जालंधर: संत सीचेवाल का बाढ़ पीड़ितों को एकता संदेश, किसानों को क्यों दी गन्ने की खेती करने की सलाह?
राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने बाढ़ पीड़ितों को एकजुट रहने का संदेश दिया है। उन्होंने अहली कलां और खुर्द गांवों के निवासियों के साथ मिलकर बांध की दरार भरने की योजना बनाई। संत सीचेवाल ने लोगों से दरार भरने के लिए लोहे की तार और डीज़ल दान करने की अपील की।

संवाद सूत्र, शाहकोट/ मलसियां। बाढ़ के पानी के घटने के साथ ही, राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने अगली कार सेवा के रूप में गांव अहली कलां और खुर्द के लोगों के साथ मिलकर अस्थायी बांध की दरार को भरने की योजना बनाई।
संत सीचेवाल ने धान की फसल के बीच नाव द्वारा यात्रा करते हुए दोनों गांवों के लोगों को उस स्थान पर ले जाकर विचार-विमर्श किया, जहां बांध टूट गया था। उन्होंने कहा कि इस दरार को भरने के लिए पंजाब भर से लोग ट्रालियों में मिट्टी और खाली बोरे लाकर भेज रहे हैं। संत सीचेवाल ने बताया कि दरार को भरने के लिए लोहे की तार और डीज़ल की आवश्यकता होगी।
उन्होंने पंजाबियों से इन वस्तुओं के लिए दान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि मुसीबतों की इस “बाढ़” से लड़ने के लिए एकजुट होना आवश्यक है। उन्होंने दोनों गांवों के लोगों के जज़्बे की सराहना की, जिन्होंने बांध को बचाने की पूरी कोशिश की।
संत सीचेवाल ने बताया कि बांध तब टूटा जब ब्यास नदी का जल स्तर 2 लाख क्यूसेक से ऊपर चला गया था। उन्होंने कहा कि दरार को भरने के लिए हर संभव मदद की जाएगी। पहले ही एक्सावेटर मशीन उपलब्ध कराई जा चुकी है।
धान की फसल के नुकसान पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने किसानों को वैकल्पिक खेती, जैसे गन्ने की फसल पर विचार करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि गन्ने की बुवाई से बाढ़ के समय फसलों का नुकसान कम होगा। सतलुज नदी का जल स्तर घटने के बावजूद, यह बांध को लगातार काट रही है, जिससे स्थिति गंभीर बनी हुई है।
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