पंजाब में छिपा था सहारनपुर हिंसा का आरोपी, चैनल को इंटरव्यू दे पुणे भागा
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुए दंगे अौर हिंसा का अारोपी चंद्रशेखर आजाद पंजाब में छिपा रहा। वह एक टीवी चैनल काे इंटरव्यू देने के बाद पुणे भाग गया।
जेएनएन, जालंधर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुई हिंसा अौर दंगे का मुख्य आरोपी दलित नेता चंद्रशेखर आजाद ने काफी दिनों तक पंजाब में छिपा रहा। वह यहां होशियारपुर में कई दिनों तक छिपा रहा और अब पुणे भाग गया है। बताया जाता है कि कुछ दिन पहले आजाद उत्तर प्रदेश से भाग कर पहले दिल्ली आया और बाद में होशियारपुर पहुंचा।
जालंधर के एक दलित नेता ने उसके पुणे भागने से पहले एक चैनल के पत्रकार से बकायदा उसका इंटरव्यू भी करवाया। वहीं खूफिया तंत्र को इस बात की भनक तक नहीं लगी कि चंद्रशेखर आजाद ने पंजाब में पनाह ली है। इंटरव्यू करवाने वाला दलित नेता भी अंडरग्राउंड बताया जा रहा है। होशियारपुर-जालंधर रोड पर ही किसी दलित के घर पर आजाद से चैनल ने बात की। यह गुप्त रखा गया कि यह कौन सा एरिया है। चैनल को ही आजाद ने बताया था कि अब वह पुणे जा रहा है।
टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में आजाद ने कहा कि अगर पुलिस 37 निर्दोषों को जमानत पर रिहा कर दे तो वह आत्मसमर्पण करने को तैयार है। पेशे से वकील आजाद ने कहा, आप नीची जाति से संबंधित है और अपने हक की आवाज उठाते हैं तो पुलिस और सरकार के लिए वांछित हो जाते हैं। ऐसा पहले भी होता आया है। दलित हक की आवाज उठाता है तो वह पुलिस के लिए वांटेड हो जाता है या फिर नक्सली हो जाता है। उसे यूपी पुलिस ढ़ूंढ रही है, जिन लोगों ने दलितों पर अत्याचार किया, उन पर क्यों कार्रवाई नहीं हुई।
दलितों ने अपनी रक्षा के लिए बनाई भीम आर्मी
आजाद ने कहा कि यूपी में 'सबका साथ, दलितों का विनाश' वहां की सरकार का नारा है। जितनी भी घटनाएं हुई, उनमें दलितों को ही निशाना बनाया गया है। दलितों में अपनी रक्षा के लिए भीम आर्मी बनाई गई है। आर्मी का गठन आजाद ने ही किया था, अब सात राज्यों में इसकी शाखाएं हैं। जब भी कोई घटना होती है, भीम आर्मी को निशाना बनाया जाता है। घटना के बाद बेकूसर दलितों को जेलों में डाला जा रहा है।
दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार करने से मना किया
आजाद ने कहा कि पंजाब आने से पहले वह दिल्ली में था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने से मना कर दिया था। आजाद ने कहा कि वह वह इस शर्त पर गिरफ्तारी देने को तैयार हैकि यूपी पुलिस दलितों पर अत्याचार करने वालों पर कार्रवाई करके उन्हें जेलों में डाले।