बच्चों को रंग-बिरंगे स्कूल नहीं, अध्यापक चाहिए, संगरूर में शिक्षकों की कमी से गुस्साए गांव वालों ने जड़ा स्कूल में ताला
सरकारी प्राइमरी स्कूल गांव लहल खुर्द में गांव वालों ने किसान यूनियन के साथ मिलकर ताला लगाया और धरना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि स्कूल में 200 बच्चे हैं। अध्यापकों की 7 पोस्टाें में तीन खाली हैं। चार अध्यापकों में से केवल एक ही ड्यूटी पर आता है।

संवाद सूत्र, लहरागागा (संगरूर)। सरकारी प्राइमरी स्कूल गांव लहल खुर्द में शिक्षकों की कमी के विरोध में गांव वालों ने किसान यूनियन के साथ मिलकर स्कूल को ताला लगा जड़ दिया और धरना शुरू कर दिया। इस दौरान बच्चों के अभिभावकों ने शिक्षा मंत्री और पंजाब सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सुबह से ही स्कूल प्रिंसिपल, स्टाफ को स्कूल में दाखिल नहीं होने दिया गया। सभी स्कूल के बाहर ही रहे। विद्यार्थी व अभिभावक किसानों के साथ स्कूल के समक्ष धरने पर बैठ गए।
भाकियू उगराहां के नेता जयदीप सिंह, जगदीप सिंह व हरसेवक सिंह ने बताया कि स्कूल में 200 के करीब बच्चे हैं। अध्यापकों की 7 पोस्टाें में तीन खाली हैं। चार अध्यापकों में से केवल एक ही ड्यूटी पर आता है। पर्याप्त स्टाफ न होने के कारण बच्चों का सिलेबस पीछे रह गया है। आठवीं कक्षा के बच्चे को पंजाबी में एक एप्लीकेशन भी लिखनी नहीं आती।
स्कूल केवल रंगीन बिल्डिंग बनकर रह चुके हैं, जहां पर पढ़ाई नाम की कोई चीज नहीं है। बच्चों के स्वजनों मलकीत कौर, राजिंदर कौर व करनैल सिंह ने कहा कि उनके बच्चों को पढ़ाई की जरूरत है न कि रंग-बिरंगे स्कूलों की। उन्होंने मांग की कि खाली पोस्टों पर तुरंत भर्ती करके बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाया जाए। जब तक स्टाफ का प्रबंध नहीं होता तब तक स्कूल को ताला लगाकर रखा जाएगा।
लहल खुर्द गांव में प्राइमरी स्कूल के गेट को ताला लगाते हुए गांव वाले।
प्राइमरी स्कूल की इंचार्ज प्रकाश कौर ने कहा कि स्कूल में 7 पोस्टों में से 4 पर स्टाफ मौजूद है। बाकी तीन पोस्टों भरने के लिए कई बार विभाग को लिखा जा चुका है, लेकिन सरकार अध्यापकों की कमी बता रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार या स्कूल के खिलाफ प्रदर्शन करना है गांव वालों का हक है, परंतु ग्रामीणों द्वारा उन्हें अंदर जाने से रोकने की खातिर स्कूल को ताला लगाया है, यह गलत बात है। पहले हमारे उच्च अधिकारियों तक यह कई बार बात पहुंचाई है कि यहां पर शिक्षकों की कमी है। ऐसे में स्कूल प्रिंसिपल व स्टाफ का कोई कसूर नहीं है। बच्चों को जितना हो सकता है अपनी तरफ से पढ़ाई करवा रहे हैं। इससे ज्यादा सीमित स्टफ कुछ नहीं कर सकता।
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