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    कापी-बायोमास के महत्व व उपयोग पर प्रकाश डाला

    By Edited By:
    Updated: Fri, 27 Feb 2015 09:30 PM (IST)

    कपूरथला-7,8,9 सरदार स्वर्ण ¨सह राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा संस्थान में कार्यशाला आयोजित जैव ईधन का उत ...और पढ़ें

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    कपूरथला-7,8,9

    सरदार स्वर्ण ¨सह राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा संस्थान में कार्यशाला आयोजित

    जैव ईधन का उत्पादन वैकल्पिक ईधन के रूप में करने की जरूररत : डॉ. यादव

    जागरण संवाददाता, कपूरथला : भारत सरकार के नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के स्वायत्त संस्थान सरदार स्वर्ण ¨सह राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा संस्थान, में व्यावहारिक व क्रियाशील विश्लेषणात्मक और आणविक तकनीक बायोमास आधारित परिष्करण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में बायोमास के महत्व व उपयोग पर विशेषज्ञों ने विस्तारपूर्वक जानकारी दी।

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    इस उपलक्ष्य में राष्ट्रीय अक्षय उर्जा संस्थान में उन्नत जैव ईंधन और मूल्य वर्धित उत्पाद के लिए एक साप्ताहिक राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस राष्ट्रीय प्रशिक्षण के समापन समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि संस्थान के निदेशक प्रो. योगेंद्र कुमार यादव ने कहा कि परिवहन ईंधन के लिए पैट्रोलियम आधारित ईधन का उपयोग 95प्रतिशत तक पहुंच गया है और आवश्यकता तेजी से बढ़ रही हैं। वर्ष 2013-2014 में कुल 17.0 मिलियन टन पैट्रोल की खपत हुई। इस हिसाब से 1.7 मिलियन टन इथेनाल की आवश्यकता होगी जिसकी अकेले शीरा उत्पादित इथेनाल से पूर्ति नहीं की जा सकती।

    देश के लिए स्वच्छ परिवहन ईंधन की बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिए विभिन्न जैविक रासायनिक और रासायनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए इस तरह के जैव ईंधन (इथेनॉल, ब्यूटेनॉल, जैव-डीजल) का उत्पादन वैकल्पिक ईंधन के रूप में करने की जरूरत है।

    डॉ. यादव ने कहा कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य उन्नत जैव इंधन में जैव रासायनिक रूपांतरण प्रोद्योगिकियों के क्षेत्र में काम कर रहे शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, युवा वैज्ञानिकों/ साथियों को सुविधाजनक बनाने और प्रशिक्षित करने के लिए है। उन्होंने कहा कि संस्थान के जैव ऊर्जा में नवीनतम तकनीक से पूर्ण अत्याधुनिक सुविधाओं से अनुसंधान चल रहा हैं और यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय स्तर पर युवा और सक्रिय शोधकर्ताओं के बीच विचारों और विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान करेगा। प्रो. एमके सुरप्पा, निदेशक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रोपड़ द्वारा मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यशाला का उद्घाटन किया गया था। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों द्वारा युवा वैज्ञानिकों के अनुसंधान क्षमताओं में वृद्धि होगी और जैव ऊर्जा और जैव ईंधन के क्षेत्र में गुणवत्ता अनुसंधान में मदद मिलेगी। उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों और तकनीकी कर्मचारियों द्वारा उठाए गए इस तरह की पहल पर अपना पूर्ण संतोष व्यक्त किया।

    इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के समन्वयक डॉ. सचिन कुमार ने बताया कि विभिन्न संस्थाओं और देश भर के विश्वविद्यालयों से सदस्यों और शोध छात्रों ने इस राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया। इस प्रशिक्षण के लिए एनआइटी राउरकेला, डीटीयू दिल्ली, जेएनटीयू हैदराबाद, सरदार पटेल विश्वविद्यालय गुजरात, अन्ना यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु, पेरियार विश्वविद्यालय तमिलनाडु, मद्रास विश्वविद्यालय, तमिलनाडु, थापर यूनिवर्सिटी पंजाब, वनस्थली विद्यापीठ राजस्थान, दयालबाग संस्थान उत्तर प्रदेश, मूलजी जेठा कॉलेज जलगांव, महाराष्ट्र, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर, छत्तीसगढ़, आरडी विश्वविद्यालय जबलपुर, मध्य प्रदेश, जेपी विश्वविद्यालय, सोलन से 20 शोधकर्ताओं का चयन किया गया था। इस कार्यक्रम में व्यावहारिक व क्रियाशील विश्लेषणात्मक और आणविक तकनीक और जैव ऊर्जा के क्षेत्र में विशेषज्ञ वैज्ञानिकों द्वारा विश्लेषणात्मक और आणविक तकनीक पर प्रस्तुतियों के बाद प्रयोगशालाओं में प्रौद्योगिकियों और व्यक्तिगत संपर्क के माध्यम से जैव ऊर्जा के उत्पादन प्रदर्शन को कवर किया जाएगा।