घर चलाना भी मुश्किल था। बेटे के लिए हॉकी स्टिक व किट खरीदना तो बहुत बड़ी बात थी। पिता का अक्सर तबादला होता रहता था, जिससे कृष्ण बहादुर ज्यादातर अपने चाचा आत्मा प्रकाश पाठक के पास आरसीएफ में रहते थे। उनका घर भी आरसीएफ के हॉकी स्टेडियम के बिल्कुल पास ही है।

    कृष्ण का होगा भव्य स्वागत

    कृष्ण बहादुर ने अपने सरकारी स्कूल के साथियों के साथ 2009 में ग्राउंड में जाना शुरू किया। वह आरसीएफ की एस्ट्रोटर्फ हॉकी ग्राउंड में ही अभ्यास करते हैं। आरसीएफ खेल संघ के अध्यक्ष जीएस हीरा का कहना है कि कृष्ण के पास बूट नहीं होते थो तो वह नंगे पाव ही खेलने लग जाता था। हीरा ने बताया कि आरसीएफ पहुंचने पर कृष्णा का भव्य स्वागत किया जाएगा और उनका और उनके चाचा का विशेष सम्मान किया जाएगा।

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    क्या बोले कृष्ण के चाचा?

    चाचा आत्मा प्रकाश ने बताया कि कृष्ण की मां की तो करीब 12-13 वर्ष पहले मृत्य हो गई थी। करीब साढ़े चार साल पहले उसके पिता भी चल बसे। उस दौरान उसे अपनी जिंदगी के पहले टूर पर रूस व इंग्लैंड जाना था, लेकिन उससे पहले पिता का निधन हो गया। कोच और हमने उसे टूर पर जाने की सलाह दी जिसे उसने माना किया था। मुझे भतीजे पर गर्व है। उसके माता-पिता जिंदा रहते तो बेटे की उपलब्धि पर उन्हें काफी नाज होता।

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