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आर्य समाज को समर्पित है रंजीत आर्य, जालंधर में जरूरतमंद बच्चों को दे रहे शिक्षा का ज्ञान

जालंधर में आर्य समाज मंदिर भगत सिंह कॉलोनी के अध्यक्ष रंजीत आर्य समाज को समर्पित है। धर्म तथा अध्यात्म का प्रचार करने के साथ-साथ समाज में शिक्षा की लौ जगा ज्ञान की रोशनी फैला रहे रंजीत आर्य ने अपना जीवन आर्य समाज को समर्पित कर दिया है।

By Vinay KumarEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 02:35 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 02:35 PM (IST)
आर्य समाज को समर्पित है रंजीत आर्य, जालंधर में जरूरतमंद बच्चों को दे रहे शिक्षा का ज्ञान
जालंधर में जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा का ज्ञान बांट रहे रंजीत आर्य।

जागरण संवाददाता, जालंधर। जालंधर में आर्य समाज मंदिर भगत सिंह कॉलोनी के अध्यक्ष रंजीत आर्य समाज को समर्पित है। धर्म तथा अध्यात्म का प्रचार करने के साथ-साथ समाज में शिक्षा की लौ जगा ज्ञान की रोशनी फैला रहे रंजीत आर्य ने अपना जीवन आर्य समाज को समर्पित कर दिया है। इसके लिए वह ना केवल अपने परिवार बल्कि समूचे भाईचारे को आर्य समाज के साथ जोड़कर वैदिक परंपरा का विस्तार कर रहे हैं। बात भले ही देश में आई आपदा की हो या फिर गरीब बच्चों को शिक्षा देने की रंजीत आर्य ने सदैव पहल कदमी की है। उनका मानना है कि आर्य समाज धर्म नहीं बल्कि जीवन को उच्च स्तर के साथ जीने की पद्धति है।

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जरूरतमंद बच्चों को दे रहे शिक्षा का ज्ञान

आर्य समाज मंदिर भगत सिंह कॉलोनी में रंजीता आर्य गरीब तथा जरूरतमंद बच्चों को फ्री शिक्षा का ज्ञान दे रहे हैं। जिसके तहत झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले परिवारों के बच्चों को यहां पर फ्री ट्यूशन देकर शिक्षा दी जा रही है। चूंकि यह बच्चे उन परिवारों से हैं जो केवल स्कूल की फीस ही नहीं बल्कि वर्दी तथा किताबें लेने में भी असमर्थ है। ऐसे में बच्चों की तमाम तरह का जरूरत का सामान यहां पर फ्री दिया जा रहा है। रंजीत आर्य बताते हैं कि सभ्य समाज के निर्माण के लिए लोगों का शिक्षित होना बहुत जरूरी है। अमीर तथा मध्यम वर्ग तो बच्चों को पढ़ाई करवा देते हैं, लेकिन गरीब तथा जरूरतमंद परिवार के बच्चे इससे से वंचित है। ऐसे में इस वर्ग को शिक्षित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

कोरोना कॉल में भी निभाई जिम्मेदारी

कोरोना काल के दौरान जब लोग घर की दहलीज पार करने से भी कतराते थे, उस दौर में रंजीत आर्य ने उन परिवारों तक राशन पहुंचाया जहां तक प्रशासन तथा सरकार भी पहुंच नहीं कर पा रही थी। ऐसे में उन्होंने गरीब परिवारों के लिए रोजाना राशन तथा दवाइयां एकत्रित करके उन्हें वितरित की। इस बारे में रंजीत आर्य बताते हैं कि यह दौर केवल संकट का ही नहीं बल्कि सेवा करने का अवसर भी था। जिसे आर्य समाज की परंपरा के मुताबिक निभाया गया है।

महर्षि दयानंद सरस्वती के उपदेशों का भी कर रहे प्रचार

रंजीत आर्य द्वारा आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के उपदेशों का भी व्यापक स्तर पर प्रचार किया जा रहा है। इसके लिए जहां हर रविवार मंदिर में भव्य सम्मेलन का आयोजन किया जाता है, वहीं महर्षि दयानंद सरस्वती के जन्मदिवस पर लोगों को आर्य समाज तथा उनके दिए हुए उपदेशों का ज्ञान देने के लिए भव्य समारोह का आयोजन करते हैं। जिसमें शिक्षण संस्थानों के बच्चों से लेकर शहर के गणमान्य को आमंत्रित करके महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन से अवगत करवाया जाता है।

धर्म का प्रचार तथा मानवता की सेवा है जीवन का उद्देश्य

रंजीत आर्य बताते हैं कि घर, परिवार तथा जीवन में किसी तरह की कमी नहीं है। इसलिए अब अपना जीवन धर्म के प्रचार तथा मानवता की सेवा को समर्पित किया है। वह बताते हैं कि वैदिक जीवन सर्वोच्च पद्धति है। जिसकी पालना घर में रहकर ही की जा सकती है। यही कारण है कि दिन की शुरुआत हवन यज्ञ के साथ ही जाती है। इसके लिए बकायदा घर में ही कुंड तैयार करवाया गया है, जिसमें वह रोजाना परिवार के साथ यज्ञ में आहुतियां देते हैं। इसी तरह महर्षि दयानंद सरस्वती जी के उपदेशों की पालना करते हुए वैदिक परंपरा को जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है। वह बताते हैं कि वह अपने जीवन की हर सांस आर्य समाज को समर्पित कर चुके हैं।


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