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    अनोखे ढंग से पर्यावरण को बचाने का संदेश दे रहे एएसाइ गुरबचन सिंह

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 05 Jan 2020 01:36 AM (IST)

    पंजाब पुलिस का एक नौजवान मुश्किल ड्यूटी के बावजूद आम लोगों के दुख-सुख में शामिल होता है।

    अनोखे ढंग से पर्यावरण को बचाने का संदेश दे रहे एएसाइ गुरबचन सिंह

    हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला

    पंजाब पुलिस का एक नौजवान मुश्किल ड्यूटी के बावजूद आम लोगों के दुख-सुख में शामिल होता है। वहीं अखबारों में अंतिम अरदास, क्रिया एवं जन्म दिन आदि के इश्तिहार पढ़ कर उन्हें पत्र लिख कर पर्यावरण का पैगाम भी दे रहा है।

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    इंसानियत की भावना और प्रदूषित हो रहे पर्यावरण को बचाने का दर्द लिए पंजाब पुलिस का एएसाइ गुरबचन सिंह रोजाना विभिन्न अखबारों में छपते अंतिम अरदास, रस्म पगड़ी, भोग व उठाले के विज्ञापनों से शोक संतप्त परिवारों को पत्र लिख कर उन्हें बिछड़े पारिवारिक सदस्यों की याद में पौधे लगाने का अनुरोध कर रहा है।

    गुरबचन सिंह अभी तक 30 हजार से अधिक पत्र लिख चुका है। इसमें अधिकतर लोगों ने न सिर्फ अपनों की याद में पौधे लगाए, बल्कि अनेक लोगों ने उसके पत्रों का जवाब देते हुए अनोखे ढंग से उनके दर्द में शरीक होने के लिए आभार भी जताया। इसके अलावा गुरबचन सिंह राज्य के विभिन्न जिलों के सरपंचों को भी पत्र लिख कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा है।

    इस मुहिम के तहत गुरबचन राज्य की सैकड़ों पंचायतों को भी कवर कर चुका है। उसके पत्रों से प्रेरित होकर अनेक सरपंच पर्यावरण के लिए खुद घर-घर जाकर अलख जगाने लगे हैं। जिले के गांव खस्सण का पूर्व सरपंच डॉ. एनएस कंग गुरबचन सिंह के पत्रों से इतना प्रभावित हुआ कि उसने अपने गांव की सभी सड़कों व सांझी जमीन पर पौधे ही पौधे लगा दिए हैं। प्लास्टिक के लिफाफों को इकट्ठा करने के लिए गांव में कूड़ेदान लगा दिए हैं।

    उधर पठानकोट जिले के गांव अदुई के सरपंच सतपाल सिंह गुरबचन सिंह के पत्रों से प्रभावित होकर न सिर्फ अपने गांव में बल्कि आस पास के गांवों में जाकर गुरबचन के पत्रों को फोटो स्टेट कर लोगों में बांट कर पर्यावरण को बचाने को प्रेरित कर रहे हैं।

    गुरबचन सिंह ने बताया कि मौत के बाद अपनों की याद को बनाए रखने के लिए बाकी लोग भी इस तरह का प्रयत्न कर सकते हैं। छाया में आते ही वह इंसान याद आता है जिसने कुछ सोच कर यह पेड़ लगाया होगा। आज हर इंसान अपनी कार स्कूटर छाया के नीचे खड़ी करना चाहता, लेकिन वृक्ष लगाने को कोई तैयार नही।

    उन्होंने बताया कि अपने बच्चों के जन्म दिन एवं शादी की वर्षगांठ पर भी पौधा लगा कर दोगुनी खुशी हासिल की जा सकती है। अनेक लोगों के जवाबी खत पाकर काफी सकून महसूस करते हुए गुरबचन सिंह ने बताया है कि लोग कहते हैं कि आपके पत्र की प्रेरणा से हम अपने बिछड़ों की याद में एक नहीं कई पौधे लगा कर काफी राहत महसूस करते हैं।

    गुरबचन की योजना प्रतिदिन पंजाब में कम से एक पौधा लगाने की थी, लेकिन वह अकेले ऐसा नहीं कर सकता था। फिर उसने अखबारों में रस्म पगड़ी व अंतिम अरदास के विज्ञापन पढ़ कर पत्र लिखने का कार्य शुरु किया तो उसके साथ हजारों हाथ जुड़ गए। गुरबचन को यह सबसे बढि़या व आसान तरीका लगा। अब वह रोजाना 6-7 पत्र लिखता है।

    उन्होंने बताया कि कि पेड़ों की कमी के चलते वातावरण बदलाव हो रहा है, इससे पर्यावरण संतुलन बिगड़ने लगा है। इस वजह से हर इंसान को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए वातावरण को बचाने के लिए पौधे लगाने के काम में अपना योगदान जरुर डालना चाहिए।