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    बाढ़ के दौरान पंजाब के मंड क्षेत्र में डटे रहे संत सीचेवाल और उनकी टीम, बांध बचाए, नदियों की धारा तक मोड़ दी

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 02:52 PM (IST)

    बाढ़ से प्रभावित इलाकों में संत सीचेवाल पिछले 35 दिनों से सक्रिय हैं। ब्यास दरिया में बाढ़ के कारण सुल्तानपुर लोधी के मंड क्षेत्र में भारी तबाही हुई है। संत सीचेवाल और उनकी टीम ने नदियों की धारा मोड़ने और लोगों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बाढ़ प्रभावित लोग उनसे अस्थायी बांधों को मजबूत करने की उम्मीद कर रहे हैं।

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    ब्यास दरिया के तेज बहाव ने भारी तबाही मचाई है। कठिन समय में संत सीचेवाल और उनकी टीम डटी रही।

    संवाद सूत्र, जागरण, शाहकोट/मलसिया। साल 2008, 2019 और 2023 में आई बाढ़ के दौरान बचाव कार्य में अहम भूमिका निभाने वाली संत बलबीर सिंह सीचेवाल की टीम इस बार भी मंड क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लिए सुरक्षा कवच बनी रही।  ब्यास दरिया के तेज बहाव ने सुल्तानपुर लोधी के मंड क्षेत्र में भारी तबाही मचाई है। कठिन समय में संत सीचेवाल और उनकी टीम डटी रही। 

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    सतलुज दरिया में दो स्थानों से बांध टूटने की खबरों ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी थी, लेकिन संत सीचेवाल की टीम की तत्परता ने हालात को काबू में रखते हुए बांध को बचा लिया। युवाओं ने संत सीचेवाल की अगुआई में नदियों की धाराओं को मोड़कर इतिहास रच दिया। अब बाढ़ प्रभावित गांव संत सीचेवाल से बड़ी उम्मीदें लगाए बैठे हैं, ताकि अस्थायी बांधों को दोबारा मजबूती दी जा सके।

    देश के केंद्रीय मंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री भी अब बाऊपुर मंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को तवज्जो दे रहे हैं, जहां संत सीचेवाल पिछले 35 दिनों से मोर्चा संभाले हुए हैं। संत बलबीर सिंह सीचेवाल और उनकी सेवकों की टीम को नदियों की धारा मोड़ने और तीन बड़ी बाढ़ों में लोगों को बचाने के उनके अनुभव के लिए विशेष सराहना मिल रही है। बाऊपुर मंड क्षेत्र में आई बाढ़ के दौरान संत सीचेवाल की वर्कशाप में तीन दिन के भीतर बनाए गए बड़े नौकायन-बेड़े ने उन घरों से सामान निकालने में अहम भूमिका निभाई, जो ब्यास दरिया के पानी में पूरी तरह डूब गए थे।

    कौन हैं संत बलबीर सिंह सीचेवाल

    पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह इस समय राज्यसभा सदस्य भी हैं। उन से मिलने के लिए भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम दो बार सुल्तानपुर लोधी आए थे। 2009 में इंग्लैंड के विंडसर कैसल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में उनके कार्यों पर चर्चा हुई थी। दिसंबर 2009 में धार्मिक नेताओं के शिखर सम्मेलन में उन्होंने दुनियाभर के पर्यावरण प्रेमियों से अपील की थी कि वे अपने-अपने क्षेत्र की नदियों को साफ करें। साल 2017 में मिला पद्मश्री सम्मान उन्होंने अपनी संगत को समर्पित कर दिया था।