गुरु का होना अति आवश्यक : गिरधर गिरी
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निज प्रतिनिधि, फगवाड़ा
श्री गीता भवन कटैहरा चौक फगवाड़ा की ओर से पंडित देवी राम शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित किए जा रहे 34वें श्री गीता जयंती महोत्सव के पहले दिन हरिद्वार से आए 1008 महामंडलेश्वर स्वामी गिरधर गिरी जी महाराज ने अपने प्रवचनों में श्रद्धालुओं को भगवान के आश्रय में जाने के लिए प्रेरित किया।
श्री गिरधर गिरी जी महाराज ने अपने प्रवचनों की शुरुआत भजन श्री राम राम जय जय राम राम राम से की। उन्होने कहा कि जिस प्रकार मा अपने बच्चों में कभी भेदभाव नहीं रखती ठीक उसकी प्रकार संतजन कभी किसी भक्त से भेदभाव नहीं करते। हमारे जीवन में गुरु का होना अति आवश्यक है क्योकि गुरु की कृपा कब किसी पर हो जाए यह कोई नहीं जानता। हमें शरीर आत्मचिंतन करने के लिए मिला है उसके लिए हमें एकात में जाना होगा। हम संसार के लोग जिसे अपना मानते है उनसे सुख की कामना करते है परतु हमें उनसे दुख ही मिलता है। प्रवचनों के बाद उन्होंने भजन सुनाकर उपस्थित श्रद्धालुओं को नाचने पर विवश कर दिया।
इसके अलावा 108 वैष्णवाचार्य स्वामी डा. जगपूर्ण दास महाराज अपने प्रवचनों में भक्तों को भगवान का चिंतन करने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि संसार के सभी पद पाकर भी मन को कभी प्रसन्न्ता नहीं मिलती क्योंकि हरि को पाए बिना मन को शाति नहीं मिल सकती। हमारे वेदों में भी मूल ज्ञान छिपा है। अंत में श्री चेतनदास महाराज तथा संगीताचार्य तिलक राज द्वारा भूले हुए मुसाफिर दरवाजा आ गया है, हरे राम राम हरे कृष्णा कृष्णा गाकर समापन किया गया।
इस अवसर पर पंडित कुंदन लाल शास्त्री, पंडित सोहन लाल शास्त्री, पप्पू शर्मा, रतन लाल शास्त्री, टोनी आनंद, मदन मोहन खट्टर, बब्बा जलोटा, बिट्टू धीर, सम्मत संगा, संदीप उप्पल के अलावा बड़ी गिनती में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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