माता भद्रकाली मंदिर
कपूरथला-सुल्तानपुर लोधी मार्ग स्थित गांव शेखूपुर में मां भद्रकाली मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। इस शक्तिपीठ की ऐतिहासिकता को लेकर यह दंत कथा प्रचलित है किपाकिस्तान में जब मां भद्रकाली का मेला लगा करता था तो एक समय एक सैनिक ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर मां के दरबार में पीतल का घंटा भेंट करने का संकल्प लिया था। लेकिन पाकिस्तान में मां भद्रकाली मंदिर में अपना संकल्प पूरा नहीं कर पाया था। फिर एक दिन उसे सपना आया। जिसमें माता जी ने उसको कहा कि मैं गांव जिला कपूरथला के गांव शेखूपुर में बने मंदिर में वास कर रही हूं। तुम वहां अपना संकल्प पूरा कर सकते हो। फिर उसने शेखूपुर में बने मां भद्रकाली के मंदिर में आकर अपना संकल्प पूरा किया। वह खुशी-खुशी मां के चरणों में शीश झुकाकर लौट गया। फौजी ने बताया कि स्वतंत्रता से पूर्व यह मंदिर पाकिस्तान के लाहौर स्थित था। जहां हर साल मेला लगता था। 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन हो गया वह यह मेला शेखूपुर स्थित मां भद्रकाली के दरबार में लगने लगा। चेयरमैन नरिंदर आनंद व अध्यक्ष मुकेश आनंद ने बताया कि यह मंदिर 200 वर्ष पुराना है और 65 वर्षो से यहां मेला लग रहा है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है।
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