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    श्री गुरु ग्रंथ साहिब का फ्रेंच, स्पेनिश व अरबी भाषा में होगा अनुवाद, SGPC ने बनाई विशेषज्ञ कमेटी

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Fri, 09 Jul 2021 05:22 PM (IST)

    श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पवित्र गुरुबाणी का फ्रेंच स्पेनिश अरबी व डच भाषाओं में अनुवाद करवाया जाएगा। एसजीपीसी का कहना है कि इसका उद्देश्य सद्भाव व भाईचारे के फलसफे को विश्वभर में प्रचारित व प्रसारित करना है।

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    श्री गुरु ग्रंंथ साहिब का कई भाषाओं में होगा अनुवाद। सांकेतिक फोटो

    हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला। सद्भाव और भाईचारे के फलसफे को विश्वभर में प्रचारित व प्रसारित करने के उद्देश्य से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पवित्र गुरबाणी का फ्रेंच, स्पेनिश, अरबी व डच भाषाओं में अनुवाद करवाने का फैसला किया है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि इसके जरिए 'सरबत के भले' (सबका भला) एवं इंसानियत के संदेश को पूरी दुनिया तक पहुंचाया जा सके।

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    एसजीपीसी द्वारा विशेषज्ञों की कमेटी का गठन कर दिया गया है, जिनकी देख-रेख में इस साल के अंत तक गुरु ग्रंथ साहिब के फ्रेंच व स्पेनिश भाषा में पावन स्वरूप तैयार हो जाएंगे। इसके बाद अरबी और डच भाषा में भी अनुवाद करवाने की योजना है। एसजीपीसी की अध्यक्ष बीबी जगीर कौर ने एक विशेष बातचीत में दैनिक जागरण को बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब सर्वोपरि है, जिससे पूरी कौम प्रेरणा व शिक्षा लेती है। अभी तक श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप गुरमुखी, हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं में ही उपलब्ध हैं।

    इसके साथ ही एसजीपीसी पटियाला में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) व पंजाब प्रशासनिक सेवा (पीसीएस) में अफसर तैयार करने के लिए एक अकादमी की स्थापना करने जा रही है, जिसमें सिखी स्वरूप वाले (पांच ककार धारण करने वाले) बच्चों को पढ़ाई, रिहायश व ट्रेनिंग की सुविधाएं मुफ्त मिलेंगी। अकादमी के लिए जमीन ले ली गई है और अगले वित्तीय वर्ष के नए सेशन से अकादमी में दाखिले शुरू होने की उम्मीद है।

    बीबी जगीर कौर ने बताया कि एसजीपीसी की ओर से यह पूरा साल 'हिंद की चादर' श्री गुरु तेग बहादर साहिब की शहादत को समर्पित है। इसके मद्देनजर फतेहगढ़ साहिब स्थित श्री गुरु ग्रंथ साहिब विश्व सिख यूनिवर्सिटी में श्री गुरु तेग बहादर चेयर स्थापित की जा रही है, जो गुरु साहिब के समकालीन सिख हस्तियों की खोज करेगी। श्री गुरु साहिब के शीश व देह को लेकर आने वाले और अंतिम संस्कार में योगदान देने वाले भाई लक्खी शाह वणजारा, भाई जैता जी, भाई दियाला जी, भाई मोती लाल महिरा, भाई मती दास जी, भाई सती दास जी व भाई मक्खण शाह लुबाणा आदि के इतिहास पर डाक्यूमेंट्री तैयार करके संगत को उपलब्ध करवाए जाएगी, ताकि वे गुरु साहिब के समकालीन सिंहों के इतिहास व उनकी कुर्बानी से वाकिफ हो सकें।

    एक सवाल के जवाब में बीबी जगीर कौर ने कहा कि राजनीति धर्म के अधीन होनी चाहिए न कि राजनीति पर धर्म हावी हो। धर्म हमें सदैव सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है। धर्म से मार्गदर्शन लेकर ही सरबत के भले के कार्य किए जा सकते हैं। सिख कौम में मीरी-पीरी के मालिक श्री गुरु हरगोबिंद साहिब के वक्त से धर्म व राजनीति एक साथ चले आ रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल भी उसी परंपरा पर पहरा देता आ रहा है।

    नानकशाही कैलेंडर पर सबकी भावनाओं को ध्यान में रख कर होगा निर्णय

    अलग-अलग पंथक मर्यादा एवं नानकशाही कैलेंडर को लेकर विवाद के सवाल पर बीबी जगीर कौर ने कहा कि पूरी कौम के लिए श्री अकाल तख्त साहिब सबसे ऊपर है और अकाल तख्त साहिब की मर्यादा को पूरी कौम मानती है। नानकशाही कैलेंडर गहन विचार का विषय है। आने वाले वक्त में इस पर चर्चा कर कौम को एकजुट करने और सभी की भावनाओं को ध्यान में रख कर ही कोई निर्णय किया जाएगा।