Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Health Tips: बढ़े हुए प्रोस्टेट से होती हैं यूरिनरी ब्लैडर से जुड़ी समस्याएं, इस तरह पाएं परेशानी से छुटकारा

    By Pankaj DwivediEdited By:
    Updated: Fri, 24 Sep 2021 08:10 PM (IST)

    बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया उम्र बढ़ने के साथ हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होता है। यह कैंसर का कारण भी नहीं हैं। इसमें मरीज को बार-बार मूत्र त्याग करने की इच्छा होती है और इस कारण उसका जीवन असामान्य हो जाता है।

    Hero Image
    80 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते लगभग 90 प्रतिशत लोगों को बीपीएच हो जाता है। सांकेतिक चित्र

    जागरण संवाददाता, जालंधर। बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (Benign Prostatic Hyperplasia) या बीपीएच बढ़ी हुई प्रोस्टेट का मेडिकल नाम है। यह उम्र बढ़ने के साथ हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होता है। इसका मतलब कैंसर नहीं है। यह कैंसर का कारण भी नहीं हैं। हालांकि, बीपीएच और कैंसर एक साथ हो सकते हैं। डा. स्वप्न सूद, कंसलटेंट यूरोलॉजिस्ट एवं एंड्रोलॉजिस्ट, किडनी ट्रांसप्लांट एवं रोबोटिक सर्जन, पटेल सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल ने कहा कि बीपीएच के लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। बढ़ने के साथ लक्षण अलग-अलग भी हो सकते हैं। बढ़ी हुई प्रोस्टेट से जुड़ी परेशानियां या जटिलताएं अनेक समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। बीपीएच का जोखिम तीन चीजों से बढ़ता है। बढ़ती उम्र, परिवार में इस बीमारी का इतिहास और मेडिकल स्थिति। शोध से पता चलता है कि कुछ चीजें जैसे कि मोटापा भी बीपीएच के बढ़ने में मददगार हो सकती हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उन्होंने बताया कि प्रोस्टेट उम्र के साथ वृद्धि के दो मुख्य चरणों से गुजरता है। पहला चरण यौवनावस्था की शुरुआत में होता है, जब प्रोस्टेट का आकार बढ़कर दोगुना हो जाता है। वृद्धि का दूसरा चरण लगभग 25 साल की उम्र से शुरू होता है और आजीवन चलता रहता है। बीपीएच अक्सर वृद्धि के दूसरे चरण में होता है। जब प्रोस्टेट बढ़ जाती है, तो वह ब्लैडर पर दबाव डाल सकती है या उसे रोधित कर सकती है, जिससे लोअर यूरिनरी ट्रैक्ट सिंपटम्स (लुट्स) यानि निचली मूत्रनली की समस्याएं हो सकती हैं। इसमें बार-बार यूरिन आना, यूरिन करने के फौरन बाद भी ब्लैडर भरा हुआ महसूस होना। यूरिन बहुत धीरे-धीरे आना। यूरिन करते हुए बार-बार रुकना, यूरिन करने में मुश्किल होना, दबाव पड़ना आदि शामिल हैं।

    इन समस्याओं के समाधान के लिए मरीज पानी एवं अन्य तरल चीजें लेना कम कर देता है और उसे बार-बार मूत्र त्याग करने की फिक्र रहने लगती है। उदाहरण के लिए, वो जहां भी जाता है, वहां सबसे पहले टॉयलेट तलाशता है। इससे मरीज के जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

    50 वर्ष से ऊपर बढ़ने लगती है समस्या

    50 से 60 साल की उम्र के बीच लगभग आधे पुरुषों को यह समस्या हो सकती है और 80 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते लगभग 90 प्रतिशत लोगों को बीपीएच हो जाता है। अधिकतर मरीज इसे बढ़ती उम्र का हिस्सा मानते हैं। अधिकांश लोग समस्या को तब पहचानते हैं, जब वॉशरूम में जाने की जरूरत अचानक बहुत बढ़ जाती है। 

    बीपीएच और प्रोस्टेट कैंसर के बीच संबंध नहीं

    डा. स्वप्न सूद ने कहा कि बीपीएच और प्रोस्टेट कैंसर के बीच कोई संबंध नहीं है। बेहतर जीवनशैली और सरल विधियों से भी लक्षणों का उपचार किया जा सकता है। 

    चुस्त रहें - शिथिल जीवन से ब्लैडर पूरी तरह से खाली न हो पाने की समस्या हो सकती है। बाथरूम जाने पर अपना ब्लैडर पूरी तरह से खाली करने की कोशिश करें।

    -हर रोज एक दिनचर्या के अनुरूप मूत्र त्याग करने की कोशिश करें। फिर चाहे आपकी मूत्र त्याग करने की इच्छा हो रही हो या नहीं।

    -रात में 8 बजे के बाद कोई भी तरल पदार्थ न पीयें ताकि आपको रात में टायलेट न आए।

    -अल्कोहल पीना सीमित कर दें।

    -ज्यादा गंभीर मामलों में प्रोस्टेट बढ़ने से यूरिन रुक सकती है। इससे और ज्यादा गंभीर समस्याएं जैसे किडनी विफलता हो सकती है। इसका इलाज फौरन करना पड़ता है।

    comedy show banner
    comedy show banner