Singer Bhupinder Singh Tribute: देवानंद से था खास नाता, 'दम मारो दम' में गिटार बजाकर बालीवुड में डेब्यू, फिर सिंगर बन कर छाए
Singer Bhupinder Singh Death गुरुनगरी में इंडियन अकादमी आफ फाइन आर्ट्स (आइएएफए) की आर्ट गैलरी की शताब्दी वर्षगांठ मनाने के मकसद से गायक भूपिंदर सिंह को अमृतसर आमंत्रित किया गया था। तब किसी कारणवश वे सम्मान समारोह में नहीं पहुंच पाए थे।

हरदीप रंधावा, अमृतसर। सुरीले गजल गायक भूपिंदर सिंह का सोमवार शाम को निधन हो गया। उनका मुंबई के अस्पताल में इलाज चल रहा था। 82 वर्षीय गजल गायक के घर में संगीत का वातावरण था। बहुत कम लोग जानते हैं कि भूपिंदर सिंह असल में गायक बनना ही नहीं चाहते थे। हालांकि बाद में परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी कि उन्होंने गिटार बजाना शुरू कर दिया और फिर आरडी बर्मन के निर्देशन में देवानंद की फिल्म हरे कृष्णा हरे राम के इसी शीर्षक के गीत में गिटार बजाकर शौहरत पाई और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
डा. पुष्पिंदर सिंह ग्रोवर ने बताया कि साल 2013 में इंडियन अकादमी आफ फाइन आर्ट्स (आइएएफए) की आर्ट गैलरी की शताब्दी वर्षगांठ मनाने के मकसद से शहर से मुंबई जाकर नाम चमकाने वाले कलाकारों सहित अदाकारों को सम्मानित करने का फैसला किया था, जिसमें गजल गायक भूपिंदर सिंह को भी विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था। तब वह किसी कारण सम्मान समारोह में नहीं पहुंच पाए थे।
2016 में एक मीडिया हाउस को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था- उनके घर में इतना संगीत था, कि वह कभी भी म्यूजिक से जुड़ना नहीं चाहते थे। उनके पिता नत्था सिंह अमृतसर में ही संगीत के प्रोफेसर थे। उनके बड़े भाई छोटी उम्र से ही संगीत के साज बजाते थे। उन्हें ऐसा लगता था कि अगर वह संगीत से जुड़े, तो कभी भी इज्जत नहीं मिलेगी।
इसी कारण वह संगीत में अपना करियर नहीं बनाना चाहते थे। एक वक्त आया उन्होंने गाना ही छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने हवाइन गिटार सीखना शुरू किया और बहुत मुश्किल गाने उसमें बजाने लगे। इसमें उन्होंने क्लासिकल संगीत भी प्ले करना शुरू किया। गिटार बजाते-बजाते उनके अंदर संगीत की रुचि एक बार फिर जागी और वह दोबारा गाना गाने लगे थे। गिटार उन्हें फिर गायकी में ले आया।
पंचम दा के नवरत्न थे भूपिंदर सिंह
भूपिंदर सिंह ने दम मारो दम, हरे कृष्णा हरे राम गाने से गिटारिस्ट के रूप में बालीवुड डेब्यू किया था। इस गाने को आरडी बर्मन ने कंपोज किया था। इसके बाद उन्होंने आरडी बर्मन के लगभग सभी बेहतरीन गानों में गिटार प्ले किया था। इसमें यादों की बारात फिल्म का चुरा लिया है तुमने..., अमर प्रेम फिल्म का चिंगारी कोई भड़के..., चलते चलते का टाइटल ट्रैक और शोले का महबूबा ओ महबूबा गाना शामिल है। कई मौकों पर आरडी बर्मन यानी पंचम दा ने भूपिंदर सिंह को अपने नवरत्न में से एक रत्न बताया था। पंचम दा की अधिकतर फिल्मों में भूपिंदर सिंह ने ही गिटार प्ले किया था।
भूपिंदर सिंह के गायक के तौर पर मशहूर गीत
आने से उसके आए बहार, फिल्म- जीने की राह (1996)
किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है, फिल्म- ऐतबार (1985)
थोड़ी सी जमीन थोड़ा आसमान, फिल्म- सितारा (1980)
बीती न बिताई रैना, फिल्म- परिचय (1972)
दिल ढूंढ़ता है, फिल्म- मौसम (1975)
नाम गुम जाएगा, फिल्म- किनारा (1977)
एक अकेला इस शहर में, फिल्म- घरौंदा (1977)
हुजूर इस कदर भी न इतरा कर चलिए, फिल्म- मासूम (1983)
करोगे याद तो हर बात याद आएगी, फिल्म- बाजार (1982)
कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, फिल्म- आहिस्ता आहिस्ता (1981)
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