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पूर्व चैंपियनों की कसक: अंपायर ने नहीं दिया पेनाल्टी कार्नर, वरना पाकिस्‍तान को धूल चटा देते

भारतीय हाॅकी केे पूर्व खिलाडि़यों को आज भी 1996 के ओलंपिक के सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाने का मलाल है। वे कहते हैं अंपायर ने पेनाल्‍टी कार्नर नहीं दिया वरना कोे पाक को हरा देते।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 12:26 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 12:30 PM (IST)
पूर्व चैंपियनों की कसक: अंपायर ने नहीं दिया पेनाल्टी कार्नर, वरना पाकिस्‍तान को धूल चटा देते

जालंधर। ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ी आज भी गर्व महसूस करते हैैं और कई खिलाड़ी इस उम्मीद के साथ अगले ओलंपिक की तैयारी के लिए जुटे हैैं कि वे पदक हासिल कर देश का गर्व बढ़ाएंगे। ऐसे मेें हमारे पूर्व चैंपियन खिलाडि़यों की जेहन में ओलंपिक की यादें आज भी जिंदा है। हॉकी के पूर्व चैंपियन खिलाडि़यों को 1996 ओलंपिक केे सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाने का आज भी मलाल हैं। वे कहते हैं, अंपायर ने पेनाल्‍टी कॉनर्र नहीं दिया, वरना हम पाकिस्‍तान को हरा देते।

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ओलंपिक खेल चुके जालंधर के हॉकी खिलाडिय़ों ओलंपियन व विधायक परगट सिंह, ओलंपियन संजीव कुमार और ओलंपियन वरिंदर सिंह ने जागरण के साथ अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कई पहलुओं पर दैनिक जागरण के साथ खुलकर बात की। 1972 में कांस्य जीतने की खुशी जहां आज भी उन्हें गर्व महसूस करवाती है तो 1996 में सेमीफाइनल में न पहुंच पाने की टीस आज भी खिलाडिय़ों के मन में बरकरार है। हमारे संवाददाता कमल किशोर की रिपोर्ट ..

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अंपायर के एक गलत फैसले ने रोक दी स्वर्ण पदक की राह: परगट

'' भारत और पाकिस्तान का मैच क्रिकेट का हो या फिर हॉकी का, दर्शकों में मैच देखने में काफी उत्साह रहता है। मुझे आज भी याद है कि साल 1996 में यूएसए में ओलंपिक गेम्स का आयोजन हुआ। हमारा मैच पाकिस्तान के साथ था। टीम बेहतर प्रदर्शन कर रही थी। भारतीय टीम ने पाकिस्तान टीम पर लगातार दबाव बनाकर रखा। स्टेडियम में दर्शक भी रोमांच से भरे इस मैच का उत्साह के साथ आनंद ले रहे थे। मैच के दूसरे हॉफ में भारतीय टीम को मिलने वाला पेनाल्टी कार्नर अंपायर ने नहीं दिया। टीम के साथ धक्का किया गया। अगर अंपायर से पेनाल्टी कार्नर मिलता तो तय था कि हम उसे गोल में तब्दील कर  पाकिस्तान टीम पर शून्य के मुकाबले एक गोल से बढ़त बना लेते और यह गोल हमे सेमीफाइनल में प्रवेश दिलवा देता। पेनाल्टी कार्नर न मिलने की वजह से मैच के अंत में दोनों टीमों का स्कोर 0-0 रहा। आज भी जब पाकिस्तान के साथ मैच के क्षण याद आते हैं तो दुख होता है कि टीम में ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने की क्षमता थी। भारतीय टीम शानदार प्रदर्शन कर रही थी। प्वाइंट बेस के चलते हम सेमीफाइनल में प्रवेश नहीं कर पाए।

                                                         - ओलंपियन परगट सिंह, भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान।

परगट सिंह                                       वरिंदर सिंह                              संजीव कुमार

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कांस्य पदक जीतने के बाद नहीं थमे खुशी के वो आंसू : वरिंदर सिंह

'' जर्मनी में साल 1972 में हुए ओलंपिक गेम्स में कांस्य पदक के लिए हुई भिडंत आज भी मुझे याद है। तीसरे स्थान के लिए हमारा मुकाबला हॉलैैंड के साथ था। हमारी टीम ने हॉलैैंड पर 1-0 से बढ़त हासिल कर ली थी लेकिन मैच के अंतिम क्षण में हॉलैैंड के खिलाड़ी ने गोल करके बराबर कर दिया। इसके बाद हमारे खिलाड़ी हलके तनाव में थे। इसके बाद टीम सदस्य मैच के परिणाम के लिए मिलने वाले अतिरिक्त समय में बेहतर खेल दिखाने के लिए एक दूसरे को प्रेरित करने में जुट गए। अतिरिक्त समय में पूरी टीम नए जोश के साथ मैदान में उतरी। पेनाल्टी कार्नर के रूप में मैच जीतने का मौका मिला और टीम के उप कप्तान मुखवैन सिंह ने कार्नर को गोल में तब्दील करके 2-1 बढ़त हासिल कर ली। मैच के अंत तक यह बढ़त बरकरार रही और कांस्य पदक पर कब्जा करने के बाद खुशी का ठिकाना नहीं रहा। आज भी हॉलैैंड के खिलाफ मिली इस जीत की याद ताजा है। पूरी खुशी से झूम रही थी और टीम के हर सदस्य की आंखें खुशी से नम थीं।

                                                                                                                 - ओलंपियन वरिंदर सिंह।

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प्वाइंट कम थे, नहीं कर पाए सेमीफाइनल में प्रवेश: संजीव कुमार

'' साल 1996 में मद्रास (अब चेन्नई) में साउथ एशियन फेडरेशन गेम्स में भारत ने पाकिस्तान को 5-2 से हराया तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इसी साल यूएसए में ओलंपिक गेम्स हुईं। बेहतर करने के बावजूद ओलंपिक में सेमीफाइनल में प्रवेश न करने की वजह से टीम के हर खिलाड़ी के चेहरे पर मायूसी दिख थी। परगट सिंह की कप्तानी में टीम लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही थी। लीग मैच में यूएसए को 4-0 और स्पेन की टीम को 3-1 से हराया। जबकि पाकिस्तान के साथ मैच ड्रा रहा और अर्जेंटीना की टीम के साथ हुआ मैच हम लोग 1-0 से हार गए। प्वाइंट कम होने के कारण हमारी टीम सेमीफाइनल में प्रवेश नहीं कर पाई। टीम में जालंधर के ओलंपियन हरप्रीत सिंह मंडेर, ओलंपियन बलजीत सिंह सैनी, ओलंपियन बलजीत सिंह ढिल्लों भी शामिल थे। टीम में ओलंपिक में स्वर्ण जीतने की क्षमता थी लेकिन प्वाइंट बेस के कारण हम चूक गए। अब भी 1996 के ओलंपिक की याद आती है।

                                                                                                              - ओलंपियन संजीव कुमार।

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