सर्दियों में आप भी कंबल से चेहरा ढककर सो रहे हैं? जान भी ले सकती आपकी ये आदत; 20% तक घट जाता है ऑक्सीजन
सर्दियों में चेहरा ढककर सोने से ऑक्सीजन का स्तर 15 से 20 प्रतिशत तक घट जाता है, जिससे फेफड़ों पर दबाव पड़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार, चेहरा ढककर सोने ...और पढ़ें
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चेहरा ढककर सोने से 20 प्रतिशत तक घट जाता है ऑक्सीजन।
जागरण संवाददाता, जालंधर। सर्दियों में ठंडी हवाओं और ठंड से बचने के लिए लोग अक्सर अपने घरों की सभी खिड़कियां और दरवाजे बंद कर देते हैं। इस स्थिति में कमरे में हवा का वेंटिलेशन बंद हो जाने से ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसके साथ ही, चेहरा ढककर सोना और भी अधिक खतरनाक हो सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार चेहरा ढककर सोने से ऑक्सीजन का स्तर 15 से 20 प्रतिशत तक घट जाता है, जिससे फेफड़ों पर अधिक दबाव पड़ता है। इस दौरान मरीजों को विभिन्न लक्षण महसूस होते हैं, लेकिन इसके कारण का पता नहीं चल पाता। डॉक्टरों का मानना है कि सर्दियों में ऑक्सीजन की कमी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
चेहरा ढककर सोने से उत्पन्न हो सकती है कई स्वास्थ्य समस्याएं: डॉ. रमन गुप्ता
जिला परिवार कल्याण अधिकारी डॉ. रमन गुप्ता के अनुसार वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि चेहरा ढककर सोने से कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यदि यह आदत लंबे समय तक जारी रहती है तो यह सांस लेने की क्षमता, नींद की गुणवत्ता और समग्र स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। जब चेहरा और मुंह पूरी तरह कंबल में ढक जाते हैं, तो ताजा हवा का प्रवाह कम हो जाता है।
इसके परिणामस्वरूप शरीर को आवश्यक ऑक्सीजन नहीं मिलती और कार्बन डाईआक्साइड का स्तर बढ़ने लगता है। इससे दम घुटने जैसा एहसास, नींद टूटना और सुबह उठने पर थकान जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। ऐसे लक्षणों के साथ मरीज डॉक्टर के पास आते हैं और उन्हें सोने की आदतें बदलने की सलाह दी जाती है।
गहरी नींद के लिए शरीर पसंद करता है हल्का ठंडा माहौल: डॉ. एमबी बाली
छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. एमबी बाली का कहना है कि नींद की गुणवत्ता पर कम ऑक्सीजन, अधिक कार्बन डाईआक्साइड और बढ़ती गर्मी गहरी नींद में बाधा डालते हैं। कंबल के अंदर चेहरा ढककर सोने से तापमान बढ़ता है, जिससे बेचैनी बढ़ जाती है। अध्ययन के अनुसार शरीर गहरी नींद के लिए हल्का ठंडा माहौल पसंद करता है। गर्मी बढ़ने से पसीना, बेचैनी और बार-बार करवटें लेने की समस्या उत्पन्न होती है, जिससे नींद खराब होती है।
नींद में कमी से चिड़चिड़ापन, कम ऊर्जा और चेहरे पर रैशेज, जलन और एक्जिमा जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। उन्होंने एक 42 वर्षीय मरीज का उदाहरण दिया, जो सिरदर्द, चिड़चिड़ापन और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत लेकर आया था। उसकी सोने की आदतों की जांच करने पर समस्या का असली कारण सामने आया।
मरीजों को सोने की आदतें सुधारने की दी जाती है सलाह: डॉ. तरसेम लाल
मेडिकल स्पेशलिस्ट डॉ. तरसेम लाल ने बताया कि सिविल अस्पताल में भी ऐसे मरीज आते हैं, जिन्हें सोने की आदतें सुधारने की सलाह दी जाती है। चेहरा ढककर सोना अस्थमा, स्लीप एप्निया और लगातार नाक बंद रहने वालों के लिए हानिकारक है। कंबल के भीतर ताजा हवा का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे व्यक्ति अपनी ही छोड़ी हुई हवा को दोबारा ले लेता है। इसके परिणामस्वरूप, सुबह सिर भारी लगता है, शरीर थका हुआ महसूस होता है और नींद तरोताजा नहीं होती।

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