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    पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी की जयंती भजनों से किया मंत्रमुग्ध, जालंधर के मूर्ति तारा देवी मंदिर में मनाया उत्सव

    By Pankaj DwivediEdited By:
    Updated: Fri, 01 Oct 2021 03:48 PM (IST)

    मूर्ती तारा देवी मंदिर मिठा बाजार में पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी की जयंती पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। समारोह में स्त्री सत्संग मंडल की प्रधान नीरू कपूर ने भजनों के साथ हाजिरी लगाई। उत्सव का आगाज श्री गुरु वंदना के साथ किया गया।

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    कार्यक्रम में स्त्री सत्संग मंडल की प्रधान नीरू कपूर ने भजनों के साथ हाजिरी लगाई।

    जागरण संवाददाता, जालंधर। प्रभु की आराधना में की जाती विश्व विख्यात आरती 'ओम जय जगदीश हरे' के रचयिता पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी की जयंती पर एक समारोह का आयोजन मूर्ती तारा देवी मंदिर मिठा बाजार में हुआ। मंदिर कमेटी के प्रधान मोहन लाल अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में स्त्री सत्संग मंडल की प्रधान नीरू कपूर ने भजनों के साथ हाजिरी लगाई। उत्सव का आगाज श्री गुरु वंदना के साथ किया गया।

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    इसके बाद नीरू कपूर ने 'मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है, करते हो तुम कन्हैया, मेरा नाम हो रहा है' और 'तेरे दर पर खड़े हैं, हाथ जोड़ मेरी नैया पार लगा दो' सहित कई मनमोहक भजन प्रस्तुत किए, जिन पर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। इस दौरान नीरु कपूर ने कहा कि श्रद्धा राम फिल्लौरी ने इस पवित्र आरती के साथ सनातन धर्म को अनमोल देन भी दी है, जिसका युग-युगों तक उच्चारण किया जाता रहेगा। मोहन लाल अग्रवाल ने मंदिर कमेटी द्वारा किए जा रहे धार्मिक तथा सामाजिक कार्यों के बारे में बताया। इस मौके पर नीरू कपूर को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर रेखा होंडा, कुसुम शर्मा, नीरू भंडारी, सरिता टंडन, सोनिया टंडन, ज्योति, किरण गुप्ता, रजनी, वर्षा तलवार, सोनिया श्रीवास्तव, नीलम मदान, रेनू छाबड़ा, आदर्श कालिया, गीता कोहली, रेखा रानी व प्रवीण कोहली सहित सदस्य मौजूद थे।

    30 सितंबर, 1835 को फिल्लौर में जन्मे थे पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी

    बता दें कि फिल्लौर में जन्म पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी की आरती ओम जय जगदीश हरे पूरे देश में प्रसिद्ध है। उनका जन्म 30 सितंबर, 1835 को जालंधर के फिल्लौर कस्बे में हुआ था। उन्होंने भाग्यवती नाम का उपन्यास भी लिखा था। इसे भारत का पहला उपन्यास भी माना जाता है। उनकी याद में फिल्लौर नगर परिषद में पुस्तकालय का निर्माण करवाया गया लेकिन वहां पुस्तकों की कमी है। फिल्लौर में उनसे जुड़ा कोई स्मारक भी नहीं बनवाया गया है।